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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5469 | 72 | 22 | قل إني لن يجيرني من الله أحد ولن أجد من دونه ملتحدا |
| | | (ये भी) कह दो कि मुझे ख़ुदा (के अज़ाब) से कोई भी पनाह नहीं दे सकता और न मैं उसके सिवा कहीं पनाह की जगह देखता हूँ |
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5470 | 72 | 23 | إلا بلاغا من الله ورسالاته ومن يعص الله ورسوله فإن له نار جهنم خالدين فيها أبدا |
| | | ख़ुदा की तरफ से (एहकाम के) पहुँचा देने और उसके पैग़ामों के सिवा (कुछ नहीं कर सकता) और जिसने ख़ुदा और उसके रसूल की नाफरमानी की तो उसके लिए यक़ीनन जहन्नुम की आग है जिसमें वह हमेशा और अबादुल आबाद तक रहेगा |
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5471 | 72 | 24 | حتى إذا رأوا ما يوعدون فسيعلمون من أضعف ناصرا وأقل عددا |
| | | यहाँ तक कि जब ये लोग उन चीज़ों को देख लेंगे जिनका उनसे वायदा किया जाता है तो उनको मालूम हो जाएगा कि किसके मददगार कमज़ोर और किसका शुमार कम है |
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5472 | 72 | 25 | قل إن أدري أقريب ما توعدون أم يجعل له ربي أمدا |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं नहीं जानता कि जिस दिन का तुमसे वायदा किया जाता है क़रीब है या मेरे परवरदिगार ने उसकी मुद्दत दराज़ कर दी है |
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5473 | 72 | 26 | عالم الغيب فلا يظهر على غيبه أحدا |
| | | (वही) ग़ैबवॉ है और अपनी ग़ैब की बाते किसी पर ज़ाहिर नहीं करता |
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5474 | 72 | 27 | إلا من ارتضى من رسول فإنه يسلك من بين يديه ومن خلفه رصدا |
| | | मगर जिस पैग़म्बर को पसन्द फरमाए तो उसके आगे और पीछे निगेहबान फरिश्ते मुक़र्रर कर देता है |
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5475 | 72 | 28 | ليعلم أن قد أبلغوا رسالات ربهم وأحاط بما لديهم وأحصى كل شيء عددا |
| | | ताकि देख ले कि उन्होंने अपने परवरदिगार के पैग़ामात पहुँचा दिए और (यूँ तो) जो कुछ उनके पास है वह सब पर हावी है और उसने तो एक एक चीज़ गिन रखी हैं |
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5476 | 73 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم يا أيها المزمل |
| | | ऐ (मेरे) चादर लपेटे रसूल |
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5477 | 73 | 2 | قم الليل إلا قليلا |
| | | रात को (नमाज़ के वास्ते) खड़े रहो मगर (पूरी रात नहीं) |
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5478 | 73 | 3 | نصفه أو انقص منه قليلا |
| | | थोड़ी रात या आधी रात या इससे भी कुछ कम कर दो या उससे कुछ बढ़ा दो |
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