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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5460 | 72 | 13 | وأنا لما سمعنا الهدى آمنا به فمن يؤمن بربه فلا يخاف بخسا ولا رهقا |
| | | और ये कि जब हमने हिदायत (की किताब) सुनी तो उन पर ईमान लाए तो जो शख़्श अपने परवरदिगार पर ईमान लाएगा तो उसको न नुक़सान का ख़ौफ़ है और न ज़ुल्म का |
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5461 | 72 | 14 | وأنا منا المسلمون ومنا القاسطون فمن أسلم فأولئك تحروا رشدا |
| | | और ये कि हम में से कुछ लोग तो फ़रमाबरदार हैं और कुछ लोग नाफ़रमान तो जो लोग फ़रमाबरदार हैं तो वह सीधे रास्ते पर चलें और रहें |
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5462 | 72 | 15 | وأما القاسطون فكانوا لجهنم حطبا |
| | | नाफरमान तो वह जहन्नुम के कुन्दे बने |
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5463 | 72 | 16 | وأن لو استقاموا على الطريقة لأسقيناهم ماء غدقا |
| | | और (ऐ रसूल तुम कह दो) कि अगर ये लोग सीधी राह पर क़ायम रहते तो हम ज़रूर उनको अलग़ारों पानी से सेराब करते |
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5464 | 72 | 17 | لنفتنهم فيه ومن يعرض عن ذكر ربه يسلكه عذابا صعدا |
| | | ताकि उससे उनकी आज़माईश करें और जो शख़्श अपने परवरदिगार की याद से मुँह मोड़ेगा तो वह उसको सख्त अज़ाब में झोंक देगा |
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5465 | 72 | 18 | وأن المساجد لله فلا تدعوا مع الله أحدا |
| | | और ये कि मस्जिदें ख़ास ख़ुदा की हैं तो लोगों ख़ुदा के साथ किसी की इबादन न करना |
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5466 | 72 | 19 | وأنه لما قام عبد الله يدعوه كادوا يكونون عليه لبدا |
| | | और ये कि जब उसका बन्दा (मोहम्मद) उसकी इबादत को खड़ा होता है तो लोग उसके गिर्द हुजूम करके गिर पड़ते हैं |
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5467 | 72 | 20 | قل إنما أدعو ربي ولا أشرك به أحدا |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं तो अपने परवरदिगार की इबादत करता हूँ और उसका किसी को शरीक नहीं बनाता |
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5468 | 72 | 21 | قل إني لا أملك لكم ضرا ولا رشدا |
| | | (ये भी) कह दो कि मैं तुम्हारे हक़ में न बुराई ही का एख्तेयार रखता हूँ और न भलाई का |
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5469 | 72 | 22 | قل إني لن يجيرني من الله أحد ولن أجد من دونه ملتحدا |
| | | (ये भी) कह दो कि मुझे ख़ुदा (के अज़ाब) से कोई भी पनाह नहीं दे सकता और न मैं उसके सिवा कहीं पनाह की जगह देखता हूँ |
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