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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5449 | 72 | 2 | يهدي إلى الرشد فآمنا به ولن نشرك بربنا أحدا |
| | | जो भलाई की राह दिखाता है तो हम उस पर ईमान ले आए और अब तो हम किसी को अपने परवरदिगार का शरीक न बनाएँगे |
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5450 | 72 | 3 | وأنه تعالى جد ربنا ما اتخذ صاحبة ولا ولدا |
| | | और ये कि हमारे परवरदिगार की शान बहुत बड़ी है उसने न (किसी को) बीवी बनाया और न बेटा बेटी |
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5451 | 72 | 4 | وأنه كان يقول سفيهنا على الله شططا |
| | | और ये कि हममें से बाज़ बेवकूफ ख़ुदा के बारे में हद से ज्यादा लग़ो बातें निकाला करते थे |
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5452 | 72 | 5 | وأنا ظننا أن لن تقول الإنس والجن على الله كذبا |
| | | और ये कि हमारा तो ख्याल था कि आदमी और जिन ख़ुदा की निस्बत झूठी बात नहीं बोल सकते |
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5453 | 72 | 6 | وأنه كان رجال من الإنس يعوذون برجال من الجن فزادوهم رهقا |
| | | और ये कि आदमियों में से कुछ लोग जिन्नात में से बाज़ लोगों की पनाह पकड़ा करते थे तो (इससे) उनकी सरकशी और बढ़ गयी |
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5454 | 72 | 7 | وأنهم ظنوا كما ظننتم أن لن يبعث الله أحدا |
| | | और ये कि जैसा तुम्हारा ख्याल है वैसा उनका भी एतक़ाद था कि ख़ुदा हरगिज़ किसी को दोबारा नहीं ज़िन्दा करेगा |
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5455 | 72 | 8 | وأنا لمسنا السماء فوجدناها ملئت حرسا شديدا وشهبا |
| | | और ये कि हमने आसमान को टटोला तो उसको भी बहुत क़वी निगेहबानों और शोलो से भरा हुआ पाया |
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5456 | 72 | 9 | وأنا كنا نقعد منها مقاعد للسمع فمن يستمع الآن يجد له شهابا رصدا |
| | | और ये कि पहले हम वहाँ बहुत से मक़ामात में (बातें) सुनने के लिए बैठा करते थे मगर अब कोई सुनना चाहे तो अपने लिए शोले तैयार पाएगा |
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5457 | 72 | 10 | وأنا لا ندري أشر أريد بمن في الأرض أم أراد بهم ربهم رشدا |
| | | और ये कि हम नहीं समझते कि उससे अहले ज़मीन के हक़ में बुराई मक़सूद है या उनके परवरदिगार ने उनकी भलाई का इरादा किया है |
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5458 | 72 | 11 | وأنا منا الصالحون ومنا دون ذلك كنا طرائق قددا |
| | | और ये कि हममें से कुछ लोग तो नेकोकार हैं और कुछ लोग और तरह के हम लोगों के भी तो कई तरह के फिरकें हैं |
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