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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
518 | 4 | 25 | ومن لم يستطع منكم طولا أن ينكح المحصنات المؤمنات فمن ما ملكت أيمانكم من فتياتكم المؤمنات والله أعلم بإيمانكم بعضكم من بعض فانكحوهن بإذن أهلهن وآتوهن أجورهن بالمعروف محصنات غير مسافحات ولا متخذات أخدان فإذا أحصن فإن أتين بفاحشة فعليهن نصف ما على المحصنات من العذاب ذلك لمن خشي العنت منكم وأن تصبروا خير لكم والله غفور رحيم |
| | | और तुममें से जो शख्स आज़ाद इफ्फ़तदार औरतों से निकाह करने की माली हैसियत से क़ुदरत न रखता हो तो वह तुम्हारी उन मोमिना लौन्डियों से जो तुम्हारे कब्ज़े में हैं निकाह कर सकता है और ख़ुदा तुम्हारे ईमान से ख़ूब वाक़िफ़ है (ईमान की हैसियत से तो) तुममें एक दूसरे का हमजिन्स है पस (बे ताम्मुल) उनके मालिकों की इजाज़त से लौन्डियों से निकाह करो और उनका मेहर हुस्ने सुलूक से दे दो मगर उन्हीं (लौन्डियो) से निकाह करो जो इफ्फ़त के साथ तुम्हारी पाबन्द रहें न तो खुले आम ज़िना करना चाहें और न चोरी छिपे से आशनाई फिर जब तुम्हारी पाबन्द हो चुकी उसके बाद कोई बदकारी करे तो जो सज़ा आज़ाद बीवियों को दी जाती है उसकी आधी (सज़ा) लौन्डियों को दी जाएगी (और लौन्डियों) से निकाह कर भी सकता है तो वह शख्स जिसको ज़िना में मुब्तिला हो जाने का ख़ौफ़ हो और सब्र करे तो तुम्हारे हक़ में ज्यादा बेहतर है और ख़ुदा बख्शने वाला मेहरबान है |
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519 | 4 | 26 | يريد الله ليبين لكم ويهديكم سنن الذين من قبلكم ويتوب عليكم والله عليم حكيم |
| | | ख़ुदा तो ये चाहता है कि (अपने) एहकाम तुम लोगों से साफ़ साफ़ बयान कर दे और जो (अच्छे) लोग तुमसे पहले गुज़र चुके हैं उनके तरीक़े पर चला दे और तुम्हारी तौबा कुबूल करे और ख़ुदा तो (हर चीज़ से) वाक़िफ़ और हिकमत वाला है |
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520 | 4 | 27 | والله يريد أن يتوب عليكم ويريد الذين يتبعون الشهوات أن تميلوا ميلا عظيما |
| | | और ख़ुदा तो चाहता है कि तुम्हारी तौबा क़ुबूल |
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521 | 4 | 28 | يريد الله أن يخفف عنكم وخلق الإنسان ضعيفا |
| | | करे और जो लोग नफ़सियानी ख्वाहिश के पीछे पडे हैं वह ये चाहते हैं कि तुम लोग (राहे हक़ से) बहुत दूर हट जाओ और ख़ुदा चाहता है कि तुमसे बार में तख़फ़ीफ़ कर दें क्योंकि आदमी तो बहुत कमज़ोर पैदा किया गया है |
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522 | 4 | 29 | يا أيها الذين آمنوا لا تأكلوا أموالكم بينكم بالباطل إلا أن تكون تجارة عن تراض منكم ولا تقتلوا أنفسكم إن الله كان بكم رحيما |
| | | ए ईमानवालों आपस में एक दूसरे का माल नाहक़ न खा जाया करो लेकिन (हॉ) तुम लोगों की बाहमी रज़ामन्दी से तिजारत हो (और उसमें एक दूसरे का माल हो तो मुज़ाएक़ा नहीं) और अपना गला आप घूंट के अपनी जान न दो (क्योंकि) ख़ुदा तो ज़रूर तुम्हारे हाल पर मेहरबान है |
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523 | 4 | 30 | ومن يفعل ذلك عدوانا وظلما فسوف نصليه نارا وكان ذلك على الله يسيرا |
| | | और जो शख्स जोरो ज़ुल्म से नाहक़ ऐसा करेगा (ख़ुदकुशी करेगा) तो (याद रहे कि) हम बहुत जल्द उसको जहन्नुम की आग में झोंक देंगे यह ख़ुदा के लिये आसान है |
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524 | 4 | 31 | إن تجتنبوا كبائر ما تنهون عنه نكفر عنكم سيئاتكم وندخلكم مدخلا كريما |
| | | जिन कामों की तुम्हें मनाही की जाती है अगर उनमें से तुम गुनाहे कबीरा से बचते रहे तो हम तुम्हारे (सग़ीरा) गुनाहों से भी दरगुज़र करेंगे और तुमको बहुत अच्छी इज्ज़त की जगह पहुंचा देंगे |
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525 | 4 | 32 | ولا تتمنوا ما فضل الله به بعضكم على بعض للرجال نصيب مما اكتسبوا وللنساء نصيب مما اكتسبن واسألوا الله من فضله إن الله كان بكل شيء عليما |
| | | और ख़ुदा ने जो तुममें से एक दूसरे पर तरजीह दी है उसकी हवस न करो (क्योंकि फ़ज़ीलत तो आमाल से है) मर्दो को अपने किए का हिस्सा है और औरतों को अपने किए का हिस्सा और ये और बात है कि तुम ख़ुदा से उसके फज़ल व करम की ख्वाहिश करो ख़ुदा तो हर चीज़े से वाक़िफ़ है |
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526 | 4 | 33 | ولكل جعلنا موالي مما ترك الوالدان والأقربون والذين عقدت أيمانكم فآتوهم نصيبهم إن الله كان على كل شيء شهيدا |
| | | और मां बाप (या) और क़राबतदार (ग़रज़) तो शख्स जो तरका छोड़ जाए हमने हर एक का (वाली) वारिस मुक़र्रर कर दिया है और जिन लोगों से तुमने मुस्तहकम (पक्का) एहद किया है उनका मुक़र्रर हिस्सा भी तुम दे दो बेशक ख़ुदा तो हर चीज़ पर गवाह है |
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527 | 4 | 34 | الرجال قوامون على النساء بما فضل الله بعضهم على بعض وبما أنفقوا من أموالهم فالصالحات قانتات حافظات للغيب بما حفظ الله واللاتي تخافون نشوزهن فعظوهن واهجروهن في المضاجع واضربوهن فإن أطعنكم فلا تبغوا عليهن سبيلا إن الله كان عليا كبيرا |
| | | मर्दो का औरतों पर क़ाबू है क्योंकि (एक तो) ख़ुदा ने बाज़ आदमियों (मर्द) को बाज़ अदमियों (औरत) पर फ़ज़ीलत दी है और (इसके अलावा) चूंकि मर्दो ने औरतों पर अपना माल ख़र्च किया है पस नेक बख्त बीवियॉ तो शौहरों की ताबेदारी करती हैं (और) उनके पीठ पीछे जिस तरह ख़ुदा ने हिफ़ाज़त की वह भी (हर चीज़ की) हिफ़ाज़त करती है और वह औरतें जिनके नाफरमान सरकश होने का तुम्हें अन्देशा हो तो पहले उन्हें समझाओ और (उसपर न माने तो) तुम उनके साथ सोना छोड़ दो और (इससे भी न माने तो) मारो मगर इतना कि खून न निकले और कोई अज़ो न (टूटे) पस अगर वह तुम्हारी मुतीइ हो जाएं तो तुम भी उनके नुक़सान की राह न ढूंढो ख़ुदा तो ज़रूर सबसे बरतर बुजुर्ग़ है |
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