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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
418 | 3 | 125 | بلى إن تصبروا وتتقوا ويأتوكم من فورهم هذا يمددكم ربكم بخمسة آلاف من الملائكة مسومين |
| | | बल्कि अगर तुम साबित क़दम रहो और (रसूल की मुख़ालेफ़त से) बचो और कुफ्फ़ार अपने (जोश में) तुमपर चढ़ भी आये तो तुम्हारा परवरदिगार ऐसे पॉच हज़ार फ़रिश्तों से तुम्हारी मदद करेगा जो निशाने जंग लगाए हुए डटे होंगे और ख़ुदा ने ये मदद सिर्फ तुम्हारी ख़ुशी के लिए की है |
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419 | 3 | 126 | وما جعله الله إلا بشرى لكم ولتطمئن قلوبكم به وما النصر إلا من عند الله العزيز الحكيم |
| | | और ताकि इससे तुम्हारे दिल की ढारस हो और (ये तो ज़ाहिर है कि) मदद जब होती है तो ख़ुदा ही की तरफ़ से जो सब पर ग़ालिब (और) हिकमत वाला है |
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420 | 3 | 127 | ليقطع طرفا من الذين كفروا أو يكبتهم فينقلبوا خائبين |
| | | (और यह मदद की भी तो) इसलिए कि काफ़िरों के एक गिरोह को कम कर दे या ऐसा चौपट कर दे कि (अपना सा) मुंह लेकर नामुराद अपने घर वापस चले जायें |
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421 | 3 | 128 | ليس لك من الأمر شيء أو يتوب عليهم أو يعذبهم فإنهم ظالمون |
| | | (ऐ रसूल) तुम्हारा तो इसमें कुछ बस नहीं चाहे ख़ुदा उनकी तौबा कुबूल करे या उनको सज़ा दे क्योंकि वह ज़ालिम तो ज़रूर हैं |
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422 | 3 | 129 | ولله ما في السماوات وما في الأرض يغفر لمن يشاء ويعذب من يشاء والله غفور رحيم |
| | | और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सब ख़ुदा ही का है जिसको चाहे बख्शे और जिसको चाहे सज़ा करे और ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबार है |
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423 | 3 | 130 | يا أيها الذين آمنوا لا تأكلوا الربا أضعافا مضاعفة واتقوا الله لعلكم تفلحون |
| | | ऐ ईमानदारों सूद दनादन खाते न चले जाओ और ख़ुदा से डरो कि तुम छुटकारा पाओ |
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424 | 3 | 131 | واتقوا النار التي أعدت للكافرين |
| | | और जहन्नुम की उस आग से डरो जो काफ़िरों के लिए तैयार की गयी है |
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425 | 3 | 132 | وأطيعوا الله والرسول لعلكم ترحمون |
| | | और ख़ुदा और रसूल की फ़रमाबरदारी करो ताकि तुम पर रहम किया जाए |
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426 | 3 | 133 | وسارعوا إلى مغفرة من ربكم وجنة عرضها السماوات والأرض أعدت للمتقين |
| | | और अपने परवरदिगार के (सबब) बख्शिश और जन्नत की तरफ़ दौड़ पड़ो जिसकी (वुसअत सारे) आसमान और ज़मीन के बराबर है और जो परहेज़गारों के लिये मुहय्या की गयी है |
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427 | 3 | 134 | الذين ينفقون في السراء والضراء والكاظمين الغيظ والعافين عن الناس والله يحب المحسنين |
| | | जो ख़ुशहाली और कठिन वक्त में भी (ख़ुदा की राह पर) ख़र्च करते हैं और गुस्से को रोकते हैं और लोगों (की ख़ता) से दरगुज़र करते हैं और नेकी करने वालों से अल्लाह उलफ़त रखता है |
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