بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
3983105ولا تكونوا كالذين تفرقوا واختلفوا من بعد ما جاءهم البينات وأولئك لهم عذاب عظيم
और तुम (कहीं) उन लोगों के ऐसे न हो जाना जो आपस में फूट डाल कर बैठ रहे और रौशन (दलील) आने के बाद भी एक मुंह एक ज़बान न रहे और ऐसे ही लोगों के वास्ते बड़ा (भारी) अज़ाब है
3993106يوم تبيض وجوه وتسود وجوه فأما الذين اسودت وجوههم أكفرتم بعد إيمانكم فذوقوا العذاب بما كنتم تكفرون
(उस दिन से डरो) जिस दिन कुछ लोगों के चेहरे तो सफैद नूरानी होंगे और कुछ (लोगो) के चेहरे सियाह जिन लोगों के मुहॅ में कालिक होगी (उनसे कहा जायेगा) हाए क्यों तुम तो ईमान लाने के बाद काफ़िर हो गए थे अच्छा तो (लो) (अब) अपने कुफ़्र की सज़ा में अज़ाब (के मजे) चखो
4003107وأما الذين ابيضت وجوههم ففي رحمة الله هم فيها خالدون
और जिनके चेहरे पर नूर बरसता होगा वह तो ख़ुदा की रहमत(बहिश्त) में होंगे (और) उसी में सदा रहेंगे
4013108تلك آيات الله نتلوها عليك بالحق وما الله يريد ظلما للعالمين
(ऐ रसूल) ये ख़ुदा की आयतें हैं जो हम तुमको ठीक (ठीक) पढ़ के सुनाते हैं और ख़ुदा सारे जहॉन के लोगों (से किसी) पर जुल्म करना नहीं चाहता
4023109ولله ما في السماوات وما في الأرض وإلى الله ترجع الأمور
और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (सब) ख़ुदा ही का है और (आख़िर) सब कामों की रूज़ु ख़ुदा ही की तरफ़ है
4033110كنتم خير أمة أخرجت للناس تأمرون بالمعروف وتنهون عن المنكر وتؤمنون بالله ولو آمن أهل الكتاب لكان خيرا لهم منهم المؤمنون وأكثرهم الفاسقون
तुम क्या अच्छे गिरोह हो कि (लोगों की) हिदायत के वास्ते पैदा किये गए हो तुम (लोगों को) अच्छे काम का हुक्म करते हो और बुरे कामों से रोकते हो और ख़ुदा पर ईमान रखते हो और अगर अहले किताब भी (इसी तरह) ईमान लाते तो उनके हक़ में बहुत अच्छा होता उनमें से कुछ ही तो ईमानदार हैं और अक्सर बदकार
4043111لن يضروكم إلا أذى وإن يقاتلوكم يولوكم الأدبار ثم لا ينصرون
(मुसलमानों) ये लोग मामूली अज़ीयत के सिवा तुम्हें हरगिज़ ज़रर नहीं पहुंचा सकते और अगर तुमसे लड़ेंगे तो उन्हें तुम्हारी तरफ़ पीठ ही करनी होगी और फिर उनकी कहीं से मदद भी नहीं पहुंचेगी
4053112ضربت عليهم الذلة أين ما ثقفوا إلا بحبل من الله وحبل من الناس وباءوا بغضب من الله وضربت عليهم المسكنة ذلك بأنهم كانوا يكفرون بآيات الله ويقتلون الأنبياء بغير حق ذلك بما عصوا وكانوا يعتدون
और जहॉ कहीं हत्ते चढ़े उनपर रूसवाई की मार पड़ी मगर ख़ुदा के एहद (या) और लोगों के एहद के ज़रिये से (उनको कहीं पनाह मिल गयी) और फिर हेरफेर के खुदा के गज़ब में पड़ गए और उनपर मोहताजी की मार (अलग) पड़ी ये (क्यों) इस सबब से कि वह ख़ुदा की आयतों से इन्कार करते थे और पैग़म्बरों को नाहक़ क़त्ल करते थे ये सज़ा उसकी है कि उन्होंने नाफ़रमानी की और हद से गुज़र गए थे
4063113ليسوا سواء من أهل الكتاب أمة قائمة يتلون آيات الله آناء الليل وهم يسجدون
और ये लोग भी सबके सब यकसॉ नहीं हैं (बल्कि) अहले किताब से कुछ लोग तो ऐसे हैं कि (ख़ुदा के दीन पर) इस तरह साबित क़दम हैं कि रातों को ख़ुदा की आयतें पढ़ा करते हैं और वह बराबर सजदे किया करते हैं
4073114يؤمنون بالله واليوم الآخر ويأمرون بالمعروف وينهون عن المنكر ويسارعون في الخيرات وأولئك من الصالحين
खुदा और रोज़े आख़ेरत पर ईमान रखते हैं और अच्छे काम का तो हुक्म करते हैं और बुरे कामों से रोकते हैं और नेक कामों में दौड़ पड़ते हैं और यही लोग तो नेक बन्दों से हैं


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