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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3029 | 26 | 97 | تالله إن كنا لفي ضلال مبين |
| | | ख़ुदा की क़सम हम लोग तो यक़ीनन सरीही गुमराही में थे |
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3030 | 26 | 98 | إذ نسويكم برب العالمين |
| | | कि हम तुम को सारे जहाँन के पालने वाले (ख़ुदा) के बराबर समझते रहे |
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3031 | 26 | 99 | وما أضلنا إلا المجرمون |
| | | और हमको बस (उन) गुनाहगारों ने (जो मुझसे पहले हुए) गुमराह किया |
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3032 | 26 | 100 | فما لنا من شافعين |
| | | तो अब तो न कोई (साहब) मेरी सिफारिश करने वाले हैं |
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3033 | 26 | 101 | ولا صديق حميم |
| | | और न कोई दिलबन्द दोस्त हैं |
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3034 | 26 | 102 | فلو أن لنا كرة فنكون من المؤمنين |
| | | तो काश हमें अब दुनिया में दोबारा जाने का मौक़ा मिलता तो हम (ज़रुर) ईमान वालों से होते |
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3035 | 26 | 103 | إن في ذلك لآية وما كان أكثرهم مؤمنين |
| | | इबराहीम के इस किस्से में भी यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और इनमें से अक्सर ईमान लाने वाले थे भी नहीं |
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3036 | 26 | 104 | وإن ربك لهو العزيز الرحيم |
| | | और इसमे तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब और बड़ा मेहरबान है |
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3037 | 26 | 105 | كذبت قوم نوح المرسلين |
| | | (यूँ ही) नूह की क़ौम ने पैग़म्बरो को झुठलाया |
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3038 | 26 | 106 | إذ قال لهم أخوهم نوح ألا تتقون |
| | | कि जब उनसे उन के भाई नूह ने कहा कि तुम लोग (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते मै तो तुम्हारा यक़ीनी अमानत दार पैग़म्बर हूँ |
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