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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2939 | 26 | 7 | أولم يروا إلى الأرض كم أنبتنا فيها من كل زوج كريم |
| | | क्या इन लोगों ने ज़मीन की तरफ भी (ग़ौर से) नहीं देखा कि हमने हर रंग की उम्दा उम्दा चीजें उसमें किस कसरत से उगायी हैं |
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2940 | 26 | 8 | إن في ذلك لآية وما كان أكثرهم مؤمنين |
| | | यक़ीनन इसमें (भी क़ुदरत) ख़ुदा की एक बड़ी निशानी है मगर उनमें से अक्सर ईमान लाने वाले ही नहीं |
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2941 | 26 | 9 | وإن ربك لهو العزيز الرحيم |
| | | और इसमें शक नहीं कि तेरा परवरदिगार यक़ीनन (हर चीज़ पर) ग़ालिब (और) मेहरबान है |
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2942 | 26 | 10 | وإذ نادى ربك موسى أن ائت القوم الظالمين |
| | | (ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब तुम्हारे परवरदिगार ने मूसा को आवाज़ दी कि (इन) ज़ालिमों फिरऔन की क़ौम के पास जाओ (हिदायत करो) |
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2943 | 26 | 11 | قوم فرعون ألا يتقون |
| | | क्या ये लोग (मेरे ग़ज़ब से) डरते नहीं है |
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2944 | 26 | 12 | قال رب إني أخاف أن يكذبون |
| | | मूसा ने अर्ज़ कि परवरदिगार मैं डरता हूँ कि (मुबादा) वह लोग मुझे झुठला दे |
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2945 | 26 | 13 | ويضيق صدري ولا ينطلق لساني فأرسل إلى هارون |
| | | और (उनके झुठलाने से) मेरा दम रुक जाए और मेरी ज़बान (अच्छी तरह) न चले तो हारुन के पास पैग़ाम भेज दे (कि मेरा साथ दे) |
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2946 | 26 | 14 | ولهم علي ذنب فأخاف أن يقتلون |
| | | (और इसके अलावा) उनका मेरे सर एक जुर्म भी है (कि मैने एक शख्स को मार डाला था) |
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2947 | 26 | 15 | قال كلا فاذهبا بآياتنا إنا معكم مستمعون |
| | | तो मैं डरता हूँ कि (शायद) मुझे ये लाग मार डालें ख़ुदा ने कहा हरगिज़ नहीं अच्छा तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ हम तुम्हारे साथ हैं |
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2948 | 26 | 16 | فأتيا فرعون فقولا إنا رسول رب العالمين |
| | | और (सारी गुफ्तगू) अच्छी तरह सुनते हैं ग़रज़ तुम दोनों फिरऔन के पास जाओ और कह दो कि हम सारे जहाँन के परवरदिगार के रसूल हैं (और पैग़ाम लाएँ हैं) |
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