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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2631 | 22 | 36 | والبدن جعلناها لكم من شعائر الله لكم فيها خير فاذكروا اسم الله عليها صواف فإذا وجبت جنوبها فكلوا منها وأطعموا القانع والمعتر كذلك سخرناها لكم لعلكم تشكرون |
| | | (क़ुरबानी के) ऊँटों को हमने तुम्हारे लिए अल्लाह की निशानियों में से बनाया है। तुम्हारे लिए उनमें भलाई है। अतः खड़ा करके उनपर अल्लाह का नाम लो। फिर जब उनके पहलू भूमि से आ लगें तो उनमें से स्वयं भी खाओ औऱ संतोष से बैठनेवालों को भी खिलाओ और माँगनेवालों को भी। ऐसी ही करो। हमने उनको तुम्हारे लिए वशीभूत कर दिया है, ताकि तुम कृतज्ञता दिखाओ |
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2632 | 22 | 37 | لن ينال الله لحومها ولا دماؤها ولكن يناله التقوى منكم كذلك سخرها لكم لتكبروا الله على ما هداكم وبشر المحسنين |
| | | न उनके माँस अल्लाह को पहुँचते है और न उनके रक्त। किन्तु उसे तुम्हारा तक़वा (धर्मपरायणता) पहुँचता है। इस प्रकार उसने उन्हें तुम्हारे लिए वशीभूत किया है, ताकि तुम अल्लाह की बड़ाई बयान करो, इसपर कि उसने तुम्हारा मार्गदर्शन किया और सुकर्मियों को शुभ सूचना दे दो |
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2633 | 22 | 38 | إن الله يدافع عن الذين آمنوا إن الله لا يحب كل خوان كفور |
| | | निश्चय ही अल्लाह उन लोगों की ओर से प्रतिरक्षा करता है, जो ईमान लाए। निस्संदेह अल्लाह किसी विश्वासघाती, अकृतज्ञ को पसन्द नहीं करता |
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2634 | 22 | 39 | أذن للذين يقاتلون بأنهم ظلموا وإن الله على نصرهم لقدير |
| | | अनुमति दी गई उन लोगों को जिनके विरुद्ध युद्ध किया जा रहा है, क्योंकि उनपर ज़ुल्म किया गया - और निश्चय ही अल्लाह उनकी सहायता की पूरी सामर्थ्य रखता है। - |
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2635 | 22 | 40 | الذين أخرجوا من ديارهم بغير حق إلا أن يقولوا ربنا الله ولولا دفع الله الناس بعضهم ببعض لهدمت صوامع وبيع وصلوات ومساجد يذكر فيها اسم الله كثيرا ولينصرن الله من ينصره إن الله لقوي عزيز |
| | | ये वे लोग है जो अपने घरों से नाहक़ निकाले गए, केवल इसलिए कि वे कहते है कि "हमारा रब अल्लाह है।" यदि अल्लाह लोगों को एक-दूसरे के द्वारा हटाता न रहता तो मठ और गिरजा और यहूदी प्रार्थना भवन और मस्जिदें, जिनमें अल्लाह का अधिक नाम लिया जाता है, सब ढा दी जातीं। अल्लाह अवश्य उसकी सहायता करेगा, जो उसकी सहायता करेगा - निश्चय ही अल्लाह बड़ा बलवान, प्रभुत्वशाली है |
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2636 | 22 | 41 | الذين إن مكناهم في الأرض أقاموا الصلاة وآتوا الزكاة وأمروا بالمعروف ونهوا عن المنكر ولله عاقبة الأمور |
| | | ये वे लोग है कि यदि धरती में हम उन्हें सत्ता प्रदान करें तो वे नमाज़ का आयोजन करेंगे और ज़कात देंगे और भलाई का आदेश करेंगे और बुराई से रोकेंगे। और सब मामलों का अन्तिम परिणाम अल्लाह ही के हाथ में है |
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2637 | 22 | 42 | وإن يكذبوك فقد كذبت قبلهم قوم نوح وعاد وثمود |
| | | यदि वे तुम्हें झुठलाते है तो उनसे पहले नूह की क़ौम, आद और समूद |
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2638 | 22 | 43 | وقوم إبراهيم وقوم لوط |
| | | और इबराहीम की क़ौम और लूत की क़ौम |
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2639 | 22 | 44 | وأصحاب مدين وكذب موسى فأمليت للكافرين ثم أخذتهم فكيف كان نكير |
| | | और मदयनवाले भी झुठला चुके है और मूसा को भी झूठलाया जा चुका है। किन्तु मैंने इनकार करनेवालों को मुहलत दी, फिर उन्हें पकड़ लिया। तो कैसी रही मेरी यंत्रणा! |
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2640 | 22 | 45 | فكأين من قرية أهلكناها وهي ظالمة فهي خاوية على عروشها وبئر معطلة وقصر مشيد |
| | | कितनी ही बस्तियाँ है जिन्हें हमने विनष्ट कर दिया इस दशा में कि वे ज़ालिम थी, तो वे अपनी छतों के बल गिरी पड़ी है। और कितने ही परित्यक्त (उजाड़) कुएँ पड़े है और कितने ही पक्के महल भी! |
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