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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
254 | 2 | 247 | وقال لهم نبيهم إن الله قد بعث لكم طالوت ملكا قالوا أنى يكون له الملك علينا ونحن أحق بالملك منه ولم يؤت سعة من المال قال إن الله اصطفاه عليكم وزاده بسطة في العلم والجسم والله يؤتي ملكه من يشاء والله واسع عليم |
| | | उनसे नबी ने उनसे कहा, "अल्लाह ने तुम्हारे लिए तालूत को सम्राट नियुक्त किया है।" बोले, "उसकी बादशाही हम पर कैसे हो सकती है, जबबकि हम उसके मुक़ाबले में बादशाही के ज़्यादा हक़दार है और जबकि उस माल की कुशादगी भी प्राप्त नहीं है?" उसने कहा, "अल्लाह ने तुम्हारे मुक़ाबले में उसको ही चुना है और उसे ज्ञान में और शारीरिक क्षमता में ज़्यादा कुशादगी प्रदान की है। अल्लाह जिसको चाहे अपना राज्य प्रदान करे। और अल्लाह बड़ी समाईवाला, सर्वज्ञ है।" |
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255 | 2 | 248 | وقال لهم نبيهم إن آية ملكه أن يأتيكم التابوت فيه سكينة من ربكم وبقية مما ترك آل موسى وآل هارون تحمله الملائكة إن في ذلك لآية لكم إن كنتم مؤمنين |
| | | उनके नबी ने उनसे कहा, "उसकी बादशाही की निशानी यह है कि वह संदूक तुम्हारे पर आ जाएगा, जिसमें तुम्हारे रह की ओर से सकीनत (प्रशान्ति) और मूसा के लोगों और हारून के लोगों की छोड़ी हुई यादगारें हैं, जिसको फ़रिश्ते उठाए हुए होंगे। यदि तुम ईमानवाले हो तो, निस्संदेह इसमें तुम्हारे लिए बड़ी निशानी है।" |
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256 | 2 | 249 | فلما فصل طالوت بالجنود قال إن الله مبتليكم بنهر فمن شرب منه فليس مني ومن لم يطعمه فإنه مني إلا من اغترف غرفة بيده فشربوا منه إلا قليلا منهم فلما جاوزه هو والذين آمنوا معه قالوا لا طاقة لنا اليوم بجالوت وجنوده قال الذين يظنون أنهم ملاقو الله كم من فئة قليلة غلبت فئة كثيرة بإذن الله والله مع الصابرين |
| | | फिर तब तालूत सेनाएँ लेकर चला तो उनने कहा, "अल्लाह निश्चित रूप से एक नदी द्वारा तुम्हारी परीक्षा लेनेवाला है। तो जिसने उसका पानी पी लिया, वह मुझमें से नहीं है और जिसने उसको नहीं चखा, वही मुझमें से है। यह और बात है कि कोई अपने हाथ से एक चुल्लू भर ले ले।" फिर उनमें से थोड़े लोगों के सिवा सभी ने उसका पानी पी लिया, फिर जब तालूत और ईमानवाले जो उसके साथ थे नदी पार कर गए तो कहने लगे, "आज हममें जालूत और उसकी सेनाओं का मुक़ाबला करने की शक्ति नहीं हैं।" इस पर लोगों ने, जो समझते थे कि उन्हें अल्लाह से मिलना है, कहा, "कितनी ही बार एक छोटी-सी टुकड़ी ने अल्लाह की अनुज्ञा से एक बड़े गिरोह पर विजय पाई है। अल्लाह तो जमनेवालो के साथ है।" |
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257 | 2 | 250 | ولما برزوا لجالوت وجنوده قالوا ربنا أفرغ علينا صبرا وثبت أقدامنا وانصرنا على القوم الكافرين |
| | | और जब वे जालूत और उसकी सेनाओं के मुक़ाबले पर आए तो कहा, "ऐ हमारे रब! हमपर धैर्य उडेल दे और हमारे क़दम जमा दे और इनकार करनेवाले लोगों पर हमें विजय प्रदान कर।" |
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258 | 2 | 251 | فهزموهم بإذن الله وقتل داوود جالوت وآتاه الله الملك والحكمة وعلمه مما يشاء ولولا دفع الله الناس بعضهم ببعض لفسدت الأرض ولكن الله ذو فضل على العالمين |
| | | अन्ततः अल्लाह की अनुज्ञा से उन्होंने उनको पराजित कर दिया और दाऊद ने जालूत को क़त्ल कर दिया, और अल्लाह ने उसे राज्य और तत्वदर्शिता (हिकमत) प्रदान की, जो कुछ वह (दाऊद) चाहे, उससे उसको अवगत कराया। और यदि अल्लाह मनुष्यों के एक गिरोह को दूसरे गिरोह के द्वारा हटाता न रहता तो धरती की व्यवस्था बिगड़ जाती, किन्तु अल्लाह संसारवालों के लिए उदार अनुग्राही है |
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259 | 2 | 252 | تلك آيات الله نتلوها عليك بالحق وإنك لمن المرسلين |
| | | ये अल्लाह की सच्ची आयतें है जो हम तुम्हें (सोद्देश्य) सुना रहे है और निश्चय ही तुम उन लोगों में से हो, जो रसूस बनाकर भेजे गए है |
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260 | 2 | 253 | تلك الرسل فضلنا بعضهم على بعض منهم من كلم الله ورفع بعضهم درجات وآتينا عيسى ابن مريم البينات وأيدناه بروح القدس ولو شاء الله ما اقتتل الذين من بعدهم من بعد ما جاءتهم البينات ولكن اختلفوا فمنهم من آمن ومنهم من كفر ولو شاء الله ما اقتتلوا ولكن الله يفعل ما يريد |
| | | ये रसूल ऐसे हुए है कि इनमें हमने कुछ को कुछ पर श्रेष्ठता प्रदान की। इनमें कुछ से तो अल्लाह ने बातचीत की और इनमें से कुछ को दर्जों की स्पष्ट से उच्चता प्रदान की। और मरयम के बेटे ईसा को हमने खुली निशानियाँ दी और पवित्र आत्मा से उसकी सहायता की। और यदि अल्लाह चाहता तो वे लोग, जो उनके पश्चात हुए, खुली निशानियाँ पा लेने के बाद परस्पर न लड़ते। किन्तु वे विभेद में पड़ गए तो उनमें से कोई तो ईमान लाया और उनमें से किसी ने इनकार की नीति अपनाई। और यदि अल्लाह चाहता तो वे परस्पर न लड़ते, परन्तु अल्लाह जो चाहता है, करता है |
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261 | 2 | 254 | يا أيها الذين آمنوا أنفقوا مما رزقناكم من قبل أن يأتي يوم لا بيع فيه ولا خلة ولا شفاعة والكافرون هم الظالمون |
| | | ऐ ईमान लानेवालो! हमने जो कुछ तुम्हें प्रदान किया है उसमें से ख़र्च करो, इससे पहले कि वह दिन आ जाए जिसमें न कोई क्रय-विक्रय होगा और न कोई मित्रता होगी और न कोई सिफ़ारिश। ज़ालिम वही है, जिन्होंने इनकार की नीति अपनाई है |
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262 | 2 | 255 | الله لا إله إلا هو الحي القيوم لا تأخذه سنة ولا نوم له ما في السماوات وما في الأرض من ذا الذي يشفع عنده إلا بإذنه يعلم ما بين أيديهم وما خلفهم ولا يحيطون بشيء من علمه إلا بما شاء وسع كرسيه السماوات والأرض ولا يئوده حفظهما وهو العلي العظيم |
| | | अल्लाह कि जिसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं, वह जीवन्त-सत्ता है, सबको सँभालने और क़ायम रखनेवाला है। उसे न ऊँघ लगती है और न निद्रा। उसी का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। कौन है जो उसके यहाँ उसकी अनुमति के बिना सिफ़ारिश कर सके? वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है। और वे उसके ज्ञान में से किसी चीज़ पर हावी नहीं हो सकते, सिवाय उसके जो उसने चाहा। उसकी कुर्सी (प्रभुता) आकाशों और धरती को व्याप्त है और उनकी सुरक्षा उसके लिए तनिक भी भारी नहीं और वह उच्च, महान है |
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263 | 2 | 256 | لا إكراه في الدين قد تبين الرشد من الغي فمن يكفر بالطاغوت ويؤمن بالله فقد استمسك بالعروة الوثقى لا انفصام لها والله سميع عليم |
| | | धर्म के विषय में कोई ज़बरदस्ती नहीं। सही बात नासमझी की बात से अलग होकर स्पष्ट हो गई है। तो अब जो कोई बढ़े हुए सरकश को ठुकरा दे और अल्लाह पर ईमान लाए, उसने ऐसा मज़बूत सहारा थाम लिया जो कभी टूटनेवाला नहीं। अल्लाह सब कुछ सुनने, जाननेवाला है |
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