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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
214 | 2 | 207 | ومن الناس من يشري نفسه ابتغاء مرضات الله والله رءوف بالعباد |
| | | और लोगों में वह भी है जो अल्लाह की प्रसन्नता के संसाधन की चाह में अपनी जान खता देता है। अल्लाह भी अपने ऐसे बन्दों के प्रति अत्यन्त करुणाशील है |
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215 | 2 | 208 | يا أيها الذين آمنوا ادخلوا في السلم كافة ولا تتبعوا خطوات الشيطان إنه لكم عدو مبين |
| | | ऐ ईमान लानेवालो! तुम सब इस्लाम में दाख़िल हो जाओ और शैतान के पदचिन्ह पर न चलो। वह तो तुम्हारा खुला हुआ शत्रु है |
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216 | 2 | 209 | فإن زللتم من بعد ما جاءتكم البينات فاعلموا أن الله عزيز حكيم |
| | | फिर यदि तुम उन स्पष्टा दलीलों के पश्चात भी, जो तुम्हारे पास आ चुकी है, फिसल गए, तो भली-भाँति जान रखो कि अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है |
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217 | 2 | 210 | هل ينظرون إلا أن يأتيهم الله في ظلل من الغمام والملائكة وقضي الأمر وإلى الله ترجع الأمور |
| | | क्या वे (इसराईल की सन्तान) बस इसकी प्रतीक्षा कर रहे है कि अल्लाह स्वयं ही बादलों की छायों में उनके सामने आ जाए और फ़रिश्ते भी, हालाँकि बात तय कर दी गई है? मामले तो अल्लाह ही की ओर लौटते है |
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218 | 2 | 211 | سل بني إسرائيل كم آتيناهم من آية بينة ومن يبدل نعمة الله من بعد ما جاءته فإن الله شديد العقاب |
| | | इसराईल की सन्तान से पूछो, हमने उन्हें कितनी खुली-खुली निशानियाँ प्रदान की। और जो अल्लाह की नेमत को इसके बाद कि वह उसे पहुँच चुकी हो बदल डाले, तो निस्संदेह अल्लाह भी कठोर दंड देनेवाला है |
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219 | 2 | 212 | زين للذين كفروا الحياة الدنيا ويسخرون من الذين آمنوا والذين اتقوا فوقهم يوم القيامة والله يرزق من يشاء بغير حساب |
| | | इनकार करनेवाले सांसारिक जीवन पर रीझे हुए है और ईमानवालों का उपहास करते है, जबकि जो लोग अल्लाह का डर रखते है, वे क़ियामत के दिन उनसे ऊपर होंगे। अल्लाह जिस चाहता है बेहिसाब देता है |
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220 | 2 | 213 | كان الناس أمة واحدة فبعث الله النبيين مبشرين ومنذرين وأنزل معهم الكتاب بالحق ليحكم بين الناس فيما اختلفوا فيه وما اختلف فيه إلا الذين أوتوه من بعد ما جاءتهم البينات بغيا بينهم فهدى الله الذين آمنوا لما اختلفوا فيه من الحق بإذنه والله يهدي من يشاء إلى صراط مستقيم |
| | | सारे मनुष्य एक ही समुदाय थे (उन्होंने विभेद किया) तो अल्लाह ने नबियों को भेजा, जो शुभ-सूचना देनेवाले और डरानवाले थे; और उनके साथ हक़ पर आधारित किताब उतारी, ताकि लोगों में उन बातों का जिनमें वे विभेद कर रहे है, फ़ैसला कर दे। इसमें विभेद तो बस उन्हीं लोगों ने, जिन्हें वह मिली थी, परस्पर ज़्यादती करने के लिए इसके पश्चात किया, जबकि खुली निशानियाँ उनके पास आ चुकी थी। अतः ईमानवालों को अल्लाह ने अपनी अनूज्ञा से उस सत्य के विषय में मार्गदर्शन किया, जिसमें उन्होंने विभेद किया था। अल्लाह जिसे चाहता है, सीधे मार्ग पर चलाता है |
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221 | 2 | 214 | أم حسبتم أن تدخلوا الجنة ولما يأتكم مثل الذين خلوا من قبلكم مستهم البأساء والضراء وزلزلوا حتى يقول الرسول والذين آمنوا معه متى نصر الله ألا إن نصر الله قريب |
| | | क्या तुमने यह समझ रखा है कि जन्नत में प्रवेश पा जाओगे, जबकि अभी तुम पर वह सब कुछ नहीं बीता है जो तुमसे पहले के लोगों पर बीत चुका? उनपर तंगियाँ और तकलीफ़े आई और उन्हें हिला मारा गया यहाँ तक कि रसूल बोल उठे और उनके साथ ईमानवाले भी कि अल्लाह की सहायता कब आएगी? जान लो! अल्लाह की सहायता निकट है |
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222 | 2 | 215 | يسألونك ماذا ينفقون قل ما أنفقتم من خير فللوالدين والأقربين واليتامى والمساكين وابن السبيل وما تفعلوا من خير فإن الله به عليم |
| | | वे तुमसे पूछते है, "कितना ख़र्च करें?" कहो, "(पहले यह समझ लो कि) जो माल भी तुमने ख़र्च किया है, वह तो माँ-बाप, नातेदारों और अनाथों, और मुहताजों और मुसाफ़िरों के लिए ख़र्च हुआ है। और जो भलाई भी तुम करो, निस्संदेह अल्लाह उसे भली-भाँति जान लेगा। |
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223 | 2 | 216 | كتب عليكم القتال وهو كره لكم وعسى أن تكرهوا شيئا وهو خير لكم وعسى أن تحبوا شيئا وهو شر لكم والله يعلم وأنتم لا تعلمون |
| | | तुम पर युद्ध अनिवार्य किया गया और वह तुम्हें अप्रिय है, और बहुत सम्भव है कि कोई चीज़ तुम्हें अप्रिय हो और वह तुम्हारे लिए अच्छी हो। और बहुत सम्भव है कि कोई चीज़ तुम्हें प्रिय हो और वह तुम्हारे लिए बुरी हो। और जानता अल्लाह है, और तुम नहीं जानते।" |
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