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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
180 | 2 | 173 | إنما حرم عليكم الميتة والدم ولحم الخنزير وما أهل به لغير الله فمن اضطر غير باغ ولا عاد فلا إثم عليه إن الله غفور رحيم |
| | | उसने तो तुम पर बस मुर्दा जानवर और खून और सूअर का गोश्त और वह जानवर जिस पर ज़बह के वक्त ख़ुदा के सिवा और किसी का नाम लिया गया हो हराम किया है पस जो शख्स मजबूर हो और सरकशी करने वाला और ज्यादती करने वाला न हो (और उनमे से कोई चीज़ खा ले) तो उसपर गुनाह नहीं है बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
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181 | 2 | 174 | إن الذين يكتمون ما أنزل الله من الكتاب ويشترون به ثمنا قليلا أولئك ما يأكلون في بطونهم إلا النار ولا يكلمهم الله يوم القيامة ولا يزكيهم ولهم عذاب أليم |
| | | बेशक जो लोग इन बातों को जो ख़ुदा ने किताब में नाज़िल की है छिपाते हैं और उसके बदले थोड़ी सी क़ीमत (दुनयावी नफ़ा) ले लेतें है ये लोग बस अंगारों से अपने पेट भरते हैं और क़यामत के दिन ख़ुदा उन से बात तक तो करेगा नहीं और न उन्हें (गुनाहों से) पाक करेगा और उन्हीं के लिए दर्दनाक अज़ाब है |
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182 | 2 | 175 | أولئك الذين اشتروا الضلالة بالهدى والعذاب بالمغفرة فما أصبرهم على النار |
| | | यही लोग वह हैं जिन्होंने हिदायत के बदले गुमराही मोल ली और बख्यिय (ख़ुदा) के बदले अज़ाब पस वह लोग दोज़ख़ की आग के क्योंकर बरदाश्त करेंगे |
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183 | 2 | 176 | ذلك بأن الله نزل الكتاب بالحق وإن الذين اختلفوا في الكتاب لفي شقاق بعيد |
| | | ये इसलिए कि ख़ुदा ने बरहक़ किताब नाज़िल की और बेशक जिन लोगों ने किताबे ख़ुदा में रद्दो बदल की वह लोग बड़े पल्ले दरजे की मुख़ालेफत में हैं |
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184 | 2 | 177 | ليس البر أن تولوا وجوهكم قبل المشرق والمغرب ولكن البر من آمن بالله واليوم الآخر والملائكة والكتاب والنبيين وآتى المال على حبه ذوي القربى واليتامى والمساكين وابن السبيل والسائلين وفي الرقاب وأقام الصلاة وآتى الزكاة والموفون بعهدهم إذا عاهدوا والصابرين في البأساء والضراء وحين البأس أولئك الذين صدقوا وأولئك هم المتقون |
| | | नेकी कुछ यही थोड़ी है कि नमाज़ में अपने मुँह पूरब या पश्चिम की तरफ़ कर लो बल्कि नेकी तो उसकी है जो ख़ुदा और रोज़े आख़िरत और फ़रिश्तों और ख़ुदा की किताबों और पैग़म्बरों पर ईमान लाए और उसकी उलफ़त में अपना माल क़राबत दारों और यतीमों और मोहताजो और परदेसियों और माँगने वालों और लौन्डी ग़ुलाम (के गुलू खलासी) में सर्फ करे और पाबन्दी से नमाज़ पढे और ज़कात देता रहे और जब कोई एहद किया तो अपने क़ौल के पूरे हो और फ़क्र व फाक़ा रन्ज और घुटन के वक्त साबित क़दम रहे यही लोग वह हैं जो दावए ईमान में सच्चे निकले और यही लोग परहेज़गार है |
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185 | 2 | 178 | يا أيها الذين آمنوا كتب عليكم القصاص في القتلى الحر بالحر والعبد بالعبد والأنثى بالأنثى فمن عفي له من أخيه شيء فاتباع بالمعروف وأداء إليه بإحسان ذلك تخفيف من ربكم ورحمة فمن اعتدى بعد ذلك فله عذاب أليم |
| | | ऐ मोमिनों जो लोग (नाहक़) मार डाले जाएँ उनके बदले में तुम को जान के बदले जान लेने का हुक्म दिया जाता है आज़ाद के बदले आज़ाद और ग़ुलाम के बदले ग़ुलाम और औरत के बदले औरत पस जिस (क़ातिल) को उसके ईमानी भाई तालिबे केसास की तरफ से कुछ माफ़ कर दिया जाये तो उसे भी उसके क़दम ब क़दम नेकी करना और ख़ुश मआमलती से (ख़ून बहा) अदा कर देना चाहिए ये तुम्हारे परवरदिगार की तरफ आसानी और मेहरबानी है फिर उसके बाद जो ज्यादती करे तो उस के लिए दर्दनाक अज़ाब है |
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186 | 2 | 179 | ولكم في القصاص حياة يا أولي الألباب لعلكم تتقون |
| | | और ऐ अक़लमनदों क़सास (के क़वाएद मुक़र्रर कर देने) में तुम्हारी ज़िन्दगी है (और इसीलिए जारी किया गया है ताकि तुम ख़ूंरेज़ी से) परहेज़ करो |
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187 | 2 | 180 | كتب عليكم إذا حضر أحدكم الموت إن ترك خيرا الوصية للوالدين والأقربين بالمعروف حقا على المتقين |
| | | (मुसलमानों) तुम को हुक्म दिया जाता है कि जब तुम में से किसी के सामने मौत आ खड़ी हो बशर्ते कि वह कुछ माल छोड़ जाएं तो माँ बाप और क़राबतदारों के लिए अच्छी वसीयत करें जो ख़ुदा से डरते हैं उन पर ये एक हक़ है |
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188 | 2 | 181 | فمن بدله بعدما سمعه فإنما إثمه على الذين يبدلونه إن الله سميع عليم |
| | | फिर जो सुन चुका उसके बाद उसे कुछ का कुछ कर दे तो उस का गुनाह उन्हीं लोगों की गरदन पर है जो उसे बदल डालें बेशक ख़ुदा सब कुछ जानता और सुनता है |
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189 | 2 | 182 | فمن خاف من موص جنفا أو إثما فأصلح بينهم فلا إثم عليه إن الله غفور رحيم |
| | | (हाँ अलबत्ता) जो शख्स वसीयत करने वाले से बेजा तरफ़दारी या बे इन्साफी का ख़ौफ रखता है और उन वारिसों में सुलह करा दे तो उस पर बदलने का कुछ गुनाह नहीं है बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
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