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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1677 | 12 | 81 | ارجعوا إلى أبيكم فقولوا يا أبانا إن ابنك سرق وما شهدنا إلا بما علمنا وما كنا للغيب حافظين |
| | | तुम अपने बाप के पास लौटकर जाओ और कहो, "ऐ हमारे बाप! आपके बेटे ने चोरी की है। हमने तो वही कहा जो हमें मालूम हो सका, परोक्ष तो हमारी दृष्टि में था नहीं |
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1678 | 12 | 82 | واسأل القرية التي كنا فيها والعير التي أقبلنا فيها وإنا لصادقون |
| | | आप उस बस्ती से पूछ लीजिए जहाँ हम थे और उस क़ाफ़िलें से भी जिसके साथ होकर हम आए। निस्संदेह हम बिलकुल सच्चे है।" |
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1679 | 12 | 83 | قال بل سولت لكم أنفسكم أمرا فصبر جميل عسى الله أن يأتيني بهم جميعا إنه هو العليم الحكيم |
| | | उसने कहा, "नहीं, बल्कि तुम्हारे जी ही ने तुम्हे पट्टी पढ़ाकर एक बात बना दी है। अब धैर्य से काम लेना ही उत्तम है! बहुत सम्भव है कि अल्लाह उन सबको मेरे पास ले आए। वह तो सर्वज्ञ, अत्यन्त तत्वदर्शी है।" |
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1680 | 12 | 84 | وتولى عنهم وقال يا أسفى على يوسف وابيضت عيناه من الحزن فهو كظيم |
| | | उसने उनकी ओर से मुख फेर लिया और कहने लगा, "हाय अफ़सोस, यूसुफ़ की जुदाई पर!" और ग़म के मारे उसकी आँखें सफ़ेद पड़ गई और वह घुटा जा रहा था |
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1681 | 12 | 85 | قالوا تالله تفتأ تذكر يوسف حتى تكون حرضا أو تكون من الهالكين |
| | | उन्होंने कहा, "अल्लाह की क़सम! आप तो यूसुफ़ ही की याद में लगे रहेंगे, यहाँ तक कि घुलकर रहेंगे या प्राण ही त्याग देंगे।" |
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1682 | 12 | 86 | قال إنما أشكو بثي وحزني إلى الله وأعلم من الله ما لا تعلمون |
| | | उसने कहा, "मैं तो अपनी परेशानी और अपने ग़म की शिकायत अल्लाह ही से करता हूँ और अल्लाह की ओर से जो मैं जानता हूँ, तुम नही जानते |
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1683 | 12 | 87 | يا بني اذهبوا فتحسسوا من يوسف وأخيه ولا تيأسوا من روح الله إنه لا ييأس من روح الله إلا القوم الكافرون |
| | | ऐ मेरे बेटों! जाओ और यूसुफ़ और उसके भाई की टोह लगाओ और अल्लाह की सदयता से निराश न हो। अल्लाह की सदयता से तो केवल कुफ़्र करनेवाले ही निराश होते है।" |
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1684 | 12 | 88 | فلما دخلوا عليه قالوا يا أيها العزيز مسنا وأهلنا الضر وجئنا ببضاعة مزجاة فأوف لنا الكيل وتصدق علينا إن الله يجزي المتصدقين |
| | | फिर जब वे उसके पास उपस्थित हुए तो कहा, "ऐ अज़ीज़! हमें और हमारे घरवालों को बहुत तकलीफ़ पहुँची हैं और हम कुछ तुच्छ-सी पूँजी लेकर आए है, किन्तु आप हमें पूरी-पूरी माप प्रदान करें। और हमें दान दें। निश्चय ही दान करनेवालों को बदला अल्लाह देता है।" |
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1685 | 12 | 89 | قال هل علمتم ما فعلتم بيوسف وأخيه إذ أنتم جاهلون |
| | | उसने कहा, "क्या तुम्हें यह भी मालूम है कि जब तुम आवेग के वशीभूत थे तो यूसुफ़ और उसके भाई के साथ तुमने क्या किया था?" |
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1686 | 12 | 90 | قالوا أإنك لأنت يوسف قال أنا يوسف وهذا أخي قد من الله علينا إنه من يتق ويصبر فإن الله لا يضيع أجر المحسنين |
| | | वे बोल पड़े, "क्या यूसुफ़ आप ही है?" उसने कहा, "मैं ही यूसुफ़ हूँ और यह मेरा भाई है। अल्लाह ने हमपर उपकार किया है। सच तो यह है कि जो कोई डर रखे और धैर्य से काम ले तो अल्लाह भी उत्तमकारों का बदला अकारथ नहीं करता।" |
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