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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
154 | 2 | 147 | الحق من ربك فلا تكونن من الممترين |
| | | सत्य तुम्हारे रब की ओर से है। अतः तुम सन्देह करनेवालों में से कदापि न होगा |
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155 | 2 | 148 | ولكل وجهة هو موليها فاستبقوا الخيرات أين ما تكونوا يأت بكم الله جميعا إن الله على كل شيء قدير |
| | | प्रत्येक की एक ही दिशा है, वह उसी की ओर मुख किेए हुए है, तो तुम भलाईयों में अग्रसरता दिखाओ। जहाँ कहीं भी तुम होगे अल्लाह तुम सबको एकत्र करेगा। निस्संदेह अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है |
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156 | 2 | 149 | ومن حيث خرجت فول وجهك شطر المسجد الحرام وإنه للحق من ربك وما الله بغافل عما تعملون |
| | | और जहाँ से भी तुम निकलों, 'मस्जिदे हराम' (काबा) की ओर अपना मुँह फेर लिया करो। निस्संदेह यही तुम्हारे रब की ओर से हक़ है। जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उससे बेख़बर नहीं है |
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157 | 2 | 150 | ومن حيث خرجت فول وجهك شطر المسجد الحرام وحيث ما كنتم فولوا وجوهكم شطره لئلا يكون للناس عليكم حجة إلا الذين ظلموا منهم فلا تخشوهم واخشوني ولأتم نعمتي عليكم ولعلكم تهتدون |
| | | जहाँ से भी तुम निकलो, 'मस्जिदे हराम' की ओर अपना मुँह फेर लिया करो, और जहाँ कहीं भी तुम हो उसी की ओर मुँह कर लिया करो, ताकि लोगों के पास तुम्हारे ख़िलाफ़ कोई हुज्जत बाक़ी न रहे - सिवाय उन लोगों के जो उनमें ज़ालिम हैं, तुम उनसे न डरो, मुझसे ही डरो - और ताकि मैं तुमपर अपनी नेमत पूरी कर दूँ, और ताकि तुम सीधी राह चलो |
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158 | 2 | 151 | كما أرسلنا فيكم رسولا منكم يتلو عليكم آياتنا ويزكيكم ويعلمكم الكتاب والحكمة ويعلمكم ما لم تكونوا تعلمون |
| | | जैसाकि हमने तुम्हारे बीच एक रसूल तुम्हीं में से भेजा जो तुम्हें हमारी आयतें सुनाता है, तुम्हें निखारता है, और तुम्हें किताब और हिकमत (तत्वदर्शिता) की शिक्षा देता है और तुम्हें वह कुछ सिखाता है, जो तुम जानते न थे |
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159 | 2 | 152 | فاذكروني أذكركم واشكروا لي ولا تكفرون |
| | | अतः तुम मुझे याद रखो, मैं भी तुम्हें याद रखूँगा। और मेरा आभार स्वीकार करते रहना, मेरे प्रति अकृतज्ञता न दिखलाना |
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160 | 2 | 153 | يا أيها الذين آمنوا استعينوا بالصبر والصلاة إن الله مع الصابرين |
| | | ऐ ईमान लानेवालो! धैर्य और नमाज़ से मदद प्राप्त। करो। निस्संदेह अल्लाह उन लोगों के साथ है जो धैर्य और दृढ़ता से काम लेते है |
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161 | 2 | 154 | ولا تقولوا لمن يقتل في سبيل الله أموات بل أحياء ولكن لا تشعرون |
| | | और जो लोग अल्लाह के मार्ग में मारे जाएँ उन्हें मुर्दा न कहो, बल्कि वे जीवित है, परन्तु तुम्हें एहसास नहीं होता |
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162 | 2 | 155 | ولنبلونكم بشيء من الخوف والجوع ونقص من الأموال والأنفس والثمرات وبشر الصابرين |
| | | और हम अवश्य ही कुछ भय से, और कुछ भूख से, और कुछ जान-माल और पैदावार की कमी से तुम्हारी परीक्षा लेंगे। और धैर्य से काम लेनेवालों को शुभ-सूचना दे दो |
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163 | 2 | 156 | الذين إذا أصابتهم مصيبة قالوا إنا لله وإنا إليه راجعون |
| | | जो लोग उस समय, जबकि उनपर कोई मुसीबत आती है, कहते है, "निस्संदेह हम अल्लाह ही के है और हम उसी की ओर लौटने वाले है।" |
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