نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1418 | 10 | 54 | ولو أن لكل نفس ظلمت ما في الأرض لافتدت به وأسروا الندامة لما رأوا العذاب وقضي بينهم بالقسط وهم لا يظلمون |
| | | यदि प्रत्येक अत्याचारी व्यक्ति के पास वह सब कुछ हो जो धरती में है, तो वह अर्थदंड के रूप में उसे दे डाले। जब वे यातना को देखेंगे तो मन ही मन में पछताएँगे। उनके बीच न्यायपूर्वक फ़ैसला कर दिया जाएगा और उनपर कोई अत्याचार न होगा |
|
1419 | 10 | 55 | ألا إن لله ما في السماوات والأرض ألا إن وعد الله حق ولكن أكثرهم لا يعلمون |
| | | सुन लो, जो कुछ आकाशों और धरती में है, अल्लाह ही का है। जान लो, निस्संदेह अल्लाह का वादा सच्चा है, किन्तु उनमें अधिकतर लोग जानते नहीं |
|
1420 | 10 | 56 | هو يحيي ويميت وإليه ترجعون |
| | | वही जिलाता है और मारता है और उसी की ओर तुम लौटाए जा रहे हो |
|
1421 | 10 | 57 | يا أيها الناس قد جاءتكم موعظة من ربكم وشفاء لما في الصدور وهدى ورحمة للمؤمنين |
| | | ऐ लोगो! तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से उपदेश औऱ जो कुछ सीनों में (रोग) है, उसके लिए रोगमुक्ति और मोमिनों के लिए मार्गदर्शन और दयालुता आ चुकी है |
|
1422 | 10 | 58 | قل بفضل الله وبرحمته فبذلك فليفرحوا هو خير مما يجمعون |
| | | कह दो, "यह अल्लाह के अनुग्रह और उसकी दया से है, अतः इस पर प्रसन्न होना चाहिए। यह उन सब चीज़ों से उत्तम है, जिनको वे इकट्ठा करने में लगे हुए है।" |
|
1423 | 10 | 59 | قل أرأيتم ما أنزل الله لكم من رزق فجعلتم منه حراما وحلالا قل آلله أذن لكم أم على الله تفترون |
| | | कह दो, "क्या तुम लोगों ने यह भी देखा कि जो रोज़ी अल्लाह ने तुम्हारे लिए उतारी है उसमें से तुमने स्वयं ही कुछ को हराम और हलाल ठहरा लिया?" कहो, "क्या अल्लाह ने तुम्हें इसकी अनुमति दी है या तुम अल्लाह पर झूठ घड़कर थोप रहे हो?" |
|
1424 | 10 | 60 | وما ظن الذين يفترون على الله الكذب يوم القيامة إن الله لذو فضل على الناس ولكن أكثرهم لا يشكرون |
| | | जो लोग झूठ घड़कर उसे अल्लाह पर थोंपते है, उन्होंने क़ियामत के दिन के विषय में क्या समझ रखा है? अल्लाह तो लोगों के लिए बड़ा अनुग्रहवाला है, किन्तु उनमें अधिकतर कृतज्ञता नहीं दिखलाते |
|
1425 | 10 | 61 | وما تكون في شأن وما تتلو منه من قرآن ولا تعملون من عمل إلا كنا عليكم شهودا إذ تفيضون فيه وما يعزب عن ربك من مثقال ذرة في الأرض ولا في السماء ولا أصغر من ذلك ولا أكبر إلا في كتاب مبين |
| | | तुम जिस दशा में भी होते हो और क़ुरआन से जो कुछ भी पढ़ते हो और तुम लोग जो काम भी करते हो हम तुम्हें देख रहे होते है, जब तुम उसमें लगे होते हो। और तुम्हारे रब से कण भर भी कोई चीज़ छिपी नहीं है, न धरती में न आकाश में और न उससे छोटी और न बड़ी कोई त चीज़ ऐसी है जो एक स्पष्ट किताब में मौजूद न हो |
|
1426 | 10 | 62 | ألا إن أولياء الله لا خوف عليهم ولا هم يحزنون |
| | | सुन लो, अल्लाह के मित्रों को न तो कोई डर है और न वे शोकाकुल ही होंगे |
|
1427 | 10 | 63 | الذين آمنوا وكانوا يتقون |
| | | ये वे लोग है जो ईमान लाए और डर कर रहे |
|