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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1185 | 8 | 25 | واتقوا فتنة لا تصيبن الذين ظلموا منكم خاصة واعلموا أن الله شديد العقاب |
| | | और उस फितने से डरते रहो जो ख़ास उन्हीं लोगों पर नही पड़ेगा जिन्होने तुम में से ज़ुल्म किया (बल्कि तुम सबके सब उसमें पड़ जाओगे) और यक़ीन मानों कि ख़ुदा बड़ा सख्त अज़ाब करने वाला है |
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1186 | 8 | 26 | واذكروا إذ أنتم قليل مستضعفون في الأرض تخافون أن يتخطفكم الناس فآواكم وأيدكم بنصره ورزقكم من الطيبات لعلكم تشكرون |
| | | (मुसलमानों वह वक्त याद करो) जब तुम सर ज़मीन (मक्के) में बहुत कम और बिल्कुल बेबस थे उससे सहमे जाते थे कि कहीं लोग तुमको उचक न ले जाए तो ख़ुदा ने तुमको (मदीने में) पनाह दी और ख़ास अपनी मदद से तुम्हारी ताईद की और तुम्हे पाक व पाकीज़ा चीज़े खाने को दी ताकि तुम शुक्र गुज़ारी करो |
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1187 | 8 | 27 | يا أيها الذين آمنوا لا تخونوا الله والرسول وتخونوا أماناتكم وأنتم تعلمون |
| | | ऐ ईमानदारों न तो ख़ुदा और रसूल की (अमानत में) ख्यानत करो और न अपनी अमानतों में ख्यानत करो हालॉकि समझते बूझते हो |
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1188 | 8 | 28 | واعلموا أنما أموالكم وأولادكم فتنة وأن الله عنده أجر عظيم |
| | | और यक़ीन जानों कि तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद तुम्हारी आज़माइश (इम्तेहान) की चीज़े हैं कि जो उनकी मोहब्बत में भी ख़ुदा को न भूले और वह दीनदार है |
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1189 | 8 | 29 | يا أيها الذين آمنوا إن تتقوا الله يجعل لكم فرقانا ويكفر عنكم سيئاتكم ويغفر لكم والله ذو الفضل العظيم |
| | | और यक़ीनन ख़ुदा के हॉ बड़ी मज़दूरी है ऐ ईमानदारों अगर तुम ख़ुदा से डरते रहोगे तो वह तुम्हारे वास्ते इम्तियाज़ पैदा करे देगा और तुम्हारी तरफ से तुम्हारे गुनाह का कफ्फ़ारा क़रार देगा और तुम्हें बख्श देगा और ख़ुदा बड़ा साहब फज़ल (व करम) है |
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1190 | 8 | 30 | وإذ يمكر بك الذين كفروا ليثبتوك أو يقتلوك أو يخرجوك ويمكرون ويمكر الله والله خير الماكرين |
| | | और (ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब कुफ्फ़ार तुम से फरेब कर रहे थे ताकि तुमको क़ैद कर लें या तुमको मार डाले तुम्हें (घर से) निकाल बाहर करे वह तो ये तदबीर (चालाकी) कर रहे थे और ख़ुदा भी (उनके ख़िलाफ) तदबीरकर रहा था |
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1191 | 8 | 31 | وإذا تتلى عليهم آياتنا قالوا قد سمعنا لو نشاء لقلنا مثل هذا إن هذا إلا أساطير الأولين |
| | | और ख़ुदा तो सब तदबीरकरने वालों से बेहतर है और जब उनके सामने हमारी आयते पढ़ी जाती हैं तो बोल उठते हैं कि हमने सुना तो लेकिन अगर हम चाहें तो यक़ीनन ऐसा ही (क़रार) हम भी कह सकते हैं-तो बस अगलों के क़िस्से है |
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1192 | 8 | 32 | وإذ قالوا اللهم إن كان هذا هو الحق من عندك فأمطر علينا حجارة من السماء أو ائتنا بعذاب أليم |
| | | और (ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब उन काफिरों ने दुआएँ माँगीं थी कि ख़ुदा (वन्द) अगर ये (दीन इस्लाम) हक़ है और तेरे पास से (आया है) तो हम पर आसमान से पत्थर बरसा या हम पर कोई और दर्दनाक अज़ाब ही नाज़िल फरमा |
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1193 | 8 | 33 | وما كان الله ليعذبهم وأنت فيهم وما كان الله معذبهم وهم يستغفرون |
| | | हालॉकि जब तक तुम उनके दरमियान मौजूद हो ख़ुदा उन पर अज़ाब नहीं करेगा और अल्लाह ऐसा भी नही कि लोग तो उससे अपने गुनाहो की माफी माँग रहे हैं और ख़ुदा उन पर नाज़िल फरमाए |
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1194 | 8 | 34 | وما لهم ألا يعذبهم الله وهم يصدون عن المسجد الحرام وما كانوا أولياءه إن أولياؤه إلا المتقون ولكن أكثرهم لا يعلمون |
| | | और जब ये लोग लोगों को मस्जिदुल हराम (ख़ान ए काबा की इबादत) से रोकते है तो फिर उनके लिए कौन सी बात बाक़ी है कि उन पर अज़ाब न नाज़िल करे और ये लोग तो ख़ानाए काबा के मुतवल्ली भी नहीं (फिर क्यों रोकते है) इसके मुतवल्ली तो सिर्फ परहेज़गार लोग हैं मगर इन काफ़िरों में से बहुतेरे नहीं जानते |
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