بسم الله الرحمن الرحيم

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1175815يا أيها الذين آمنوا إذا لقيتم الذين كفروا زحفا فلا تولوهم الأدبار
ऐ ईमानदारों जब तुमसे कुफ्फ़ार से मैदाने जंग में मुक़ाबला हुआ तो (ख़बरदार) उनकी तरफ पीठ न करना
1176816ومن يولهم يومئذ دبره إلا متحرفا لقتال أو متحيزا إلى فئة فقد باء بغضب من الله ومأواه جهنم وبئس المصير
(याद रहे कि) उस शख़्स के सिवा जो लड़ाई वास्ते कतराए या किसी जमाअत के पास (जाकर) मौके पाए (और) जो शख़्स भी उस दिन उन कुफ्फ़ार की तरफ पीठ फेरेगा वह यक़ीनी (हिर फिर के) ख़ुदा के ग़जब में आ गया और उसका ठिकाना जहन्नुम ही हैं और वह क्या बुरा ठिकाना है
1177817فلم تقتلوهم ولكن الله قتلهم وما رميت إذ رميت ولكن الله رمى وليبلي المؤمنين منه بلاء حسنا إن الله سميع عليم
और (मुसलमानों) उन कुफ्फ़ार को कुछ तुमने तो क़त्ल किया नही बल्कि उनको तो ख़ुदा ने क़त्ल किया और (ऐ रसूल) जब तुमने तीर मारा तो कुछ तुमने नही मारा बल्कि ख़ुदा ख़ुदा ने तीर मारा और ताकि अपनी तरफ से मोमिनीन पर खूब एहसान करे बेशक ख़ुदा (सबकी) सुनता और (सब कुछ) जानता है
1178818ذلكم وأن الله موهن كيد الكافرين
ये तो ये ख़ुदा तो काफिरों की मक्कारी का कमज़ोर कर देने वाला है
1179819إن تستفتحوا فقد جاءكم الفتح وإن تنتهوا فهو خير لكم وإن تعودوا نعد ولن تغني عنكم فئتكم شيئا ولو كثرت وأن الله مع المؤمنين
(काफ़िर) अगर तुम ये चाहते हो (कि जो हक़ पर हो उसकी) फ़तेह हो (मुसलमानों की) फ़तेह भी तुम्हारे सामने आ मौजूद हुई अब क्या गुरूर बाक़ी है और अगर तुम (अब भी मुख़तलिफ़ इस्लाम) से बाज़ रहो तो तुम्हारे वास्ते बेहतर है और अगर कहीं तुम पलट पड़े तो (याद रहे) हम भी पलट पड़ेगें (और तुम्हें तबाह कर छोड़ देगें) और तुम्हारी जमाअत अगरचे बहुत ज्यादा भी हो हरगिज़ कुछ काम न आएगी और ख़ुदा तो यक़ीनी मामिनीन के साथ है
1180820يا أيها الذين آمنوا أطيعوا الله ورسوله ولا تولوا عنه وأنتم تسمعون
(ऐ ईमानदारों खुदा और उसके रसूल की इताअत करो और उससे मुँह न मोड़ो जब तुम समझ रहे हो
1181821ولا تكونوا كالذين قالوا سمعنا وهم لا يسمعون
और उन लोगों के ऐसे न हो जाओं जो (मुँह से तो) कहते थे कि हम सुन रहे हैं हालाकि वह सुनते (सुनाते ख़ाक) न थे
1182822إن شر الدواب عند الله الصم البكم الذين لا يعقلون
इसमें शक़ नहीं कि ज़मीन पर चलने वाले तमाम हैवानात से बदतर ख़ुदा के नज़दीक वह बहरे गूँगे (कुफ्फार) हैं जो कुछ नहीं समझते
1183823ولو علم الله فيهم خيرا لأسمعهم ولو أسمعهم لتولوا وهم معرضون
और अगर ख़ुदा उनमें नेकी (की बू भी) देखता तो ज़रूर उनमें सुनने की क़ाबलियत अता करता मगर ये ऐसे हैं कि अगर उनमें सुनने की क़ाबिलयत भी देता तो मुँह फेर कर भागते।
1184824يا أيها الذين آمنوا استجيبوا لله وللرسول إذا دعاكم لما يحييكم واعلموا أن الله يحول بين المرء وقلبه وأنه إليه تحشرون
ऐ ईमानदार जब तुम को हमारा रसूल (मोहम्मद) ऐसे काम के लिए बुलाए जो तुम्हारी रूहानी ज़िन्दगी का बाइस हो तो तुम ख़ुदा और रसूल के हुक्म दिल से कुबूल कर लो और जान लो कि ख़ुदा वह क़ादिर मुतलिक़ है कि आदमी और उसके दिल (इरादे) के दरमियान इस तरह आ जाता है और ये भी समझ लो कि तुम सबके सब उसके सामने हाज़िर किये जाओगे


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