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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1175 | 8 | 15 | يا أيها الذين آمنوا إذا لقيتم الذين كفروا زحفا فلا تولوهم الأدبار |
| | | ऐ ईमानदारों जब तुमसे कुफ्फ़ार से मैदाने जंग में मुक़ाबला हुआ तो (ख़बरदार) उनकी तरफ पीठ न करना |
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1176 | 8 | 16 | ومن يولهم يومئذ دبره إلا متحرفا لقتال أو متحيزا إلى فئة فقد باء بغضب من الله ومأواه جهنم وبئس المصير |
| | | (याद रहे कि) उस शख़्स के सिवा जो लड़ाई वास्ते कतराए या किसी जमाअत के पास (जाकर) मौके पाए (और) जो शख़्स भी उस दिन उन कुफ्फ़ार की तरफ पीठ फेरेगा वह यक़ीनी (हिर फिर के) ख़ुदा के ग़जब में आ गया और उसका ठिकाना जहन्नुम ही हैं और वह क्या बुरा ठिकाना है |
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1177 | 8 | 17 | فلم تقتلوهم ولكن الله قتلهم وما رميت إذ رميت ولكن الله رمى وليبلي المؤمنين منه بلاء حسنا إن الله سميع عليم |
| | | और (मुसलमानों) उन कुफ्फ़ार को कुछ तुमने तो क़त्ल किया नही बल्कि उनको तो ख़ुदा ने क़त्ल किया और (ऐ रसूल) जब तुमने तीर मारा तो कुछ तुमने नही मारा बल्कि ख़ुदा ख़ुदा ने तीर मारा और ताकि अपनी तरफ से मोमिनीन पर खूब एहसान करे बेशक ख़ुदा (सबकी) सुनता और (सब कुछ) जानता है |
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1178 | 8 | 18 | ذلكم وأن الله موهن كيد الكافرين |
| | | ये तो ये ख़ुदा तो काफिरों की मक्कारी का कमज़ोर कर देने वाला है |
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1179 | 8 | 19 | إن تستفتحوا فقد جاءكم الفتح وإن تنتهوا فهو خير لكم وإن تعودوا نعد ولن تغني عنكم فئتكم شيئا ولو كثرت وأن الله مع المؤمنين |
| | | (काफ़िर) अगर तुम ये चाहते हो (कि जो हक़ पर हो उसकी) फ़तेह हो (मुसलमानों की) फ़तेह भी तुम्हारे सामने आ मौजूद हुई अब क्या गुरूर बाक़ी है और अगर तुम (अब भी मुख़तलिफ़ इस्लाम) से बाज़ रहो तो तुम्हारे वास्ते बेहतर है और अगर कहीं तुम पलट पड़े तो (याद रहे) हम भी पलट पड़ेगें (और तुम्हें तबाह कर छोड़ देगें) और तुम्हारी जमाअत अगरचे बहुत ज्यादा भी हो हरगिज़ कुछ काम न आएगी और ख़ुदा तो यक़ीनी मामिनीन के साथ है |
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1180 | 8 | 20 | يا أيها الذين آمنوا أطيعوا الله ورسوله ولا تولوا عنه وأنتم تسمعون |
| | | (ऐ ईमानदारों खुदा और उसके रसूल की इताअत करो और उससे मुँह न मोड़ो जब तुम समझ रहे हो |
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1181 | 8 | 21 | ولا تكونوا كالذين قالوا سمعنا وهم لا يسمعون |
| | | और उन लोगों के ऐसे न हो जाओं जो (मुँह से तो) कहते थे कि हम सुन रहे हैं हालाकि वह सुनते (सुनाते ख़ाक) न थे |
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1182 | 8 | 22 | إن شر الدواب عند الله الصم البكم الذين لا يعقلون |
| | | इसमें शक़ नहीं कि ज़मीन पर चलने वाले तमाम हैवानात से बदतर ख़ुदा के नज़दीक वह बहरे गूँगे (कुफ्फार) हैं जो कुछ नहीं समझते |
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1183 | 8 | 23 | ولو علم الله فيهم خيرا لأسمعهم ولو أسمعهم لتولوا وهم معرضون |
| | | और अगर ख़ुदा उनमें नेकी (की बू भी) देखता तो ज़रूर उनमें सुनने की क़ाबलियत अता करता मगर ये ऐसे हैं कि अगर उनमें सुनने की क़ाबिलयत भी देता तो मुँह फेर कर भागते। |
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1184 | 8 | 24 | يا أيها الذين آمنوا استجيبوا لله وللرسول إذا دعاكم لما يحييكم واعلموا أن الله يحول بين المرء وقلبه وأنه إليه تحشرون |
| | | ऐ ईमानदार जब तुम को हमारा रसूल (मोहम्मद) ऐसे काम के लिए बुलाए जो तुम्हारी रूहानी ज़िन्दगी का बाइस हो तो तुम ख़ुदा और रसूल के हुक्म दिल से कुबूल कर लो और जान लो कि ख़ुदा वह क़ादिर मुतलिक़ है कि आदमी और उसके दिल (इरादे) के दरमियान इस तरह आ जाता है और ये भी समझ लो कि तुम सबके सब उसके सामने हाज़िर किये जाओगे |
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