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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1137 | 7 | 183 | وأملي لهم إن كيدي متين |
| | | और मैं उन्हें (दुनिया में) ढील दूंगा बेशक मेरी तद्बीर (पुख्ता और) मज़बूत है |
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1138 | 7 | 184 | أولم يتفكروا ما بصاحبهم من جنة إن هو إلا نذير مبين |
| | | क्या उन लोगों ने इतना भी ख्याल न किया कि आख़िर उनके रफीक़ (मोहम्मद ) को कुछ जुनून तो नहीं वह तो बस खुल्लम खुल्ला (अज़ाबे ख़ुदा से) डराने वाले हैं |
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1139 | 7 | 185 | أولم ينظروا في ملكوت السماوات والأرض وما خلق الله من شيء وأن عسى أن يكون قد اقترب أجلهم فبأي حديث بعده يؤمنون |
| | | क्या उन लोगों ने आसमान व ज़मीन की हुकूमत और ख़ुदा की पैदा की हुई चीज़ों में ग़ौर नहीं किया और न इस बात में कि यायद उनकी मौत क़रीब आ गई हो फिर इतना समझाने के बाद (भला) किस बात पर ईमान लाएंगें |
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1140 | 7 | 186 | من يضلل الله فلا هادي له ويذرهم في طغيانهم يعمهون |
| | | जिसे ख़ुदा गुमराही में छोड़ दे फिर उसका कोई राहबर नहीं और उन्हीं की सरकशी (व शरारत) में छोड़ देगा कि सरगरदॉ रहें |
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1141 | 7 | 187 | يسألونك عن الساعة أيان مرساها قل إنما علمها عند ربي لا يجليها لوقتها إلا هو ثقلت في السماوات والأرض لا تأتيكم إلا بغتة يسألونك كأنك حفي عنها قل إنما علمها عند الله ولكن أكثر الناس لا يعلمون |
| | | (ऐ रसूल) तुमसे लोग क़यामत के बारे में पूछा करते हैं कि कहीं उसका कोई वक्त भी तय है तुम कह दो कि उसका इल्म बस फक़त पररवदिगार ही को है वही उसके वक्त मुअय्यन पर उसको ज़ाहिर कर देगा। वह सारे आसमान व ज़मीन में एक कठिन वक्त होगा वह तुम्हारे पास पस अचानक आ जाएगी तुमसे लोग इस तरह पूछते हैं गोया तुम उनसे बखूबी वाक़िफ हो तुम (साफ) कह दो कि उसका इल्म बस ख़ुदा ही को है मगर बहुतेरे लोग नहीं जानते |
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1142 | 7 | 188 | قل لا أملك لنفسي نفعا ولا ضرا إلا ما شاء الله ولو كنت أعلم الغيب لاستكثرت من الخير وما مسني السوء إن أنا إلا نذير وبشير لقوم يؤمنون |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मै ख़ुद अपना आप तो एख़तियार रखता ही नहीं न नफे क़ा न ज़रर का मगर बस वही ख़ुदा जो चाहे और अगर (बग़ैर ख़ुदा के बताए) गैब को जानता होता तो यक़ीनन मै अपना बहुत सा फ़ायदा कर लेता और मुझे कभी कोई तकलीफ़ भी न पहुँचती मै तो सिर्फ ईमानदारों को (अज़ाब से डराने वाला) और वेहशत की खुशख़बरी देने वाला हँ |
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1143 | 7 | 189 | هو الذي خلقكم من نفس واحدة وجعل منها زوجها ليسكن إليها فلما تغشاها حملت حملا خفيفا فمرت به فلما أثقلت دعوا الله ربهما لئن آتيتنا صالحا لنكونن من الشاكرين |
| | | वह ख़ुदा ही तो है जिसने तुमको एक शख़्श (आदम) से पैदा किया और उसकी बची हुई मिट्टी से उसका जोड़ा भी बना डाला ताकि उसके साथ रहे सहे फिर जब इन्सान अपनी बीबी से हम बिस्तरी करता है तो बीबी एक हलके से हमल से हमला हो जाती है फिर उसे लिए चलती फिरती है फिर जब वह (ज्यादा दिन होने से बोझल हो जाती है तो दोनो (मिया बीबी) अपने परवरदिगार ख़ुदा से दुआ करने लगे कि अगर तो हमें नेक फरज़न्द अता फरमा तो हम ज़रूर तेरे शुक्रगुज़ार होगें |
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1144 | 7 | 190 | فلما آتاهما صالحا جعلا له شركاء فيما آتاهما فتعالى الله عما يشركون |
| | | फिर जब ख़ुदा ने उनको नेक (फरज़न्द) अता फ़रमा दिया तो जो (औलाद) ख़ुदा ने उन्हें अता किया था लगे उसमें ख़ुदा का शरीक बनाने तो ख़ुदा (की शान) शिर्क से बहुत ऊँची है |
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1145 | 7 | 191 | أيشركون ما لا يخلق شيئا وهم يخلقون |
| | | क्या वह लोग ख़ुदा का शरीक ऐसों को बनाते हैं जो कुछ भी पैदा नहीं कर सकते बल्कि वह ख़ुद (ख़ुदा के) पैदा किए हुए हैं |
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1146 | 7 | 192 | ولا يستطيعون لهم نصرا ولا أنفسهم ينصرون |
| | | और न उनकी मदद की कुदरत रखते हैं और न आप अपनी मदद कर सकते हैं |
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