بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
11377183وأملي لهم إن كيدي متين
और मैं उन्हें (दुनिया में) ढील दूंगा बेशक मेरी तद्बीर (पुख्ता और) मज़बूत है
11387184أولم يتفكروا ما بصاحبهم من جنة إن هو إلا نذير مبين
क्या उन लोगों ने इतना भी ख्याल न किया कि आख़िर उनके रफीक़ (मोहम्मद ) को कुछ जुनून तो नहीं वह तो बस खुल्लम खुल्ला (अज़ाबे ख़ुदा से) डराने वाले हैं
11397185أولم ينظروا في ملكوت السماوات والأرض وما خلق الله من شيء وأن عسى أن يكون قد اقترب أجلهم فبأي حديث بعده يؤمنون
क्या उन लोगों ने आसमान व ज़मीन की हुकूमत और ख़ुदा की पैदा की हुई चीज़ों में ग़ौर नहीं किया और न इस बात में कि यायद उनकी मौत क़रीब आ गई हो फिर इतना समझाने के बाद (भला) किस बात पर ईमान लाएंगें
11407186من يضلل الله فلا هادي له ويذرهم في طغيانهم يعمهون
जिसे ख़ुदा गुमराही में छोड़ दे फिर उसका कोई राहबर नहीं और उन्हीं की सरकशी (व शरारत) में छोड़ देगा कि सरगरदॉ रहें
11417187يسألونك عن الساعة أيان مرساها قل إنما علمها عند ربي لا يجليها لوقتها إلا هو ثقلت في السماوات والأرض لا تأتيكم إلا بغتة يسألونك كأنك حفي عنها قل إنما علمها عند الله ولكن أكثر الناس لا يعلمون
(ऐ रसूल) तुमसे लोग क़यामत के बारे में पूछा करते हैं कि कहीं उसका कोई वक्त भी तय है तुम कह दो कि उसका इल्म बस फक़त पररवदिगार ही को है वही उसके वक्त मुअय्यन पर उसको ज़ाहिर कर देगा। वह सारे आसमान व ज़मीन में एक कठिन वक्त होगा वह तुम्हारे पास पस अचानक आ जाएगी तुमसे लोग इस तरह पूछते हैं गोया तुम उनसे बखूबी वाक़िफ हो तुम (साफ) कह दो कि उसका इल्म बस ख़ुदा ही को है मगर बहुतेरे लोग नहीं जानते
11427188قل لا أملك لنفسي نفعا ولا ضرا إلا ما شاء الله ولو كنت أعلم الغيب لاستكثرت من الخير وما مسني السوء إن أنا إلا نذير وبشير لقوم يؤمنون
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मै ख़ुद अपना आप तो एख़तियार रखता ही नहीं न नफे क़ा न ज़रर का मगर बस वही ख़ुदा जो चाहे और अगर (बग़ैर ख़ुदा के बताए) गैब को जानता होता तो यक़ीनन मै अपना बहुत सा फ़ायदा कर लेता और मुझे कभी कोई तकलीफ़ भी न पहुँचती मै तो सिर्फ ईमानदारों को (अज़ाब से डराने वाला) और वेहशत की खुशख़बरी देने वाला हँ
11437189هو الذي خلقكم من نفس واحدة وجعل منها زوجها ليسكن إليها فلما تغشاها حملت حملا خفيفا فمرت به فلما أثقلت دعوا الله ربهما لئن آتيتنا صالحا لنكونن من الشاكرين
वह ख़ुदा ही तो है जिसने तुमको एक शख़्श (आदम) से पैदा किया और उसकी बची हुई मिट्टी से उसका जोड़ा भी बना डाला ताकि उसके साथ रहे सहे फिर जब इन्सान अपनी बीबी से हम बिस्तरी करता है तो बीबी एक हलके से हमल से हमला हो जाती है फिर उसे लिए चलती फिरती है फिर जब वह (ज्यादा दिन होने से बोझल हो जाती है तो दोनो (मिया बीबी) अपने परवरदिगार ख़ुदा से दुआ करने लगे कि अगर तो हमें नेक फरज़न्द अता फरमा तो हम ज़रूर तेरे शुक्रगुज़ार होगें
11447190فلما آتاهما صالحا جعلا له شركاء فيما آتاهما فتعالى الله عما يشركون
फिर जब ख़ुदा ने उनको नेक (फरज़न्द) अता फ़रमा दिया तो जो (औलाद) ख़ुदा ने उन्हें अता किया था लगे उसमें ख़ुदा का शरीक बनाने तो ख़ुदा (की शान) शिर्क से बहुत ऊँची है
11457191أيشركون ما لا يخلق شيئا وهم يخلقون
क्या वह लोग ख़ुदा का शरीक ऐसों को बनाते हैं जो कुछ भी पैदा नहीं कर सकते बल्कि वह ख़ुद (ख़ुदा के) पैदा किए हुए हैं
11467192ولا يستطيعون لهم نصرا ولا أنفسهم ينصرون
और न उनकी मदद की कुदरत रखते हैं और न आप अपनी मदद कर सकते हैं


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