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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
114 | 2 | 107 | ألم تعلم أن الله له ملك السماوات والأرض وما لكم من دون الله من ولي ولا نصير |
| | | क्या तुम नहीं जानते कि आकाशों और धरती का राज्य अल्लाह ही का है और अल्लाह से हटकर न तुम्हारा कोई मित्र है और न सहायक? |
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115 | 2 | 108 | أم تريدون أن تسألوا رسولكم كما سئل موسى من قبل ومن يتبدل الكفر بالإيمان فقد ضل سواء السبيل |
| | | (ऐ ईमानवालों! तुम अपने रसूल के आदर का ध्यान रखो) या तुम चाहते हो कि अपने रसूल से उसी प्रकार से प्रश्न और बात करो, जिस प्रकार इससे पहले मूसा से बात की गई है? हालाँकि जिस व्यक्ति न ईमान के बदले इनकार की नीति अपनाई, तो वह सीधे रास्ते से भटक गया |
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116 | 2 | 109 | ود كثير من أهل الكتاب لو يردونكم من بعد إيمانكم كفارا حسدا من عند أنفسهم من بعد ما تبين لهم الحق فاعفوا واصفحوا حتى يأتي الله بأمره إن الله على كل شيء قدير |
| | | बहुत-से किताबवाले अपने भीतर की ईर्ष्या से चाहते है कि किसी प्रकार वे तुम्हारे ईमान लाने के बाद फेरकर तुम्हे इनकार कर देनेवाला बना दें, यद्यपि सत्य उनपर प्रकट हो चुका है, तो तुम दरगुज़र (क्षमा) से काम लो और जाने दो यहाँ तक कि अल्लाह अपना फ़ैसला लागू न कर दे। निस्संदेह अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है |
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117 | 2 | 110 | وأقيموا الصلاة وآتوا الزكاة وما تقدموا لأنفسكم من خير تجدوه عند الله إن الله بما تعملون بصير |
| | | और नमाज़ कायम करो और ज़कात दो और तुम स्वयं अपने लिए जो भलाई भी पेश करोगे, उसे अल्लाह के यहाँ मौजूद पाओगे। निस्संदेह जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसे देख रहा है |
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118 | 2 | 111 | وقالوا لن يدخل الجنة إلا من كان هودا أو نصارى تلك أمانيهم قل هاتوا برهانكم إن كنتم صادقين |
| | | और उनका कहना है, "कोई व्यक्ति जन्नत में प्रवेश नहीं करता सिवाय उससे जो यहूदी है या ईसाई है।" ये उनकी अपनी निराधार कामनाएँ है। कहो, "यदि तुम सच्चे हो तो अपने प्रमाण पेश करो।" |
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119 | 2 | 112 | بلى من أسلم وجهه لله وهو محسن فله أجره عند ربه ولا خوف عليهم ولا هم يحزنون |
| | | क्यों नहीं, जिसने भी अपने-आपको अल्लाह के प्रति समर्पित कर दिया और उसका कर्म भी अच्छे से अच्छा हो तो उसका प्रतिदान उसके रब के पास है और ऐसे लोगो के लिए न तो कोई भय होगा और न वे शोकाकुल होंगे |
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120 | 2 | 113 | وقالت اليهود ليست النصارى على شيء وقالت النصارى ليست اليهود على شيء وهم يتلون الكتاب كذلك قال الذين لا يعلمون مثل قولهم فالله يحكم بينهم يوم القيامة فيما كانوا فيه يختلفون |
| | | यहूदियों ने कहा, "ईसाईयों की कोई बुनियाद नहीं।" और ईसाइयों ने कहा, "यहूदियों की कोई बुनियाद नहीं।" हालाँकि वे किताब का पाठ करते है। इसी तरह की बात उन्होंने भी कही है जो ज्ञान से वंचित है। तो अल्लाह क़यामत के दिन उनके बीच उस चीज़ के विषय में निर्णय कर देगा, जिसके विषय में वे विभेद कर रहे है |
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121 | 2 | 114 | ومن أظلم ممن منع مساجد الله أن يذكر فيها اسمه وسعى في خرابها أولئك ما كان لهم أن يدخلوها إلا خائفين لهم في الدنيا خزي ولهم في الآخرة عذاب عظيم |
| | | और उससे बढ़कर अत्याचारी और कौन होगा जिसने अल्लाह की मस्जिदों को उसके नाम के स्मरण से वंचित रखा और उन्हें उजाडने पर उतारू रहा? ऐसे लोगों को तो बस डरते हुए ही उसमें प्रवेश करना चाहिए था। उनके लिए संसार में रुसवाई (अपमान) है और उनके लिए आख़िरत में बड़ी यातना नियत है |
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122 | 2 | 115 | ولله المشرق والمغرب فأينما تولوا فثم وجه الله إن الله واسع عليم |
| | | पूरब और पश्चिम अल्लाह ही के है, अतः जिस ओर भी तुम रुख करो उसी ओर अल्लाह का रुख़ है। निस्संदेह अल्लाह बड़ा समाईवाला (सर्वव्यापी) सर्वज्ञ है |
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123 | 2 | 116 | وقالوا اتخذ الله ولدا سبحانه بل له ما في السماوات والأرض كل له قانتون |
| | | कहते है, अल्लाह औलाद रखता है - महिमावाला है वह! (पूरब और पश्चिम हीं नहीं, बल्कि) आकाशों और धरती में जो कुछ भी है, उसी का है। सभी उसके आज्ञाकारी है |
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