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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1101 | 7 | 147 | والذين كذبوا بآياتنا ولقاء الآخرة حبطت أعمالهم هل يجزون إلا ما كانوا يعملون |
| | | और जिन लोगों ने हमारी आयतों को और आख़िरत की हुज़ूरी को झूठलाया उनका सब किया कराया अकारत हो गया, उनको बस उन्हीं आमाल की जज़ा या सज़ा दी जाएगी जो वह करते थे |
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1102 | 7 | 148 | واتخذ قوم موسى من بعده من حليهم عجلا جسدا له خوار ألم يروا أنه لا يكلمهم ولا يهديهم سبيلا اتخذوه وكانوا ظالمين |
| | | और मूसा की क़ौम ने (कोहेतूर पर) उनके जाने के बाद अपने जेवरों को (गलाकर) एक बछड़े की मूरत बनाई (यानि) एक जिस्म जिसमें गाए की सी आवाज़ थी (अफसोस) क्या उन लोगों ने इतना भी न देखा कि वह न तो उनसे बात ही कर सकता और न किसी तरह की हिदायत ही कर सकता है (खुलासा) उन लोगों ने उसे (अपनी माबूद बना लिया) |
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1103 | 7 | 149 | ولما سقط في أيديهم ورأوا أنهم قد ضلوا قالوا لئن لم يرحمنا ربنا ويغفر لنا لنكونن من الخاسرين |
| | | और आप अपने ऊपर ज़ुल्म करते थे और जब वह पछताए और उन्होने अपने को यक़ीनी गुमराह देख लिया तब कहने लगे कि अगर हमारा परदिगार हम पर रहम नहीं करेगा और हमारा कुसूर न माफ़ करेगा तो हम यक़ीनी घाटा उठाने वालों में हो जाएगें |
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1104 | 7 | 150 | ولما رجع موسى إلى قومه غضبان أسفا قال بئسما خلفتموني من بعدي أعجلتم أمر ربكم وألقى الألواح وأخذ برأس أخيه يجره إليه قال ابن أم إن القوم استضعفوني وكادوا يقتلونني فلا تشمت بي الأعداء ولا تجعلني مع القوم الظالمين |
| | | और जब मूसा पलट कर अपनी क़ौम की तरफ आए तो (ये हालत देखकर) रंज व गुस्से में (अपनी क़ौम से) कहने लगे कि तुम लोगों ने मेरे बाद बहुत बुरी हरकत की-तुम लोग अपने परवरदिगार के हुक्म (मेरे आने में) किस कदर जल्दी कर बैठे और (तौरैत की) तख्तियों को फेंक दिया और अपने भाई (हारून) के सर (के बालों को पकड़ कर अपनी तर फ खींचने लगे) उस पर हारून ने कहा ऐ मेरे मांजाए (भाई) मै क्या करता क़ौम ने मुझे हक़ीर समझा और (मेरा कहना न माना) बल्कि क़रीब था कि मुझे मार डाले तो मुझ पर दुश्मनों को न हॅसवाइए और मुझे उन ज़ालिम लोगों के साथ न करार दीजिए |
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1105 | 7 | 151 | قال رب اغفر لي ولأخي وأدخلنا في رحمتك وأنت أرحم الراحمين |
| | | तब) मूसा ने कहा ऐ मेरे परवरदिगार मुझे और मेरे भाई को बख्श दे और हमें अपनी रहमत में दाख़िल कर और तू सबसे बढ़के रहम करने वाला है |
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1106 | 7 | 152 | إن الذين اتخذوا العجل سينالهم غضب من ربهم وذلة في الحياة الدنيا وكذلك نجزي المفترين |
| | | बेशक जिन लोगों ने बछड़े को (अपना माबूद) बना लिया उन पर अनक़रीब ही उनके परवरदिगार की तरफ से अज़ाब नाज़िल होगा और दुनियावी ज़िन्दगी में ज़िल्लत (उसके अलावा) और हम बोहतान बॉधने वालों की ऐसी ही सज़ा करते हैं |
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1107 | 7 | 153 | والذين عملوا السيئات ثم تابوا من بعدها وآمنوا إن ربك من بعدها لغفور رحيم |
| | | और जिन लोगों ने बुरे काम किए फिर उसके बाद तौबा कर ली और ईमान लाए तो बेशक तुम्हारा परवरदिगार तौबा के बाद ज़रूर बख्शने वाला मेहरबान है |
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1108 | 7 | 154 | ولما سكت عن موسى الغضب أخذ الألواح وفي نسختها هدى ورحمة للذين هم لربهم يرهبون |
| | | और जब मूसा का गुस्सा ठण्डा हुआ तो (तौरैत) की तख्तियों को (ज़मीन से) उठा लिया और तौरैत के नुस्खे में जो लोग अपने परवरदिगार से डरते है उनके लिए हिदायत और रहमत है |
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1109 | 7 | 155 | واختار موسى قومه سبعين رجلا لميقاتنا فلما أخذتهم الرجفة قال رب لو شئت أهلكتهم من قبل وإياي أتهلكنا بما فعل السفهاء منا إن هي إلا فتنتك تضل بها من تشاء وتهدي من تشاء أنت ولينا فاغفر لنا وارحمنا وأنت خير الغافرين |
| | | और मूसा ने अपनी क़ौम से हमारा वायदा पूरा करने को (कोहतूर पर ले जाने के वास्ते) सत्तर आदमियों को चुना फिर जब उनको ज़लज़ले ने आ पकड़ा तो हज़रत मूसा ने अर्ज़ किया परवरदिगार अगर तू चाहता तो मुझको और उन सबको पहले ही हलाक़ कर डालता क्या हम में से चन्द बेवकूफों की करनी की सज़ा में हमको हलाक़ करता है ये तो सिर्फ तेरी आज़माइश थी तू जिसे चाहे उसे गुमराही में छोड़ दे और जिसको चाहे हिदायत दे तू ही हमारा मालिक है तू ही हमारे कुसूर को माफ कर और हम पर रहम कर और तू तो तमाम बख्शने वालों से कहीें बेहतर है |
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1110 | 7 | 156 | واكتب لنا في هذه الدنيا حسنة وفي الآخرة إنا هدنا إليك قال عذابي أصيب به من أشاء ورحمتي وسعت كل شيء فسأكتبها للذين يتقون ويؤتون الزكاة والذين هم بآياتنا يؤمنون |
| | | और तू ही इस दुनिया (फ़ानी) और आख़िरत में हमारे वास्ते भलाई के लिए लिख ले हम तेरी ही तरफ रूझू करते हैं ख़ुदा ने फरमाया जिसको मैं चाहता हूँ (मुस्तहक़ समझकर) अपना अज़ाब पहुँचा देता हूँ और मेरी रहमत हर चीज़ पर छाई हैं मै तो उसे बहुत जल्द ख़ास उन लोगों के लिए लिख दूँगा (जो बुरी बातों से) बचते रहेंगे और ज़कात दिया करेंगे और जो हमारी बातों पर ईमान रखा करेंगें |
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