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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1061 | 7 | 107 | فألقى عصاه فإذا هي ثعبان مبين |
| | | (ये सुनते ही) मूसा ने अपनी छड़ी (ज़मीन पर) डाल दी पस वह यकायक (अच्छा खासा) ज़ाहिर बज़ाहिर अजदहा बन गई |
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1062 | 7 | 108 | ونزع يده فإذا هي بيضاء للناظرين |
| | | और अपना हाथ बाहर निकाला तो क्या देखते है कि वह हर शख़्श की नज़र मे जगमगा रहा है |
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1063 | 7 | 109 | قال الملأ من قوم فرعون إن هذا لساحر عليم |
| | | तब फिरऔन के क़ौम के चन्द सरदारों ने कहा ये तो अलबत्ता बड़ा माहिर जादूगर है |
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1064 | 7 | 110 | يريد أن يخرجكم من أرضكم فماذا تأمرون |
| | | ये चाहता है कि तुम्हें तुम्हारें मुल्क से निकाल बाहर कर दे तो अब तुम लोग उसके बारे में क्या सलाह देते हो |
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1065 | 7 | 111 | قالوا أرجه وأخاه وأرسل في المدائن حاشرين |
| | | (आख़िर) सबने मुत्तफिक़ अलफाज़ (एक ज़बान होकर) कहा कि (ऐ फिरऔन) उनको और उनके भाई (हारून) को चन्द दिन कैद में रखिए और (एतराफ़ के) शहरों में हरकारों को भेजिए |
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1066 | 7 | 112 | يأتوك بكل ساحر عليم |
| | | कि तमाम बड़े बड़े जादूगरों का जमा करके अपके पास दरबार में हाज़िर करें |
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1067 | 7 | 113 | وجاء السحرة فرعون قالوا إن لنا لأجرا إن كنا نحن الغالبين |
| | | ग़रज़ जादूगर सब फिरऔन के पास हाज़िर होकर कहने लगे कि अगर हम (मूसा से) जीत जाएं तो हमको बड़ा भारी इनाम ज़रुर मिलना चाहिए |
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1068 | 7 | 114 | قال نعم وإنكم لمن المقربين |
| | | फिरऔन ने कहा (हॉ इनाम ही नहीं) बल्कि फिर तो तुम हमारे दरबार के मुक़र्रेबीन में से होगें |
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1069 | 7 | 115 | قالوا يا موسى إما أن تلقي وإما أن نكون نحن الملقين |
| | | और मुक़र्रर वक्त पर सब जमा हुए तो बोल उठे कि ऐ मूसा या तो तुम्हें (अपने मुन्तसिर (मंत्र)) या हम ही (अपने अपने मंत्र फेके) |
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1070 | 7 | 116 | قال ألقوا فلما ألقوا سحروا أعين الناس واسترهبوهم وجاءوا بسحر عظيم |
| | | मूसा ने कहा (अच्छा पहले) तुम ही फेक (के अपना हौसला निकालो) तो तब जो ही उन लोगों ने (अपनी रस्सियाँ) डाली तो लोगों की नज़र बन्दी कर दी (कि सब सापँ मालूम होने लगे) और लोगों को डरा दिया |
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