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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
100 | 2 | 93 | وإذ أخذنا ميثاقكم ورفعنا فوقكم الطور خذوا ما آتيناكم بقوة واسمعوا قالوا سمعنا وعصينا وأشربوا في قلوبهم العجل بكفرهم قل بئسما يأمركم به إيمانكم إن كنتم مؤمنين |
| | | कहो, "यदि अल्लाह के निकट आख़िरत का घर सारे इनसानों को छोड़कर केवल तुम्हारे ही लिए है, फिर तो मृत्यु की कामना करो, यदि तुम सच्चे हो।" |
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101 | 2 | 94 | قل إن كانت لكم الدار الآخرة عند الله خالصة من دون الناس فتمنوا الموت إن كنتم صادقين |
| | | अपने हाथों इन्होंने जो कुछ आगे भेजा है उसके कारण वे कदापि उसकी कामना न करेंगे; अल्लाह तो ज़ालिमों को भली-भाँति जानता है |
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102 | 2 | 95 | ولن يتمنوه أبدا بما قدمت أيديهم والله عليم بالظالمين |
| | | अपने हाथों इन्होंने जो कुछ आगे भेजा है उसके कारण वे कदापि उसकी कामना न करेंगे; अल्लाह तो जालिमों को भली-भाँति जानता है |
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103 | 2 | 96 | ولتجدنهم أحرص الناس على حياة ومن الذين أشركوا يود أحدهم لو يعمر ألف سنة وما هو بمزحزحه من العذاب أن يعمر والله بصير بما يعملون |
| | | तुम उन्हें सब लोगों से बढ़कर जीवन का लोभी पाओगे, यहाँ तक कि वे इस सम्बन्ध में शिर्क करनेवालो से भी बढ़े हुए है। उनका तो प्रत्येक व्यक्ति यह इच्छा रखता है कि क्या ही अच्छा होता कि उस हज़ार वर्ष की आयु मिले, जबकि यदि उसे यह आयु प्राप्त भी जाए, तो भी वह अपने आपको यातना से नहीं बचा सकता। अल्लाह देख रहा है, जो कुछ वे कर रहे है |
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104 | 2 | 97 | قل من كان عدوا لجبريل فإنه نزله على قلبك بإذن الله مصدقا لما بين يديه وهدى وبشرى للمؤمنين |
| | | कहो, "जो कोई जिबरील का शत्रु हो, (तो वह अल्लाह का शत्रु है) क्योंकि उसने तो उसे अल्लाह ही के हुक्म से तम्हारे दिल पर उतारा है, जो उन (भविष्यवाणियों) के सर्वथा अनुकूल है जो उससे पहले से मौजूद हैं; और ईमानवालों के लिए मार्गदर्शन और शुभ-सूचना है |
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105 | 2 | 98 | من كان عدوا لله وملائكته ورسله وجبريل وميكال فإن الله عدو للكافرين |
| | | जो कोई अल्लाह और उसके फ़रिश्तों और उसके रसूलों और जिबरील और मीकाईल का शत्रु हो, तो ऐसे इनकार करनेवालों का अल्लाह शत्रु है।" |
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106 | 2 | 99 | ولقد أنزلنا إليك آيات بينات وما يكفر بها إلا الفاسقون |
| | | और हमने तुम्हारी ओर खुली-खुली आयतें उतारी है और उनका इनकार तो बस वही लोग करते हैस जो उल्लंघनकारी हैं |
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107 | 2 | 100 | أوكلما عاهدوا عهدا نبذه فريق منهم بل أكثرهم لا يؤمنون |
| | | क्या यह एक निश्चित नीति है कि जब कि उन्होंने कोई वचन दिया तो उनके एक गिरोह ने उसे उठा फेंका? बल्कि उनमें अधिकतर ईमान ही नहीं रखते |
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108 | 2 | 101 | ولما جاءهم رسول من عند الله مصدق لما معهم نبذ فريق من الذين أوتوا الكتاب كتاب الله وراء ظهورهم كأنهم لا يعلمون |
| | | और जब उनके पास अल्लाह की ओर से एक रसूल आया, जिससे उस (भविष्यवाणी) की पुष्टि हो रही है जो उनके पास थी, तो उनके एक गिरोह ने, जिन्हें किताब मिली थी, अल्लाह की किताब को अपने पीठ पीछे डाल दिया, मानो वे कुछ जानते ही नही |
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109 | 2 | 102 | واتبعوا ما تتلو الشياطين على ملك سليمان وما كفر سليمان ولكن الشياطين كفروا يعلمون الناس السحر وما أنزل على الملكين ببابل هاروت وماروت وما يعلمان من أحد حتى يقولا إنما نحن فتنة فلا تكفر فيتعلمون منهما ما يفرقون به بين المرء وزوجه وما هم بضارين به من أحد إلا بإذن الله ويتعلمون ما يضرهم ولا ينفعهم ولقد علموا لمن اشتراه ما له في الآخرة من خلاق ولبئس ما شروا به أنفسهم لو كانوا يعلمون |
| | | और जो वे उस चीज़ के पीछे पड़ गए जिसे शैतान सुलैमान की बादशाही पर थोपकर पढ़ते थे - हालाँकि सुलैमान ने कोई कुफ़्र नहीं किया था, बल्कि कुफ़्र तो शैतानों ने किया था; वे लोगों को जादू सिखाते थे - और उस चीज़ में पड़ गए जो बाबिल में दोनों फ़रिश्तों हारूत और मारूत पर उतारी गई थी। और वे किसी को भी सिखाते न थे जब तक कि कह न देते, "हम तो बस एक परीक्षा है; तो तुम कुफ़्र में न पड़ना।" तो लोग उन दोनों से वह कुछ सीखते है, जिसके द्वारा पति और पत्नी में अलगाव पैदा कर दे - यद्यपि वे उससे किसी को भी हानि नहीं पहुँचा सकते थे। हाँ, यह और बात है कि अल्लाह के हुक्म से किसी को हानि पहुँचनेवाली ही हो - और वह कुछ सीखते है जो उन्हें हानि ही पहुँचाए और उन्हें कोई लाभ न पहुँचाए। और उन्हें भली-भाँति मालूम है कि जो उसका ग्राहक बना, उसका आखिरत में कोई हिस्सा नहीं। कितनी बुरी चीज़ के बदले उन्होंने प्राणों का सौदा किया, यदि वे जानते (तो ठीक मार्ग अपनाते) |
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