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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
973 | 7 | 19 | ويا آدم اسكن أنت وزوجك الجنة فكلا من حيث شئتما ولا تقربا هذه الشجرة فتكونا من الظالمين |
| | | और (आदम से कहा) ऐ आदम तुम और तुम्हारी बीबी (दोनों) बेहश्त में रहा सहा करो और जहाँ से चाहो खाओ (पियो) मगर (ख़बरदार) उस दरख्त के करीब न जाना वरना तुम अपना आप नुक़सान करोगे |
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974 | 7 | 20 | فوسوس لهما الشيطان ليبدي لهما ما ووري عنهما من سوآتهما وقال ما نهاكما ربكما عن هذه الشجرة إلا أن تكونا ملكين أو تكونا من الخالدين |
| | | फिर शैतान ने उन दोनों को वसवसा (शक) दिलाया ताकि (नाफरमानी की वजह से) उनके अस्तर की चीज़े जो उनकी नज़र से बेहश्ती लिबास की वजह से पोशीदा थी खोल डाले कहने लगा कि तुम्हारे परवरदिगार ने दोनों को दरख्त (के फल खाने) से सिर्फ इसलिए मना किया है (कि मुबादा) तुम दोनों फरिश्ते बन जाओ या हमेशा (ज़िन्दा) रह जाओ |
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975 | 7 | 21 | وقاسمهما إني لكما لمن الناصحين |
| | | और उन दोनों के सामने क़समें खायीं कि मैं यक़ीनन तुम्हारा ख़ैर ख्वाह हूँ |
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976 | 7 | 22 | فدلاهما بغرور فلما ذاقا الشجرة بدت لهما سوآتهما وطفقا يخصفان عليهما من ورق الجنة وناداهما ربهما ألم أنهكما عن تلكما الشجرة وأقل لكما إن الشيطان لكما عدو مبين |
| | | ग़रज़ धोखे से उन दोनों को उस (के खाने) की तरफ ले गया ग़रज़ जो ही उन दोनों ने इस दरख्त (के फल) को चखा कि (बेहश्ती लिबास गिर गया और समझ पैदा हुई) उन पर उनकी शर्मगाहें ज़ाहिर हो गयीं और बेहश्त के पत्ते (तोड़ जोड़ कर) अपने ऊपर ढापने लगे तब उनको परवरदिगार ने उनको आवाज़ दी कि क्यों मैंने तुम दोनों को इस दरख्त के पास (जाने) से मना नहीं किया था और (क्या) ये न जता दिया था कि शैतान तुम्हारा यक़ीनन खुला हुआ दुश्मन है |
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977 | 7 | 23 | قالا ربنا ظلمنا أنفسنا وإن لم تغفر لنا وترحمنا لنكونن من الخاسرين |
| | | ये दोनों अर्ज क़रने लगे ऐ हमारे पालने वाले हमने अपना आप नुकसान किया और अगर तू हमें माफ न फरमाएगा और हम पर रहम न करेगा तो हम बिल्कुल घाटे में ही रहेगें |
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978 | 7 | 24 | قال اهبطوا بعضكم لبعض عدو ولكم في الأرض مستقر ومتاع إلى حين |
| | | हुक्म हुआ तुम (मियां बीबी शैतान) सब के सब बेहशत से नीचे उतरो तुममें से एक का एक दुश्मन है और (एक ख़ास) वक्त तक तुम्हारा ज़मीन में ठहराव (ठिकाना) और ज़िन्दगी का सामना है |
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979 | 7 | 25 | قال فيها تحيون وفيها تموتون ومنها تخرجون |
| | | ख़ुदा ने (ये भी) फरमाया कि तुम ज़मीन ही में जिन्दगी बसर करोगे और इसी में मरोगे |
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980 | 7 | 26 | يا بني آدم قد أنزلنا عليكم لباسا يواري سوآتكم وريشا ولباس التقوى ذلك خير ذلك من آيات الله لعلهم يذكرون |
| | | और उसी में से (और) उसी में से फिर दोबारा तुम ज़िन्दा करके निकाले जाओगे ऐ आदम की औलाद हमने तुम्हारे लिए पोशाक नाज़िल की जो तुम्हारे शर्मगाहों को छिपाती है और ज़ीनत के लिए कपड़े और इसके अलावा परहेज़गारी का लिबास है और ये सब (लिबासों) से बेहतर है ये (लिबास) भी ख़ुदा (की कुदरत) की निशानियों से है |
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981 | 7 | 27 | يا بني آدم لا يفتننكم الشيطان كما أخرج أبويكم من الجنة ينزع عنهما لباسهما ليريهما سوآتهما إنه يراكم هو وقبيله من حيث لا ترونهم إنا جعلنا الشياطين أولياء للذين لا يؤمنون |
| | | ताकि लोग नसीहत व इबरत हासिल करें ऐ औलादे आदम (होशियार रहो) कहीं तुम्हें शैतान बहका न दे जिस तरह उसने तुम्हारे बाप माँ आदम व हव्वा को बेहश्त से निकलवा छोड़ा उसी ने उन दोनों से (बेहश्ती) पोशाक उतरवाई ताकि उन दोनों को उनकी शर्मगाहें दिखा दे वह और उसका क़ुनबा ज़रूर तुम्हें इस तरह देखता रहता है कि तुम उन्हे नहीं देखने पाते हमने शैतानों को उन्हीं लोगों का रफीक़ क़रार दिया है |
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982 | 7 | 28 | وإذا فعلوا فاحشة قالوا وجدنا عليها آباءنا والله أمرنا بها قل إن الله لا يأمر بالفحشاء أتقولون على الله ما لا تعلمون |
| | | जो ईमान नही रखते और वह लोग जब कोई बुरा काम करते हैं कि हमने उस तरीके पर अपने बाप दादाओं को पाया और ख़ुदा ने (भी) यही हुक्म दिया है (ऐ रसूल) तुम साफ कह दो कि ख़ुदा ने (भी) यही हुक्म दिया है (ऐ रसूल) तुम (साफ) कह दो कि ख़ुदा हरगिज़ बुरे काम का हुक्म नहीं देता क्या तुम लोग ख़ुदा पर (इफ्तिरा करके) वह बातें कहते हो जो तुम नहीं जानते |
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