بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
968714قال أنظرني إلى يوم يبعثون
बोला, "मुझे एक दिन तक मुहल्लत दे, जबकि लोग उठाए जाएँगे।"
969715قال إنك من المنظرين
कहा, "निस्संदेह तुझे मुहल्लत है।"
970716قال فبما أغويتني لأقعدن لهم صراطك المستقيم
बोला, "अच्छा, इस कारण कि तूने मुझे गुमराही में डाला है, मैं भी तेरे सीधे मार्ग पर उनके लिए घात में अवश्य बैठूँगा
971717ثم لآتينهم من بين أيديهم ومن خلفهم وعن أيمانهم وعن شمائلهم ولا تجد أكثرهم شاكرين
"फिर उनके आगे और उनके पीछे और उनके दाएँ और उनके बाएँ से उनके पास आऊँगा। और तू उनमें अधिकतर को कृतज्ञ न पाएगा।"
972718قال اخرج منها مذءوما مدحورا لمن تبعك منهم لأملأن جهنم منكم أجمعين
कहा, "निकल जा यहाँ से! निन्दित ठुकराया हुआ। उनमें से जिस किसी ने भी तेरा अनुसरण किया, मैं अवश्य तुम सबसे जहन्नम को भर दूँगा।"
973719ويا آدم اسكن أنت وزوجك الجنة فكلا من حيث شئتما ولا تقربا هذه الشجرة فتكونا من الظالمين
और "ऐ आदम! तुम और तुम्हारी पत्नी दोनों जन्नत में रहो-बसो, फिर जहाँ से चाहो खाओ, लेकिन इस वृक्ष के निकट न जाना, अन्यथा अत्याचारियों में से हो जाओगे।"
974720فوسوس لهما الشيطان ليبدي لهما ما ووري عنهما من سوآتهما وقال ما نهاكما ربكما عن هذه الشجرة إلا أن تكونا ملكين أو تكونا من الخالدين
फिर शैतान ने दोनों को बहकाया, ताकि उनकी शर्मगाहों को, जो उन दोनों से छिपी थीं, उन दोनों के सामने खोल दे। और उसने (इबलीस ने) कहा, "तुम्हारे रब ने तुम दोनों को जो इस वृक्ष से रोका है, तो केवल इसलिए कि ऐसा न हो कि तुम कहीं फ़रिश्ते हो जाओ या कही ऐसा न हो कि तुम्हें अमरता प्राप्त हो जाए।"
975721وقاسمهما إني لكما لمن الناصحين
और उसने उन दोनों के आगे क़समें खाई कि "निश्चय ही मैं तुम दोनों का हितैषी हूँ।"
976722فدلاهما بغرور فلما ذاقا الشجرة بدت لهما سوآتهما وطفقا يخصفان عليهما من ورق الجنة وناداهما ربهما ألم أنهكما عن تلكما الشجرة وأقل لكما إن الشيطان لكما عدو مبين
इस प्रकार धोखा देकर उसने उन दोनों को झुका लिया। अन्ततः जब उन्होंने उस वृक्ष का स्वाद लिया, तो उनकी शर्मगाहे एक-दूसरे के सामने खुल गए और वे अपने ऊपर बाग़ के पत्ते जोड़-जोड़कर रखने लगे। तब उनके रब ने उन्हें पुकारा, "क्या मैंने तुम दोनों को इस वृक्ष से रोका नहीं था और तुमसे कहा नहीं था कि शैतान तुम्हारा खुला शत्रु है?"
977723قالا ربنا ظلمنا أنفسنا وإن لم تغفر لنا وترحمنا لنكونن من الخاسرين
दोनों बोले, "हमारे रब! हमने अपने आप पर अत्याचार किया। अब यदि तूने हमें क्षमा न किया और हम पर दया न दर्शाई, फिर तो हम घाटा उठानेवालों में से होंगे।"


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