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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
959 | 7 | 5 | فما كان دعواهم إذ جاءهم بأسنا إلا أن قالوا إنا كنا ظالمين |
| | | कि वह लोग या तो रात की नींद सो रहे थे या दिन को क़लीला (खाने के बाद का लेटना) कर रहे थे तब हमारा अज़ाब उन पर आ पड़ा तो उनसे सिवाए इसके और कुछ न कहते बन पड़ा कि हम बेशक ज़ालिम थे |
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960 | 7 | 6 | فلنسألن الذين أرسل إليهم ولنسألن المرسلين |
| | | फिर हमने तो ज़रूर उन लोगों से जिनकी तरफ पैग़म्बर भेजे गये थे (हर चीज़ का) सवाल करेगें और ख़ुद पैग़म्बरों से भी ज़रूर पूछेगें |
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961 | 7 | 7 | فلنقصن عليهم بعلم وما كنا غائبين |
| | | फिर हम उनसे हक़ीक़त हाल ख़ूब समझ बूझ के (ज़रा ज़रा) दोहराएगें |
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962 | 7 | 8 | والوزن يومئذ الحق فمن ثقلت موازينه فأولئك هم المفلحون |
| | | और हम कुछ ग़ायब तो थे नहीं और उस दिन (आमाल का) तौला जाना बिल्कुल ठीक है फिर तो जिनके (नेक अमाल के) पल्ले भारी होगें तो वही लोग फायज़ुलहराम (नजात पाये हुए) होगें |
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963 | 7 | 9 | ومن خفت موازينه فأولئك الذين خسروا أنفسهم بما كانوا بآياتنا يظلمون |
| | | (और जिनके नेक अमाल के) पल्ले हलके होगें तो उन्हीं लोगों ने हमारी आयत से नाफरमानी करने की वजह से यक़ीनन अपना आप नुक़सान किया |
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964 | 7 | 10 | ولقد مكناكم في الأرض وجعلنا لكم فيها معايش قليلا ما تشكرون |
| | | और (ऐ बनीआदम) हमने तो यक़ीनन तुमको ज़मीन में क़ुदरत व इख़तेदार दिया और उसमें तुम्हारे लिए असबाब ज़िन्दगी मुहय्या किए (मगर) तुम बहुत ही कम शुक्र करते हो |
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965 | 7 | 11 | ولقد خلقناكم ثم صورناكم ثم قلنا للملائكة اسجدوا لآدم فسجدوا إلا إبليس لم يكن من الساجدين |
| | | हालाकि इसमें तो शक ही नहीं कि हमने तुम्हारे बाप आदम को पैदा किया फिर तुम्हारी सूरते बनायीं फिर हमनें फ़रिश्तों से कहा कि तुम सब के सब आदम को सजदा करो तो सब के सब झुक पड़े मगर शैतान कि वह सजदा करने वालों में शामिल न हुआ। |
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966 | 7 | 12 | قال ما منعك ألا تسجد إذ أمرتك قال أنا خير منه خلقتني من نار وخلقته من طين |
| | | ख़ुदा ने (शैतान से) फरमाया जब मैनें तुझे हुक्म दिया कि तू फिर तुझे सजदा करने से किसी ने रोका कहने लगा मैं उससे अफ़ज़ल हूँ (क्योंकि) तूने मुझे आग (ऐसे लतीफ अनसर) से पैदा किया |
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967 | 7 | 13 | قال فاهبط منها فما يكون لك أن تتكبر فيها فاخرج إنك من الصاغرين |
| | | और उसको मिट्टी (ऐसी कशीफ़ अनसर) से पैदा किया ख़ुदा ने फरमाया (तुझको ये ग़ुरूर है) तो बेहश्त से नीचे उतर जाओ क्योंकि तेरी ये मजाल नहीं कि तू यहाँ रहकर ग़ुरूर करे तो यहाँ से (बाहर) निकल बेशक तू ज़लील लोगों से है |
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968 | 7 | 14 | قال أنظرني إلى يوم يبعثون |
| | | कहने लगा तो (ख़ैर) हमें उस दिन तक की (मौत से) मोहलत दे |
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