نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
96 | 2 | 89 | ولما جاءهم كتاب من عند الله مصدق لما معهم وكانوا من قبل يستفتحون على الذين كفروا فلما جاءهم ما عرفوا كفروا به فلعنة الله على الكافرين |
| | | और जब उनके पास एक किताब अल्लाह की ओर से आई है जो उसकी पुष्टि करती है जो उनके पास मौजूद है - और इससे पहले तो वे न माननेवाले लोगों पर विजय पाने के इच्छुक रहे है - फिर जब वह चीज़ उनके पास आ गई जिसे वे पहचान भी गए हैं, तो उसका इनकार कर बैठे; तो अल्लाह की फिटकार इनकार करने वालों पर! |
|
97 | 2 | 90 | بئسما اشتروا به أنفسهم أن يكفروا بما أنزل الله بغيا أن ينزل الله من فضله على من يشاء من عباده فباءوا بغضب على غضب وللكافرين عذاب مهين |
| | | क्या ही बुरी चीज़ है जिसके बदले उन्होंने अपनी जानों का सौदा किया, अर्थात जो कुछ अल्लाह ने उतारा है उसे सरकशी और इस अप्रियता के कारण नहीं मानते कि अल्लाह अपना फ़ज़्ल (कृपा) अपने बन्दों में से जिसपर चाहता है क्यों उतारता है, अतः वे प्रकोप पर प्रकोप के अधिकारी हो गए है। और ऐसे इनकार करनेवालों के लिए अपमानजनक यातना है |
|
98 | 2 | 91 | وإذا قيل لهم آمنوا بما أنزل الله قالوا نؤمن بما أنزل علينا ويكفرون بما وراءه وهو الحق مصدقا لما معهم قل فلم تقتلون أنبياء الله من قبل إن كنتم مؤمنين |
| | | जब उनसे कहा जाता है, "अल्लाह ने जो कुछ उतारा है उस पर ईमान लाओ", तो कहते है, "हम तो उसपर ईमान रखते है जो हम पर उतरा है," और उसे मानने से इनकार करते हैं जो उसके पीछे है, जबकि वही सत्य है, उसकी पुष्टि करता है जो उसके पास है। कहो, "अच्छा तो इससे पहले अल्लाह के पैग़म्बरों की हत्या क्यों करते रहे हो, यदि तुम ईमानवाले हो?" |
|
99 | 2 | 92 | ولقد جاءكم موسى بالبينات ثم اتخذتم العجل من بعده وأنتم ظالمون |
| | | तुम्हारे पास मूसा खुली-खुली निशानियाँ लेकर आया, फिर भी उसके बाद तुम ज़ालिम बनकर बछड़े को देवता बना बैठे |
|
100 | 2 | 93 | وإذ أخذنا ميثاقكم ورفعنا فوقكم الطور خذوا ما آتيناكم بقوة واسمعوا قالوا سمعنا وعصينا وأشربوا في قلوبهم العجل بكفرهم قل بئسما يأمركم به إيمانكم إن كنتم مؤمنين |
| | | कहो, "यदि अल्लाह के निकट आख़िरत का घर सारे इनसानों को छोड़कर केवल तुम्हारे ही लिए है, फिर तो मृत्यु की कामना करो, यदि तुम सच्चे हो।" |
|
101 | 2 | 94 | قل إن كانت لكم الدار الآخرة عند الله خالصة من دون الناس فتمنوا الموت إن كنتم صادقين |
| | | अपने हाथों इन्होंने जो कुछ आगे भेजा है उसके कारण वे कदापि उसकी कामना न करेंगे; अल्लाह तो ज़ालिमों को भली-भाँति जानता है |
|
102 | 2 | 95 | ولن يتمنوه أبدا بما قدمت أيديهم والله عليم بالظالمين |
| | | अपने हाथों इन्होंने जो कुछ आगे भेजा है उसके कारण वे कदापि उसकी कामना न करेंगे; अल्लाह तो जालिमों को भली-भाँति जानता है |
|
103 | 2 | 96 | ولتجدنهم أحرص الناس على حياة ومن الذين أشركوا يود أحدهم لو يعمر ألف سنة وما هو بمزحزحه من العذاب أن يعمر والله بصير بما يعملون |
| | | तुम उन्हें सब लोगों से बढ़कर जीवन का लोभी पाओगे, यहाँ तक कि वे इस सम्बन्ध में शिर्क करनेवालो से भी बढ़े हुए है। उनका तो प्रत्येक व्यक्ति यह इच्छा रखता है कि क्या ही अच्छा होता कि उस हज़ार वर्ष की आयु मिले, जबकि यदि उसे यह आयु प्राप्त भी जाए, तो भी वह अपने आपको यातना से नहीं बचा सकता। अल्लाह देख रहा है, जो कुछ वे कर रहे है |
|
104 | 2 | 97 | قل من كان عدوا لجبريل فإنه نزله على قلبك بإذن الله مصدقا لما بين يديه وهدى وبشرى للمؤمنين |
| | | कहो, "जो कोई जिबरील का शत्रु हो, (तो वह अल्लाह का शत्रु है) क्योंकि उसने तो उसे अल्लाह ही के हुक्म से तम्हारे दिल पर उतारा है, जो उन (भविष्यवाणियों) के सर्वथा अनुकूल है जो उससे पहले से मौजूद हैं; और ईमानवालों के लिए मार्गदर्शन और शुभ-सूचना है |
|
105 | 2 | 98 | من كان عدوا لله وملائكته ورسله وجبريل وميكال فإن الله عدو للكافرين |
| | | जो कोई अल्लाह और उसके फ़रिश्तों और उसके रसूलों और जिबरील और मीकाईल का शत्रु हो, तो ऐसे इनकार करनेवालों का अल्लाह शत्रु है।" |
|