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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
950 | 6 | 161 | قل إنني هداني ربي إلى صراط مستقيم دينا قيما ملة إبراهيم حنيفا وما كان من المشركين |
| | | कहो, "मेरे रब ने मुझे सीधा मार्ग दिखा दिया है, बिल्कुल ठीक धर्म, इबराहीम के पंथ की ओर जो सबसे कटकर एक (अल्लाह) का हो गया था और वह बहुदेववादियों में से न था।" |
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951 | 6 | 162 | قل إن صلاتي ونسكي ومحياي ومماتي لله رب العالمين |
| | | कहो, "मेरी नमाज़ और मेरी क़ुरबानी और मेरा जीना और मेरा मरना सब अल्लाह के लिए है, जो सारे संसार का रब है |
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952 | 6 | 163 | لا شريك له وبذلك أمرت وأنا أول المسلمين |
| | | "उसका कोई साझी नहीं है। मुझे तो इसी का आदेश मिला है और सबसे पहला मुस्लिम (आज्ञाकारी) मैं हूँ।" |
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953 | 6 | 164 | قل أغير الله أبغي ربا وهو رب كل شيء ولا تكسب كل نفس إلا عليها ولا تزر وازرة وزر أخرى ثم إلى ربكم مرجعكم فينبئكم بما كنتم فيه تختلفون |
| | | कहो, "क्या मैं अल्लाह से भिन्न कोई और रब ढूढूँ, जबकि हर चीज़ का रब वही है!" और यह कि प्रत्येक व्यक्ति जो कुछ कमाता है, उसका फल वही भोगेगा; कोई बोझ उठानेवाला किसी दूसरे का बोझ नहीं उठाएगा। फिर तुम्हें अपने रब की ओर लौटकर जाना है। उस समय वह तुम्हें बता देगा, जिसमें परस्पर तुम्हारा मतभेद और झगड़ा था |
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954 | 6 | 165 | وهو الذي جعلكم خلائف الأرض ورفع بعضكم فوق بعض درجات ليبلوكم في ما آتاكم إن ربك سريع العقاب وإنه لغفور رحيم |
| | | वही है जिसने तुम्हें धरती में धरती में ख़लीफ़ा (अधिकारी, उत्ताराधिकारी) बनाया और तुममें से कुछ लोगों के दर्जे कुछ लोगों की अपेक्षा ऊँचे रखे, ताकि जो कुछ उसने तुमको दिया है उसमें वह तम्हारी ले। निस्संदेह तुम्हारा रब जल्द सज़ा देनेवाला है। और निश्चय ही वही बड़ा क्षमाशील, दयावान है |
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955 | 7 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم المص |
| | | अलिफ़॰ लाम॰ मीम॰ साद॰ |
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956 | 7 | 2 | كتاب أنزل إليك فلا يكن في صدرك حرج منه لتنذر به وذكرى للمؤمنين |
| | | यह एक किताब है, जो तुम्हारी ओर उतारी गई है - अतः इससे तुम्हारे सीने में कोई तंगी न हो - ताकि तुम इसके द्वारा सचेत करो और यह ईमानवालों के लिए एक प्रबोधन है; |
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957 | 7 | 3 | اتبعوا ما أنزل إليكم من ربكم ولا تتبعوا من دونه أولياء قليلا ما تذكرون |
| | | जो कुछ तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी ओर अवतरित हुआ है, उस पर चलो और उसे छोड़कर दूसरे संरक्षक मित्रों का अनुसरण न करो। तुम लोग नसीहत थोड़े ही मानते हो |
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958 | 7 | 4 | وكم من قرية أهلكناها فجاءها بأسنا بياتا أو هم قائلون |
| | | कितनी ही बस्तियाँ थीं, जिन्हें हमने विनष्टम कर दिया। उनपर हमारी यातना रात को सोते समय आ पहुँची या (दिन-दहाड़) आई, जबकि वे दोपहर में विश्राम कर रहे थे |
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959 | 7 | 5 | فما كان دعواهم إذ جاءهم بأسنا إلا أن قالوا إنا كنا ظالمين |
| | | जब उनपर यातना आ गई तो इसके सिवा उनके मुँह से कुछ न निकला कि वे पुकार उठे, "वास्तव में हम अत्याचारी थे।" |
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