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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
938 | 6 | 149 | قل فلله الحجة البالغة فلو شاء لهداكم أجمعين |
| | | कह दो, "पूर्ण तर्क तो अल्लाह ही का है। अतः यदि वह चाहता तो तुम सबको सीधा मार्ग दिखा देता।" |
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939 | 6 | 150 | قل هلم شهداءكم الذين يشهدون أن الله حرم هذا فإن شهدوا فلا تشهد معهم ولا تتبع أهواء الذين كذبوا بآياتنا والذين لا يؤمنون بالآخرة وهم بربهم يعدلون |
| | | कह दो, "अपने उन गवाहों को लाओ, जो इसकी गवाही दें कि अल्लाह ने इसे हराम किया है।" फिर यदि वे गवाही दें तो तुम उनके साथ गवाही न देना, औऱ उन लोगों की इच्छाओं का अनुसरण न करना जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया और जो आख़िरत को नहीं मानते और (जिनका) हाल यह है कि वे दूसरो को अपने रब के समकक्ष ठहराते है |
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940 | 6 | 151 | قل تعالوا أتل ما حرم ربكم عليكم ألا تشركوا به شيئا وبالوالدين إحسانا ولا تقتلوا أولادكم من إملاق نحن نرزقكم وإياهم ولا تقربوا الفواحش ما ظهر منها وما بطن ولا تقتلوا النفس التي حرم الله إلا بالحق ذلكم وصاكم به لعلكم تعقلون |
| | | कह दो, "आओ, मैं तुम्हें सुनाऊँ कि तुम्हारे रब ने तुम्हारे ऊपर क्या पाबन्दियाँ लगाई है: यह कि किसी चीज़ को उसका साझीदार न ठहराओ और माँ-बाप के साथ सद्व्य वहार करो और निर्धनता के कारण अपनी सन्तान की हत्या न करो; हम तुम्हें भी रोज़ी देते है और उन्हें भी। और अश्लील बातों के निकट न जाओ, चाहे वे खुली हुई हों या छिपी हुई हो। और किसी जीव की, जिसे अल्लाह ने आदरणीय ठहराया है, हत्या न करो। यह और बात है कि हक़ के लिए ऐसा करना पड़े। ये बाते है, जिनकी ताकीद उसने तुम्हें की है, शायद कि तुम बुद्धि से काम लो। |
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941 | 6 | 152 | ولا تقربوا مال اليتيم إلا بالتي هي أحسن حتى يبلغ أشده وأوفوا الكيل والميزان بالقسط لا نكلف نفسا إلا وسعها وإذا قلتم فاعدلوا ولو كان ذا قربى وبعهد الله أوفوا ذلكم وصاكم به لعلكم تذكرون |
| | | "और अनाथ के धन को हाथ न लगाओ, किन्तु ऐसे तरीक़े से जो उत्तम हो, यहाँ तक कि वह अपनी युवावस्था को पहुँच जाए। और इनसाफ़ के साथ पूरा-पूरा नापो और तौलो। हम किसी व्यक्ति पर उसी काम की ज़िम्मेदारी का बोझ डालते हैं जो उसकी सामर्थ्य में हो। और जब बात कहो, तो न्याय की कहो, चाहे मामला अपने नातेदार ही का क्यों न हो, और अल्लाह की प्रतिज्ञा को पूरा करो। ये बातें हैं, जिनकी उसने तुम्हें ताकीद की है। आशा है तुम ध्यान रखोगे |
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942 | 6 | 153 | وأن هذا صراطي مستقيما فاتبعوه ولا تتبعوا السبل فتفرق بكم عن سبيله ذلكم وصاكم به لعلكم تتقون |
| | | और यह कि यही मेरा सीधा मार्ग है, तो तुम इसी पर चलो और दूसरे मार्गों पर न चलो कि वे तुम्हें उसके मार्ग से हटाकर इधर-उधर कर देंगे। यह वह बात है जिसकी उसने तुम्हें ताकीद की है, ताकि तुम (पथभ्रष्ट ता से) बचो |
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943 | 6 | 154 | ثم آتينا موسى الكتاب تماما على الذي أحسن وتفصيلا لكل شيء وهدى ورحمة لعلهم بلقاء ربهم يؤمنون |
| | | फिर (देखो) हमने मूसा को किताब दी थी, (धर्म को) पूर्णता प्रदान करने के लिए, जिसे उसने उत्तम रीति से ग्रहण किया था; और हर चीज़ को स्पष्ट रूप से बयान करने, मार्गदर्शन देने और दया करने के लिए, ताकि वे लोग अपने रब से मिलने पर ईमान लाएँ |
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944 | 6 | 155 | وهذا كتاب أنزلناه مبارك فاتبعوه واتقوا لعلكم ترحمون |
| | | और यह किताब भी हमने उतारी है, जो बरकतवाली है; तो तुम इसका अनुसरण करो और डर रखो, ताकि तुमपर दया की जाए, |
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945 | 6 | 156 | أن تقولوا إنما أنزل الكتاب على طائفتين من قبلنا وإن كنا عن دراستهم لغافلين |
| | | कि कहीं ऐसा न हो कि तुम कहने लगो, "किताब तो केवल हमसे पहले के दो गिरोहों पर उतारी गई थी और हमें तो उनके पढ़ने-पढ़ाने की ख़बर तक न थी।" |
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946 | 6 | 157 | أو تقولوا لو أنا أنزل علينا الكتاب لكنا أهدى منهم فقد جاءكم بينة من ربكم وهدى ورحمة فمن أظلم ممن كذب بآيات الله وصدف عنها سنجزي الذين يصدفون عن آياتنا سوء العذاب بما كانوا يصدفون |
| | | या यह कहने लगो, "यदि हमपर किताब उतारी गई होती तो हम उनसे बढकर सीधे मार्ग पर होते।" तो अब तुम्हारे पास रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण, मार्गदर्शन और दयालुता आ चुकी है। अब उससे बढ़कर अत्याचारी कौन होगा जो अल्लाह की आयतों को झुठलाए और दूसरों को उनसे फेरे? जो लोग हमारी आयतों से रोकते हैं, उन्हें हम इस रोकने के कारण जल्द बुरी यातना देंगे |
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947 | 6 | 158 | هل ينظرون إلا أن تأتيهم الملائكة أو يأتي ربك أو يأتي بعض آيات ربك يوم يأتي بعض آيات ربك لا ينفع نفسا إيمانها لم تكن آمنت من قبل أو كسبت في إيمانها خيرا قل انتظروا إنا منتظرون |
| | | क्या ये लोग केवल इसी की प्रतीक्षा कर रहे है कि उनके पास फ़रिश्ते आ जाएँ या स्वयं तुम्हारा रब की कोई निशानी आ जाएगी, फिर किसी ऐसे व्यक्ति को उसका ईमान कुछ लाभ न पहुँचाएगा जो पहले ईमान न लाया हो या जिसने अपने ईमान में कोई भलाई न कमाई हो। कह दो, ?"तुम भी प्रतीक्षा करो, हम भी प्रतीक्षा करते है।" |
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