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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
915 | 6 | 126 | وهذا صراط ربك مستقيما قد فصلنا الآيات لقوم يذكرون |
| | | और (ऐ रसूल) ये (इस्लाम) तुम्हारे परवरदिगार का (बनाया हुआ) सीधा रास्ता है इबरत हासिल करने वालों के वास्ते हमने अपने आयात तफसीलन बयान कर दिए हैं |
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916 | 6 | 127 | لهم دار السلام عند ربهم وهو وليهم بما كانوا يعملون |
| | | उनके वास्ते उनके परवरदिगार के यहाँ अमन व चैन का घर (बेहश्त) है और दुनिया में जो कारगुज़ारियाँ उन्होने की थीं उसके ऐवज़ ख़ुदा उन का सरपरस्त होगा |
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917 | 6 | 128 | ويوم يحشرهم جميعا يا معشر الجن قد استكثرتم من الإنس وقال أولياؤهم من الإنس ربنا استمتع بعضنا ببعض وبلغنا أجلنا الذي أجلت لنا قال النار مثواكم خالدين فيها إلا ما شاء الله إن ربك حكيم عليم |
| | | और (ऐ रसूल वह दिन याद दिलाओ) जिस दिन ख़ुदा सब लोगों को जमा करेगा और शयातीन से फरमाएगा, ऐ गिरोह जिन्नात तुमने तो बहुतेरे आदमियों को (बहका बहका कर) अपनी जमाअत बड़ी कर ली (और) आदमियों से जो लोग (उन शयातीन के दुनिया में) दोस्त थे कहेंगे ऐ हमारे पालने वाले (दुनिया में) हमने एक दूसरे से फायदा हासिल किया और अपने किए की सज़ा पाने को, जो वक्त तू ने हमारे लिए मुअय्युन किया था अब हम अपने उस वक्त (क़यामत) में पहुँच गए ख़ुदा उसके जवाब में, फरमाएगा तुम सब का ठिकाना जहन्नुम है और उसमें हमेशा रहोगे मगर जिसे ख़ुदा चाहे (नजात दे) बेशक तेरा परवरदिगार हिकमत वाला वाक़िफकार है |
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918 | 6 | 129 | وكذلك نولي بعض الظالمين بعضا بما كانوا يكسبون |
| | | और इसी तरह हम बाज़ ज़ालिमों को बाज़ का उनके करतूतों की बदौलत सरपरस्त बनाएँगे |
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919 | 6 | 130 | يا معشر الجن والإنس ألم يأتكم رسل منكم يقصون عليكم آياتي وينذرونكم لقاء يومكم هذا قالوا شهدنا على أنفسنا وغرتهم الحياة الدنيا وشهدوا على أنفسهم أنهم كانوا كافرين |
| | | (फिर हम पूछेंगे कि क्यों) ऐ गिरोह जिन व इन्स क्या तुम्हारे पास तुम ही में के पैग़म्बर नहीं आए जो तुम तुमसे हमारी आयतें बयान करें और तुम्हें तुम्हारे उस रोज़ (क़यामत) के पेश आने से डराएँ वह सब अर्ज करेंगे (बेशक आए थे) हम ख़ुद अपने ऊपर आप अपने (ख़िलाफ) गवाही देते हैं (वाकई) उनको दुनिया की (चन्द रोज़) ज़िन्दगी ने उन्हें अंधेरे में डाल रखा और उन लोगों ने अपने ख़िलाफ आप गवाही दीं |
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920 | 6 | 131 | ذلك أن لم يكن ربك مهلك القرى بظلم وأهلها غافلون |
| | | बेशक ये सब के सब काफिर थे और ये (पैग़म्बरों का भेजना सिर्फ) उस वजह से है कि तुम्हारा परवरदिगार कभी बस्तियों को ज़ुल्म ज़बरदस्ती से वहाँ के बाशिन्दों के ग़फलत की हालत में हलाक नहीं किया करता |
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921 | 6 | 132 | ولكل درجات مما عملوا وما ربك بغافل عما يعملون |
| | | और जिसने जैसा (भला या बुरा) किया है उसी के मुवाफ़िक हर एक के दरजात हैं |
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922 | 6 | 133 | وربك الغني ذو الرحمة إن يشأ يذهبكم ويستخلف من بعدكم ما يشاء كما أنشأكم من ذرية قوم آخرين |
| | | और जो कुछ वह लोग करते हैं तुम्हारा परवरदिगार उससे बेख़बर नहीं और तुम्हारा परवरदिगार बे परवाह रहम वाला है - अगर चाहे तो तुम सबके सबको (दुनिया से उड़ा) ले लाए और तुम्हारे बाद जिसको चाहे तुम्हार जानशीन बनाए जिस तरह आख़िर तुम्हें दूसरे लोगों की औलाद से पैदा किया है |
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923 | 6 | 134 | إن ما توعدون لآت وما أنتم بمعجزين |
| | | बेशक जिस चीज़ का तुमसे वायदा किया जाता है वह ज़रूर (एक न एक दिन) आने वाली है |
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924 | 6 | 135 | قل يا قوم اعملوا على مكانتكم إني عامل فسوف تعلمون من تكون له عاقبة الدار إنه لا يفلح الظالمون |
| | | और तुम उसके लाने में (ख़ुदा को) आजिज़ नहीं कर सकते (ऐ रसूल तुम उनसे) कहो कि ऐ मेरी क़ौम तुम बजाए ख़ुद जो चाहो करो मैं (बजाए ख़ुद) अमल कर रहा हूँ फिर अनक़रीब तुम्हें मालूम हो जाएगा कि आख़ेरत (बेहश्त) किसके लिए है (तुम्हारे लिए या हमारे लिए) ज़ालिम लोग तो हरगिज़ कामयाब न होंगे |
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