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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
909 | 6 | 120 | وذروا ظاهر الإثم وباطنه إن الذين يكسبون الإثم سيجزون بما كانوا يقترفون |
| | | (ऐ लोगों) ज़ाहिरी और बातिनी गुनाह (दोनों) को (बिल्कुल) छोड़ दो जो लोग गुनाह करते हैं उन्हें अपने आमाल का अनक़रीब ही बदला दिया जाएगा |
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910 | 6 | 121 | ولا تأكلوا مما لم يذكر اسم الله عليه وإنه لفسق وإن الشياطين ليوحون إلى أوليائهم ليجادلوكم وإن أطعتموهم إنكم لمشركون |
| | | और जिस (ज़बीहे) पर ख़ुदा का नाम न लिया गया उसमें से मत खाओ (क्योंकि) ये बेशक बदचलनी है और शयातीन तो अपने हवा ख़वाहों के दिल में वसवसा डाला ही करते हैं ताकि वह तुमसे (बेकार) झगड़े किया करें और अगर (कहीं) तुमने उनका कहना मान लिया तो (समझ रखो कि) बेशुबहा तुम भी मुशरिक हो |
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911 | 6 | 122 | أومن كان ميتا فأحييناه وجعلنا له نورا يمشي به في الناس كمن مثله في الظلمات ليس بخارج منها كذلك زين للكافرين ما كانوا يعملون |
| | | क्या जो शख़्श (पहले) मुर्दा था फिर हमने उसको ज़िन्दा किया और उसके लिए एक नूर बनाया जिसके ज़रिए वह लोगों में (बेतकल्लुफ़) चलता फिरता है उस शख़्श का सामना हो सकता है जिसकी ये हालत है कि (हर तरफ से) अंधेरे में (फँसा हुआ है) कि वहाँ से किसी तरह निकल नहीं सकता (जिस तरह मोमिनों के वास्ते ईमान आरास्ता किया गया) उसी तरह काफिरों के वास्ते उनके आमाल (बद) आरास्ता कर दिए गए हैं |
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912 | 6 | 123 | وكذلك جعلنا في كل قرية أكابر مجرميها ليمكروا فيها وما يمكرون إلا بأنفسهم وما يشعرون |
| | | (कि भला ही भला नज़र आता है) और जिस तरह मक्के में है उसी तरह हमने हर बस्ती में उनके कुसूरवारों को सरदार बनाया ताकि उनमें मक्कारी किया करें और वह लोग जो कुछ करते हैं अपने ही हक़ में (बुरा) करते हैं और समझते (तक) नहीं |
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913 | 6 | 124 | وإذا جاءتهم آية قالوا لن نؤمن حتى نؤتى مثل ما أوتي رسل الله الله أعلم حيث يجعل رسالته سيصيب الذين أجرموا صغار عند الله وعذاب شديد بما كانوا يمكرون |
| | | और जब उनके पास कोई निशानी (नबी की तसदीक़ के लिए) आई है तो कहते हैं जब तक हमको ख़ुद वैसी चीज़ (वही वग़ैरह) न दी जाएगी जो पैग़म्बराने ख़ुदा को दी गई है उस वक्त तक तो हम ईमान न लाएँगे और ख़ुदा जहाँ (जिस दिल में) अपनी पैग़म्बरी क़रार देता है उसकी (काबलियत व सलाहियत) को ख़ूब जानता है जो लोग (उस जुर्म के) मुजरिम हैं उनको अनक़रीब उनकी मक्कारी की सज़ा में ख़ुदा के यहाँ बड़ी ज़िल्लत और सख्त अज़ाब होगा |
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914 | 6 | 125 | فمن يرد الله أن يهديه يشرح صدره للإسلام ومن يرد أن يضله يجعل صدره ضيقا حرجا كأنما يصعد في السماء كذلك يجعل الله الرجس على الذين لا يؤمنون |
| | | तो ख़ुदा जिस शख़्श को राह रास्त दिखाना चाहता है उसके सीने को इस्लाम (की दौलियत) के वास्ते (साफ़ और) कुशादा (चौड़ा) कर देता है और जिसको गुमराही की हालत में छोड़ना चाहता है उनके सीने को तंग दुश्वार ग़ुबार कर देता है गोया (कुबूल ईमान) उसके लिए आसमान पर चढ़ना है जो लोग ईमान नहीं लाते ख़ुदा उन पर बुराई को उसी तरह मुसल्लत कर देता है |
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915 | 6 | 126 | وهذا صراط ربك مستقيما قد فصلنا الآيات لقوم يذكرون |
| | | और (ऐ रसूल) ये (इस्लाम) तुम्हारे परवरदिगार का (बनाया हुआ) सीधा रास्ता है इबरत हासिल करने वालों के वास्ते हमने अपने आयात तफसीलन बयान कर दिए हैं |
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916 | 6 | 127 | لهم دار السلام عند ربهم وهو وليهم بما كانوا يعملون |
| | | उनके वास्ते उनके परवरदिगार के यहाँ अमन व चैन का घर (बेहश्त) है और दुनिया में जो कारगुज़ारियाँ उन्होने की थीं उसके ऐवज़ ख़ुदा उन का सरपरस्त होगा |
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917 | 6 | 128 | ويوم يحشرهم جميعا يا معشر الجن قد استكثرتم من الإنس وقال أولياؤهم من الإنس ربنا استمتع بعضنا ببعض وبلغنا أجلنا الذي أجلت لنا قال النار مثواكم خالدين فيها إلا ما شاء الله إن ربك حكيم عليم |
| | | और (ऐ रसूल वह दिन याद दिलाओ) जिस दिन ख़ुदा सब लोगों को जमा करेगा और शयातीन से फरमाएगा, ऐ गिरोह जिन्नात तुमने तो बहुतेरे आदमियों को (बहका बहका कर) अपनी जमाअत बड़ी कर ली (और) आदमियों से जो लोग (उन शयातीन के दुनिया में) दोस्त थे कहेंगे ऐ हमारे पालने वाले (दुनिया में) हमने एक दूसरे से फायदा हासिल किया और अपने किए की सज़ा पाने को, जो वक्त तू ने हमारे लिए मुअय्युन किया था अब हम अपने उस वक्त (क़यामत) में पहुँच गए ख़ुदा उसके जवाब में, फरमाएगा तुम सब का ठिकाना जहन्नुम है और उसमें हमेशा रहोगे मगर जिसे ख़ुदा चाहे (नजात दे) बेशक तेरा परवरदिगार हिकमत वाला वाक़िफकार है |
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918 | 6 | 129 | وكذلك نولي بعض الظالمين بعضا بما كانوا يكسبون |
| | | और इसी तरह हम बाज़ ज़ालिमों को बाज़ का उनके करतूतों की बदौलत सरपरस्त बनाएँगे |
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