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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
10 | 2 | 3 | الذين يؤمنون بالغيب ويقيمون الصلاة ومما رزقناهم ينفقون |
| | | जो अनदेखे ईमान लाते हैं, नमाज़ क़ायम करते हैं और जो कुछ हमने उन्हें दिया हैं उसमें से कुछ खर्च करते हैं; |
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11 | 2 | 4 | والذين يؤمنون بما أنزل إليك وما أنزل من قبلك وبالآخرة هم يوقنون |
| | | और जो उस पर ईमान लाते हैं जो तुम पर उतरा और जो तुमसे पहले अवतरित हुआ हैं और आख़िरत पर वही लोग विश्वास रखते हैं; |
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12 | 2 | 5 | أولئك على هدى من ربهم وأولئك هم المفلحون |
| | | वही लोग हैं जो अपने रब के सीधे मार्ग पर हैं और वही सफलता प्राप्त करनेवाले हैं |
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13 | 2 | 6 | إن الذين كفروا سواء عليهم أأنذرتهم أم لم تنذرهم لا يؤمنون |
| | | जिन लोगों ने कुफ़्र (इनकार) किया उनके लिए बराबर हैं, चाहे तुमने उन्हें सचेत किया हो या सचेत न किया हो, वे ईमान नहीं लाएँगे |
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14 | 2 | 7 | ختم الله على قلوبهم وعلى سمعهم وعلى أبصارهم غشاوة ولهم عذاب عظيم |
| | | अल्लाह ने उनके दिलों पर और कानों पर मुहर लगा दी है और उनकी आँखों पर परदा पड़ा है, और उनके लिए बड़ी यातना है |
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15 | 2 | 8 | ومن الناس من يقول آمنا بالله وباليوم الآخر وما هم بمؤمنين |
| | | कुछ लोग ऐसे हैं जो कहते हैं कि हम अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखते हैं, हालाँकि वे ईमान नहीं रखते |
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16 | 2 | 9 | يخادعون الله والذين آمنوا وما يخدعون إلا أنفسهم وما يشعرون |
| | | वे अल्लाह और ईमानवालों के साथ धोखेबाज़ी कर रहे हैं, हालाँकि धोखा वे स्वयं अपने-आपको ही दे रहे हैं, परन्तु वे इसको महसूस नहीं करते |
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17 | 2 | 10 | في قلوبهم مرض فزادهم الله مرضا ولهم عذاب أليم بما كانوا يكذبون |
| | | उनके दिलों में रोग था तो अल्लाह ने उनके रोग को और बढ़ा दिया और उनके लिए झूठ बोलते रहने के कारण उनके लिए एक दुखद यातना है |
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18 | 2 | 11 | وإذا قيل لهم لا تفسدوا في الأرض قالوا إنما نحن مصلحون |
| | | और जब उनसे कहा जाता है कि "ज़मीन में बिगाड़ पैदा न करो", तो कहते हैं, "हम तो केवल सुधारक है।"" |
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19 | 2 | 12 | ألا إنهم هم المفسدون ولكن لا يشعرون |
| | | जान लो! वही हैं जो बिगाड़ पैदा करते हैं, परन्तु उन्हें एहसास नहीं होता |
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