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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
899 | 6 | 110 | ونقلب أفئدتهم وأبصارهم كما لم يؤمنوا به أول مرة ونذرهم في طغيانهم يعمهون |
| | | और हम उनके दिलों और निगाहों को फेर देंगे, जिस प्रकार वे पहली बार ईमान नहीं लाए थे। और हम उन्हें छोड़ देंगे कि वे अपनी सरकशी में भटकते रहें |
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900 | 6 | 111 | ولو أننا نزلنا إليهم الملائكة وكلمهم الموتى وحشرنا عليهم كل شيء قبلا ما كانوا ليؤمنوا إلا أن يشاء الله ولكن أكثرهم يجهلون |
| | | यदि हम उनकी ओर फ़रिश्ते भी उतार देते और मुर्दें भी उनसे बातें करने लगते और प्रत्येक चीज़ उनके सामने लाकर इकट्ठा कर देते, तो भी वे ईमान न लाते, बल्कि अल्लाह ही का चाहा क्रियान्वित है। परन्तु उनमें से अधिकतर लोग अज्ञानता से काम लेते है |
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901 | 6 | 112 | وكذلك جعلنا لكل نبي عدوا شياطين الإنس والجن يوحي بعضهم إلى بعض زخرف القول غرورا ولو شاء ربك ما فعلوه فذرهم وما يفترون |
| | | और इसी प्रकार हमने मनुष्यों और जिन्नों में से शैतानों को प्रत्येक नबी का शत्रु बनाया, जो चिकनी-चुपड़ी बात एक-दूसरे के मन में डालकर धोखा देते थे - यदि तुम्हारा रब चाहता तो वे ऐसा न कर सकते। अब छोड़ो उन्हें और उनके मिथ्यारोपण को। - |
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902 | 6 | 113 | ولتصغى إليه أفئدة الذين لا يؤمنون بالآخرة وليرضوه وليقترفوا ما هم مقترفون |
| | | और ताकि जो लोग परलोक को नहीं मानते, उनके दिल उसकी ओर झुकें और ताकि वे उसे पसन्द कर लें, और ताकि जो कमाई उन्हें करनी है कर लें |
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903 | 6 | 114 | أفغير الله أبتغي حكما وهو الذي أنزل إليكم الكتاب مفصلا والذين آتيناهم الكتاب يعلمون أنه منزل من ربك بالحق فلا تكونن من الممترين |
| | | अब क्या मैं अल्लाह के सिवा कोई और निर्णायक ढूढूँ? हालाँकि वही है जिसने तुम्हारी ओर किताब अवतरित की है, जिसमें बातें खोल-खोलकर बता दी गई है और जिन लोगों को हमने किताब प्रदान की थी, वे भी जानते है कि यह तुम्हारे रब की ओर से हक़ के साथ अवतरित हुई है, तो तुम कदापि सन्देह में न पड़ना |
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904 | 6 | 115 | وتمت كلمت ربك صدقا وعدلا لا مبدل لكلماته وهو السميع العليم |
| | | तुम्हारे रब की बात सच्चाई और इनसाफ़ के साथ पूरी हुई, कोई नहीं जो उसकी बातों को बदल सकें, और वह सुनता, जानता है |
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905 | 6 | 116 | وإن تطع أكثر من في الأرض يضلوك عن سبيل الله إن يتبعون إلا الظن وإن هم إلا يخرصون |
| | | और धरती में अधिकतर लोग ऐसे है, यदि तुम उनके कहने पर चले तो वे अल्लाह के मार्ग से तुम्हें भटका देंगे। वे तो केवल अटकल के पीछे चलते है और वे निरे अटकल ही दौड़ाते है |
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906 | 6 | 117 | إن ربك هو أعلم من يضل عن سبيله وهو أعلم بالمهتدين |
| | | निस्संदेह तुम्हारा रब उसे भली-भाँति जानता है, जो उसके मार्ग से भटकता और वह उन्हें भी जानता है, जो सीधे मार्ग पर है |
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907 | 6 | 118 | فكلوا مما ذكر اسم الله عليه إن كنتم بآياته مؤمنين |
| | | अतः जिसपर अल्लाह का नाम लिया गया हो, उसे खाओ; यदि तुम उसकी आयतों को मानते हो |
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908 | 6 | 119 | وما لكم ألا تأكلوا مما ذكر اسم الله عليه وقد فصل لكم ما حرم عليكم إلا ما اضطررتم إليه وإن كثيرا ليضلون بأهوائهم بغير علم إن ربك هو أعلم بالمعتدين |
| | | और क्या आपत्ति है कि तुम उसे न खाओ, जिसपर अल्लाह का नाम लिया गया हो, बल्कि जो कुछ चीज़े उसने तुम्हारे लिए हराम कर दी है, उनको उसने विस्तारपूर्वक तुम्हे बता दिया है। यह और बात है कि उसके लिए कभी तुम्हें विवश होना पड़े। परन्तु अधिकतर लोग तो ज्ञान के बिना केवल अपनी इच्छाओं (ग़लत विचारों) के द्वारा पथभ्रष्टो करते रहते है। निस्सन्देह तुम्हारा रब मर्यादाहीन लोगों को भली-भाँति जानता है |
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