بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
88281بلى من كسب سيئة وأحاطت به خطيئته فأولئك أصحاب النار هم فيها خالدون
हाँ (सच तो यह है) कि जिसने बुराई हासिल की और उसके गुनाहों ने चारों तरफ से उसे घेर लिया है वही लोग तो दोज़ख़ी हैं और वही (तो) उसमें हमेशा रहेंगे
89282والذين آمنوا وعملوا الصالحات أولئك أصحاب الجنة هم فيها خالدون
और जो लोग ईमानदार हैं और उन्होंने अच्छे काम किए हैं वही लोग जन्नती हैं कि हमेशा जन्नत में रहेंगे
90283وإذ أخذنا ميثاق بني إسرائيل لا تعبدون إلا الله وبالوالدين إحسانا وذي القربى واليتامى والمساكين وقولوا للناس حسنا وأقيموا الصلاة وآتوا الزكاة ثم توليتم إلا قليلا منكم وأنتم معرضون
और (वह वक्त याद करो) जब हमने बनी ईसराइल से (जो तुम्हारे बुर्जुग़ थे) अहद व पैमान लिया था कि खुदा के सिवा किसी की इबादत न करना और माँ बाप और क़राबतदारों और यतीमों और मोहताजों के साथ अच्छे सुलूक करना और लोगों के साथ अच्छी तरह (नरमी) से बातें करना और बराबर नमाज़ पढ़ना और ज़कात देना फिर तुममें से थोड़े आदिमियों के सिवा (सब के सब) फिर गए और तुम लोग हो ही इक़रार से मुँह फेरने वाले
91284وإذ أخذنا ميثاقكم لا تسفكون دماءكم ولا تخرجون أنفسكم من دياركم ثم أقررتم وأنتم تشهدون
और (वह वक्त याद करो) जब हमने तुम (तुम्हारे बुर्ज़ुगों) से अहद लिया था कि आपस में खूरेज़ियाँ न करना और न अपने लोगों को शहर बदर करना तो तुम (तुम्हारे बुर्जुग़ों) ने इक़रार किया था और तुम भी उसकी गवाही देते हो
92285ثم أنتم هؤلاء تقتلون أنفسكم وتخرجون فريقا منكم من ديارهم تظاهرون عليهم بالإثم والعدوان وإن يأتوكم أسارى تفادوهم وهو محرم عليكم إخراجهم أفتؤمنون ببعض الكتاب وتكفرون ببعض فما جزاء من يفعل ذلك منكم إلا خزي في الحياة الدنيا ويوم القيامة يردون إلى أشد العذاب وما الله بغافل عما تعملون
(कि हाँ ऐसा हुआ था) फिर वही लोग तो तुम हो कि आपस में एक दूसरे को क़त्ल करते हो और अपनों से एक जत्थे के नाहक़ और ज़बरदस्ती हिमायती बनकर दूसरे को शहर बदर करते हो (और लुत्फ़ तो ये है कि) अगर वही लोग क़ैदी बनकर तम्हारे पास (मदद माँगने) आए तो उनको तावान देकर छुड़ा लेते हो हालाँकि उनका निकालना ही तुम पर हराम किया गया था तो फिर क्या तुम (किताबे खुदा की) बाज़ बातों पर ईमान रखते हो और बाज़ से इन्कार करते हो पस तुम में से जो लोग ऐसा करें उनकी सज़ा इसके सिवा और कुछ नहीं कि ज़िन्दगी भर की रूसवाई हो और (आख़िरकार) क़यामत के दिन सख्त अज़ाब की तरफ लौटा दिये जाए और जो कुछ तुम लोग करते हो खुदा उससे ग़ाफ़िल नहीं है
93286أولئك الذين اشتروا الحياة الدنيا بالآخرة فلا يخفف عنهم العذاب ولا هم ينصرون
यही वह लोग हैं जिन्होंने आख़ेरत के बदले दुनिया की ज़िन्दगी ख़रीद पस न उनके अज़ाब ही में तख्फ़ीफ़ (कमी) की जाएगी और न वह लोग किसी तरह की मदद दिए जाएँगे
94287ولقد آتينا موسى الكتاب وقفينا من بعده بالرسل وآتينا عيسى ابن مريم البينات وأيدناه بروح القدس أفكلما جاءكم رسول بما لا تهوى أنفسكم استكبرتم ففريقا كذبتم وفريقا تقتلون
और ये हक़ीक़ी बात है कि हमने मूसा को किताब (तौरेत) दी और उनके बाद बहुत से पैग़म्बरों को उनके क़दम ब क़दम ले चलें और मरियम के बेटे ईसा को (भी बहुत से) वाजेए व रौशन मौजिजे दिए और पाक रूह जिबरील के ज़रिये से उनकी मदद की क्या तुम उस क़दर बददिमाग़ हो गए हो कि जब कोई पैग़म्बर तुम्हारे पास तुम्हारी ख्वाहिशे नफ़सानी के ख़िलाफ कोई हुक्म लेकर आया तो तुम अकड़ बैठे फिर तुमने बाज़ पैग़म्बरों को तो झुठलाया और बाज़ को जान से मार डाला
95288وقالوا قلوبنا غلف بل لعنهم الله بكفرهم فقليلا ما يؤمنون
और कहने लगे कि हमारे दिलों पर ग़िलाफ चढ़ा हुआ है (ऐसा नहीं) बल्कि उनके कुफ्र की वजह से खुदा ने उनपर लानत की है पस कम ही लोग ईमान लाते हैं
96289ولما جاءهم كتاب من عند الله مصدق لما معهم وكانوا من قبل يستفتحون على الذين كفروا فلما جاءهم ما عرفوا كفروا به فلعنة الله على الكافرين
और जब उनके पास खुदा की तरफ़ से किताब (कुरान आई और वह उस किताब तौरेत) की जो उन के पास तसदीक़ भी करती है। और उससे पहले (इसकी उम्मीद पर) काफ़िरों पर फतेहयाब होने की दुआएँ माँगते थे पस जब उनके पास वह चीज़ जिसे पहचानते थे आ गई तो लगे इन्कार करने पस काफ़िरों पर खुदा की लानत है
97290بئسما اشتروا به أنفسهم أن يكفروا بما أنزل الله بغيا أن ينزل الله من فضله على من يشاء من عباده فباءوا بغضب على غضب وللكافرين عذاب مهين
क्या ही बुरा है वह काम जिसके मुक़ाबले में (इतनी बात पर) वह लोग अपनी जानें बेच बैठे हैं कि खुदा अपने बन्दों से जिस पर चाहे अपनी इनायत से किताब नाज़िल किया करे इस रश्क से जो कुछ खुदा ने नाज़िल किया है सबका इन्कार कर बैठे पस उन पर ग़ज़ब पर ग़ज़ब टूट पड़ा और काफ़िरों के लिए (बड़ी) रूसवाई का अज़ाब है


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