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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
861 | 6 | 72 | وأن أقيموا الصلاة واتقوه وهو الذي إليه تحشرون |
| | | वह तो वह (ख़ुदा है) जिसने ठीक ठीक बहुतेरे आसमान व ज़मीन पैदा किए और जिस दिन (किसी चीज़ को) कहता है कि हो जा तो (फौरन) हो जाती है |
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862 | 6 | 73 | وهو الذي خلق السماوات والأرض بالحق ويوم يقول كن فيكون قوله الحق وله الملك يوم ينفخ في الصور عالم الغيب والشهادة وهو الحكيم الخبير |
| | | उसका क़ौल सच्चा है और जिस दिन सूर फूंका जाएगा (उस दिन) ख़ास उसी की बादशाहत होगी (वही) ग़ायब हाज़िर (सब) का जानने वाला है और वही दाना वाक़िफकार है |
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863 | 6 | 74 | وإذ قال إبراهيم لأبيه آزر أتتخذ أصناما آلهة إني أراك وقومك في ضلال مبين |
| | | (ऐ रसूल) उस वक्त क़ा याद करो) जब इबराहीम ने अपने (मुंह बोले) बाप आज़र से कहा क्या तुम बुतों को ख़ुदा मानते हो-मै तो तुमको और तुम्हारी क़ौम को खुली गुमराही में देखता हूँ |
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864 | 6 | 75 | وكذلك نري إبراهيم ملكوت السماوات والأرض وليكون من الموقنين |
| | | और (जिस तरह हमने इबराहीम को दिखाया था कि बुत क़ाबिले परसतिश (पूजने के क़ाबिल) नहीं) उसी तरह हम इबराहीम को सारे आसमान और ज़मीन की सल्तनत का (इन्तज़ाम) दिखाते रहे ताकि वह (हमारी वहदानियत का) यक़ीन करने वालों से हो जाएं |
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865 | 6 | 76 | فلما جن عليه الليل رأى كوكبا قال هذا ربي فلما أفل قال لا أحب الآفلين |
| | | तो जब उन पर रात की तारीक़ी (अंधेरा) छा गयी तो एक सितारे को देखा तो दफअतन बोल उठे (हाए क्या) यही मेरा ख़ुदा है फिर जब वह डूब गया तो कहने लगे ग़ुरुब (डूब) हो जाने वाली चीज़ को तो मै (ख़ुदा बनाना) पसन्द नहीं करता |
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866 | 6 | 77 | فلما رأى القمر بازغا قال هذا ربي فلما أفل قال لئن لم يهدني ربي لأكونن من القوم الضالين |
| | | फिर जब चाँद को जगमगाता हुआ देखा तो बोल उठे (क्या) यही मेरा ख़ुदा है फिर जब वह भी ग़ुरुब हो गया तो कहने लगे कि अगर (कहीं) मेरा (असली) परवरदिगार मेरी हिदायत न करता तो मैं ज़रुर गुमराह लोगों में हो जाता |
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867 | 6 | 78 | فلما رأى الشمس بازغة قال هذا ربي هذا أكبر فلما أفلت قال يا قوم إني بريء مما تشركون |
| | | फिर जब आफताब को दमकता हुआ देखा तो कहने लगे (क्या) यही मेरा ख़ुदा है ये तो सबसे बड़ा (भी) है फिर जब ये भी ग़ुरुब हो गया तो कहने लगे ऐ मेरी क़ौम जिन जिन चीज़ों को तुम लोग (ख़ुदा का) शरीक बनाते हो उनसे मैं बेज़ार हूँ |
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868 | 6 | 79 | إني وجهت وجهي للذي فطر السماوات والأرض حنيفا وما أنا من المشركين |
| | | (ये हरगिज़ नहीं हो सकते) मैने तो बातिल से कतराकर उसकी तरफ से मुँह कर लिया है जिसने बहुतेरे आसमान और ज़मीन पैदा किए और मैं मुशरेकीन से नहीं हूँ |
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869 | 6 | 80 | وحاجه قومه قال أتحاجوني في الله وقد هدان ولا أخاف ما تشركون به إلا أن يشاء ربي شيئا وسع ربي كل شيء علما أفلا تتذكرون |
| | | और उनकी क़ौम के लोग उनसे हुज्जत करने लगे तो इबराहीम ने कहा था क्या तुम मुझसे ख़ुदा के बारे में हुज्जत करते हो हालॉकि वह यक़ीनी मेरी हिदायत कर चुका और तुम मे जिन बुतों को उसका शरीक मानते हो मै उनसे डरता (वरता) नहीं (वह मेरा कुछ नहीं कर सकते) मगर हॉ मेरा ख़ुदा खुद (करना) चाहे तो अलबत्ता कर सकता है मेरा परवरदिगार तो बाएतबार इल्म के सब पर हावी है तो क्या उस पर भी तुम नसीहत नहीं मानते |
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870 | 6 | 81 | وكيف أخاف ما أشركتم ولا تخافون أنكم أشركتم بالله ما لم ينزل به عليكم سلطانا فأي الفريقين أحق بالأمن إن كنتم تعلمون |
| | | और जिन्हें तुम ख़ुदा का शरीक बताते हो मै उन से क्यों डरुँ जब तुम इस बात से नहीं डरते कि तुमने ख़ुदा का शरीक ऐसी चीज़ों को बनाया है जिनकी ख़ुदा ने कोई सनद तुम पर नहीं नाज़िल की फिर अगर तुम जानते हो तो (भला बताओ तो सही कि) हम दोनों फरीक़ (गिरोह) में अमन क़ायम रखने का ज्यादा हक़दार कौन है |
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