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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
840 | 6 | 51 | وأنذر به الذين يخافون أن يحشروا إلى ربهم ليس لهم من دونه ولي ولا شفيع لعلهم يتقون |
| | | और तुम इसके द्वारा उन लोगों को सचेत कर दो, जिन्हें इस बात का भय है कि वे अपने रब के पास इस हाल में इकट्ठा किए जाएँगे कि उसके सिवा न तो उसका कोई समर्थक होगा और न कोई सिफ़ारिश करनेवाला, ताकि वे बचें |
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841 | 6 | 52 | ولا تطرد الذين يدعون ربهم بالغداة والعشي يريدون وجهه ما عليك من حسابهم من شيء وما من حسابك عليهم من شيء فتطردهم فتكون من الظالمين |
| | | और जो लोग अपने रब को उसकी ख़ुशी की चाह में प्रातः और सायंकाल पुकारते रहते है, ऐसे लोगों को दूर न करना। उनके हिसाब की तुमपर कुछ भी ज़िम्मेदारी नहीं है और न तुम्हारे हिसाब की उनपर कोई ज़िम्मेदारी है कि तुम उन्हें दूर करो और फिर हो जाओ अत्याचारियों में से |
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842 | 6 | 53 | وكذلك فتنا بعضهم ببعض ليقولوا أهؤلاء من الله عليهم من بيننا أليس الله بأعلم بالشاكرين |
| | | और इसी प्रकार हमने इनमें से एक को दूसरे के द्वारा आज़माइश में डाला, ताकि वे कहें, "क्या यही वे लोग है, जिनपर अल्लाह न हममें से चुनकर एहसान किया है ?" - क्या अल्लाह कृतज्ञ लोगों से भली-भाँति परिचित नहीं है? |
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843 | 6 | 54 | وإذا جاءك الذين يؤمنون بآياتنا فقل سلام عليكم كتب ربكم على نفسه الرحمة أنه من عمل منكم سوءا بجهالة ثم تاب من بعده وأصلح فأنه غفور رحيم |
| | | और जब तुम्हारे पास वे लोग आएँ, जो हमारी आयतों को मानते है, तो कहो, "सलाम हो तुमपर! तुम्हारे रब ने दयालुता को अपने ऊपर अनिवार्य कर लिया है कि तुममें से जो कोई नासमझी से कोई बुराई कर बैठे, फिर उसके बाद पलट आए और अपना सुधार कर तो यह है वह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।" |
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844 | 6 | 55 | وكذلك نفصل الآيات ولتستبين سبيل المجرمين |
| | | इसी प्रकार हम अपनी आयतें खोल-खोलकर बयान करते है (ताकि तुम हर ज़रूरी बात जान लो) और इसलिए कि अपराधियों का मार्ग स्पष्ट हो जाए |
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845 | 6 | 56 | قل إني نهيت أن أعبد الذين تدعون من دون الله قل لا أتبع أهواءكم قد ضللت إذا وما أنا من المهتدين |
| | | कह दो, "तुम लोग अल्लाह से हटकर जिन्हें पुकारते हो, उनकी बन्दगी करने से मुझे रोका गया है।" कहो, "मैं तुम्हारी इच्छाओं का अनुपालन नहीं करता, क्योंकि तब तो मैं मार्ग से भटक गया और मार्ग पानेवालों में से न रहा।" |
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846 | 6 | 57 | قل إني على بينة من ربي وكذبتم به ما عندي ما تستعجلون به إن الحكم إلا لله يقص الحق وهو خير الفاصلين |
| | | कह दो, "मैं अपने रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण पर क़ायम हूँ और तुमने उसे झुठला दिया है। जिस चीज़ के लिए तुम जल्दी मचा रहे हो, वह कोई मेरे पास तो नहीं है। निर्णय का सारा अधिकार अल्लाह ही को है, वही सच्ची बात बयान करता है और वही सबसे अच्छा निर्णायक है।" |
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847 | 6 | 58 | قل لو أن عندي ما تستعجلون به لقضي الأمر بيني وبينكم والله أعلم بالظالمين |
| | | कह दो, "जिस चीज़ की तुम्हें जल्दी पड़ी हुई है, यदि कहीं वह चीज़ मेरे पास होती तो मेरे और तुम्हारे बीच कभी का फ़ैसला हो चुका होता। और अल्लाह अत्याचारियों को भली-भाती जानता है।" |
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848 | 6 | 59 | وعنده مفاتح الغيب لا يعلمها إلا هو ويعلم ما في البر والبحر وما تسقط من ورقة إلا يعلمها ولا حبة في ظلمات الأرض ولا رطب ولا يابس إلا في كتاب مبين |
| | | उसी के पास परोक्ष की कुंजियाँ है, जिन्हें उसके सिवा कोई नहीं जानता। जल और थल में जो कुछ है, उसे वह जानता है। और जो पत्ता भी गिरता है, उसे वह निश्चय ही जानता है। और धरती के अँधेरों में कोई दाना हो और कोई भी आर्द्र (गीली) और शुष्क (सूखी) चीज़ हो, निश्चय ही एक स्पष्ट किताब में मौजूद है |
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849 | 6 | 60 | وهو الذي يتوفاكم بالليل ويعلم ما جرحتم بالنهار ثم يبعثكم فيه ليقضى أجل مسمى ثم إليه مرجعكم ثم ينبئكم بما كنتم تعملون |
| | | और वही है जो रात को तुम्हें मौत देता है और दिन में जो कुछ तुमने किया उसे जानता है। फिर वह इसलिए तुम्हें उठाता है, ताकि निश्चित अवधि पूरा हो जाए; फिर उसी की ओर तुम्हें लौटना है, फिर वह तुम्हें बता देगा जो कुछ तुम करते रहे हो |
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