بسم الله الرحمن الرحيم

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836647قل أرأيتكم إن أتاكم عذاب الله بغتة أو جهرة هل يهلك إلا القوم الظالمون
कहो, "क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि तुमपर अचानक या प्रत्यक्षतः अल्लाह की यातना आ जाए, तो क्या अत्याचारी लोगों के सिवा कोई और विनष्ट होगा?"
837648وما نرسل المرسلين إلا مبشرين ومنذرين فمن آمن وأصلح فلا خوف عليهم ولا هم يحزنون
हम रसूलों को केवल शुभ-सूचना देनेवाले और सचेतकर्ता बनाकर भेजते रहे है। फिर जो ईमान लाए और सुधर जाए, तो ऐसे लोगों के लिए न कोई भय है और न वे कभी दुखी होंगे
838649والذين كذبوا بآياتنا يمسهم العذاب بما كانوا يفسقون
रहे वे लोग, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया, उन्हें यातना पहुँचकर रहेगी, क्योंकि वे अवज्ञा करते रहे है
839650قل لا أقول لكم عندي خزائن الله ولا أعلم الغيب ولا أقول لكم إني ملك إن أتبع إلا ما يوحى إلي قل هل يستوي الأعمى والبصير أفلا تتفكرون
कह दो, "मैं तुमसे यह नहीं कहता कि मेरे पास अल्लाह के ख़ज़ाने है, और न मैं परोक्ष का ज्ञान रखता हूँ, और न मैं तुमसे कहता हूँ कि मैं कोई फ़रिश्ता हूँ। मैं तो बस उसी का अनुपालन करता हूँ जो मेरी ओर वह्यं की जाती है।" कहो, "क्या अंधा और आँखोंवाला दोनों बराबर हो जाएँगे? क्या तुम सोच-विचार से काम नहीं लेते?"
840651وأنذر به الذين يخافون أن يحشروا إلى ربهم ليس لهم من دونه ولي ولا شفيع لعلهم يتقون
और तुम इसके द्वारा उन लोगों को सचेत कर दो, जिन्हें इस बात का भय है कि वे अपने रब के पास इस हाल में इकट्ठा किए जाएँगे कि उसके सिवा न तो उसका कोई समर्थक होगा और न कोई सिफ़ारिश करनेवाला, ताकि वे बचें
841652ولا تطرد الذين يدعون ربهم بالغداة والعشي يريدون وجهه ما عليك من حسابهم من شيء وما من حسابك عليهم من شيء فتطردهم فتكون من الظالمين
और जो लोग अपने रब को उसकी ख़ुशी की चाह में प्रातः और सायंकाल पुकारते रहते है, ऐसे लोगों को दूर न करना। उनके हिसाब की तुमपर कुछ भी ज़िम्मेदारी नहीं है और न तुम्हारे हिसाब की उनपर कोई ज़िम्मेदारी है कि तुम उन्हें दूर करो और फिर हो जाओ अत्याचारियों में से
842653وكذلك فتنا بعضهم ببعض ليقولوا أهؤلاء من الله عليهم من بيننا أليس الله بأعلم بالشاكرين
और इसी प्रकार हमने इनमें से एक को दूसरे के द्वारा आज़माइश में डाला, ताकि वे कहें, "क्या यही वे लोग है, जिनपर अल्लाह न हममें से चुनकर एहसान किया है ?" - क्या अल्लाह कृतज्ञ लोगों से भली-भाँति परिचित नहीं है?
843654وإذا جاءك الذين يؤمنون بآياتنا فقل سلام عليكم كتب ربكم على نفسه الرحمة أنه من عمل منكم سوءا بجهالة ثم تاب من بعده وأصلح فأنه غفور رحيم
और जब तुम्हारे पास वे लोग आएँ, जो हमारी आयतों को मानते है, तो कहो, "सलाम हो तुमपर! तुम्हारे रब ने दयालुता को अपने ऊपर अनिवार्य कर लिया है कि तुममें से जो कोई नासमझी से कोई बुराई कर बैठे, फिर उसके बाद पलट आए और अपना सुधार कर तो यह है वह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।"
844655وكذلك نفصل الآيات ولتستبين سبيل المجرمين
इसी प्रकार हम अपनी आयतें खोल-खोलकर बयान करते है (ताकि तुम हर ज़रूरी बात जान लो) और इसलिए कि अपराधियों का मार्ग स्पष्ट हो जाए
845656قل إني نهيت أن أعبد الذين تدعون من دون الله قل لا أتبع أهواءكم قد ضللت إذا وما أنا من المهتدين
कह दो, "तुम लोग अल्लाह से हटकर जिन्हें पुकारते हो, उनकी बन्दगी करने से मुझे रोका गया है।" कहो, "मैं तुम्हारी इच्छाओं का अनुपालन नहीं करता, क्योंकि तब तो मैं मार्ग से भटक गया और मार्ग पानेवालों में से न रहा।"


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