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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
828 | 6 | 39 | والذين كذبوا بآياتنا صم وبكم في الظلمات من يشإ الله يضلله ومن يشأ يجعله على صراط مستقيم |
| | | और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठला दिया गोया वह (कुफ्र के घटाटोप) ऍधेरों में गूंगें बहरे (पड़े हैं) ख़ुदा जिसे चाहे उसे गुमराही में छोड़ दे और जिसे चाहे उसे सीधे ढर्रे पर लगा दे |
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829 | 6 | 40 | قل أرأيتكم إن أتاكم عذاب الله أو أتتكم الساعة أغير الله تدعون إن كنتم صادقين |
| | | (ऐ रसूल उनसे) पूछो तो कि क्या तुम यह समझते हो कि अगर तुम्हारे सामने ख़ुदा का अज़ाब आ जाए या तुम्हारे सामने क़यामत ही आ खड़ी मौजूद हो तो तुम अगर (अपने दावे में) सच्चे हो तो (बताओ कि मदद के वास्ते) क्या ख़ुदा को छोड़कर दूसरे को पुकारोगे |
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830 | 6 | 41 | بل إياه تدعون فيكشف ما تدعون إليه إن شاء وتنسون ما تشركون |
| | | (दूसरों को तो क्या) बल्कि उसी को पुकारोगे फिर अगर वह चाहेगा तो जिस के वास्ते तुमने उसको पुकारा है उसे दफा कर देगा और (उस वक्त) तुम दूसरे माबूदों को जिन्हे तुम (ख़ुदा का) शरीक समझते थे भूल जाओगे |
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831 | 6 | 42 | ولقد أرسلنا إلى أمم من قبلك فأخذناهم بالبأساء والضراء لعلهم يتضرعون |
| | | और (ऐ रसूल) जो उम्मतें तुमसे पहले गुज़र चुकी हैं हम उनके पास भी बहुतेरे रसूल भेज चुके हैं फिर (जब नाफ़रमानी की) तो हमने उनको सख्ती |
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832 | 6 | 43 | فلولا إذ جاءهم بأسنا تضرعوا ولكن قست قلوبهم وزين لهم الشيطان ما كانوا يعملون |
| | | और तकलीफ़ में गिरफ्तार किया ताकि वह लोग (हमारी बारगाह में) गिड़गिड़ाए तो जब उन (के सर) पर हमारा अज़ाब आ खड़ा हुआ तो वह लोग क्यों नहीं गिड़गिड़ाए (कि हम अज़ाब दफा कर देते) मगर उनके दिल तो सख्त हो गए थे ओर उनकी कारस्तानियों को शैतान ने आरास्ता कर दिखाया था (फिर क्योंकर गिड़गिड़ाते) |
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833 | 6 | 44 | فلما نسوا ما ذكروا به فتحنا عليهم أبواب كل شيء حتى إذا فرحوا بما أوتوا أخذناهم بغتة فإذا هم مبلسون |
| | | फिर जिसकी उन्हें नसीहत की गयी थी जब उसको भूल गए तो हमने उन पर (ढील देने के लिए) हर तरह की (दुनियावी) नेअमतों के दरवाज़े खोल दिए यहाँ तक कि जो नेअमतें उनको दी गयी थी जब उनको पाकर ख़ुश हुए तो हमने उन्हें नागाहाँ (एक दम) ले डाला तो उस वक्त वह नाउम्मीद होकर रह गए |
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834 | 6 | 45 | فقطع دابر القوم الذين ظلموا والحمد لله رب العالمين |
| | | फिर ज़ालिम लोगों की जड़ काट दी गयी और सारे जहाँन के मालिक ख़ुदा का शुक्र है |
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835 | 6 | 46 | قل أرأيتم إن أخذ الله سمعكم وأبصاركم وختم على قلوبكم من إله غير الله يأتيكم به انظر كيف نصرف الآيات ثم هم يصدفون |
| | | (कि क़िस्सा पाक हुआ) (ऐ रसूल) उनसे पूछो तो कि क्या तुम ये समझते हो कि अगर ख़ुदा तुम्हारे कान और तुम्हारी ऑंखे लें ले और तुम्हारे दिलों पर मोहर कर दे तो ख़ुदा के सिवा और कौन मौजूद है जो (फिर) तुम्हें ये नेअमतें (वापस) दे (ऐ रसूल) देखो तो हम किस किस तरह अपनी दलीले बयान करते हैं इस पर भी वह लोग मुँह मोडे ज़ाते हैं |
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836 | 6 | 47 | قل أرأيتكم إن أتاكم عذاب الله بغتة أو جهرة هل يهلك إلا القوم الظالمون |
| | | (ऐ रसूल) उनसे पूछो कि क्या तुम ये समझते हो कि अगर तुम्हारे सर पर ख़ुदा का अज़ाब बेख़बरी में या जानकारी में आ जाए तो क्या गुनाहगारों के सिवा और लोग भी हलाक़ किए जाएंगें (हरगिज़ नहीं) |
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837 | 6 | 48 | وما نرسل المرسلين إلا مبشرين ومنذرين فمن آمن وأصلح فلا خوف عليهم ولا هم يحزنون |
| | | और हम तो रसूलों को सिर्फ इस ग़रज़ से भेजते हैं कि (नेको को जन्नत की) खुशख़बरी दें और (बदो को अज़ाब जहन्नुम से) डराएं फिर जिसने ईमान कुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए तो ऐसे लोगों पर (क़यामत में) न कोई ख़ौफ होगा और न वह ग़मग़ीन होगें |
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