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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
824 | 6 | 35 | وإن كان كبر عليك إعراضهم فإن استطعت أن تبتغي نفقا في الأرض أو سلما في السماء فتأتيهم بآية ولو شاء الله لجمعهم على الهدى فلا تكونن من الجاهلين |
| | | और यदि उनकी विमुखता तुम्हारे लिए असहनीय है, तो यदि तुमसे हो सके कि धरती में कोई सुरंग या आकाश में कोई सीढ़ी ढूँढ़ निकालो और उनके पास कोई निशानी ले आओ, तो (ऐसा कर देखो), यदि अल्लाह चाहता तो उन सबको सीधे मार्ग पर इकट्ठा कर देता। अतः तुम उजड्ड और नादान न बनना |
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825 | 6 | 36 | إنما يستجيب الذين يسمعون والموتى يبعثهم الله ثم إليه يرجعون |
| | | मानते हो वही लोग है जो सुनते है, रहे मुर्दे, तो अल्लाह उन्हें (क़ियामत के दिन) उठा खड़ा करेगा; फिर वे उसी के ओर पलटेंगे |
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826 | 6 | 37 | وقالوا لولا نزل عليه آية من ربه قل إن الله قادر على أن ينزل آية ولكن أكثرهم لا يعلمون |
| | | वे यह भी कहते है, "उस (नबी) पर उसके रब की ओर से कोई निशानी क्यों नहीं उतारी गई?" कह दो, "अल्लाह को तो इसकी सामर्थ्य प्राप्त है कि कोई निशानी उतार दे; परन्तु उनमें से अधिकतर लोग नहीं जानते।" |
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827 | 6 | 38 | وما من دابة في الأرض ولا طائر يطير بجناحيه إلا أمم أمثالكم ما فرطنا في الكتاب من شيء ثم إلى ربهم يحشرون |
| | | धरती में चलने-फिरनेवाला कोई भी प्राणी हो या अपने दो परो से उड़नवाला कोई पक्षी, ये सब तुम्हारी ही तरह के गिरोह है। हमने किताब में कोई भी चीज़ नहीं छोड़ी है। फिर वे अपने रब की ओर इकट्ठे किए जाएँगे |
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828 | 6 | 39 | والذين كذبوا بآياتنا صم وبكم في الظلمات من يشإ الله يضلله ومن يشأ يجعله على صراط مستقيم |
| | | जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया, वे बहरे और गूँगे है, अँधेरों में पड़े हुए हैं। अल्लाह जिसे चाहे भटकने दे और जिसे चाहे सीधे मार्ग पर लगा दे |
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829 | 6 | 40 | قل أرأيتكم إن أتاكم عذاب الله أو أتتكم الساعة أغير الله تدعون إن كنتم صادقين |
| | | कहो, "क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि तुमपर अल्लाह की यातना आ पड़े या वह घड़ी तुम्हारे सामने आ जाए, तो क्या अल्लाह के सिवा किसी और को पुकारोगे? बोलो, यदि तुम सच्चे हो? |
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830 | 6 | 41 | بل إياه تدعون فيكشف ما تدعون إليه إن شاء وتنسون ما تشركون |
| | | "बल्कि तुम उसी को पुकारते हो - फिर जिसके लिए तुम उसे पुकारते हो, वह चाहता है तो उसे दूर कर देता है - और उन्हें भूल जाते हो जिन्हें साझीदार ठहराते हो।" |
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831 | 6 | 42 | ولقد أرسلنا إلى أمم من قبلك فأخذناهم بالبأساء والضراء لعلهم يتضرعون |
| | | तुमसे पहले कितने ही समुदायों की ओर हमने रसूल भेजे कि उन्हें तंगियों और मुसीबतों में डाला, ताकि वे विनम्र हों |
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832 | 6 | 43 | فلولا إذ جاءهم بأسنا تضرعوا ولكن قست قلوبهم وزين لهم الشيطان ما كانوا يعملون |
| | | जब हमारी ओर से उनपर सख्ती आई तो फिर क्यों न विनम्र हुए? परन्तु उनके हृदय तो कठोर हो गए थे और जो कुछ वे करते थे शैतान ने उसे उनके लिए मोहक बना दिया |
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833 | 6 | 44 | فلما نسوا ما ذكروا به فتحنا عليهم أبواب كل شيء حتى إذا فرحوا بما أوتوا أخذناهم بغتة فإذا هم مبلسون |
| | | फिर जब उसे उन्होंने भुला दिया जो उन्हें याद दिलाई गई थी, तो हमने उनपर हर चीज़ के दरवाज़े खोल दिए; यहाँ तक कि जो कुछ उन्हें मिला था, जब वे उसमें मग्न हो गए तो अचानक हमने उन्हें पकड़ लिया, तो क्या देखते है कि वे बिल्कुल निराश होकर रह गए |
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