بسم الله الرحمن الرحيم

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82275أفتطمعون أن يؤمنوا لكم وقد كان فريق منهم يسمعون كلام الله ثم يحرفونه من بعد ما عقلوه وهم يعلمون
(मुसलमानों) क्या तुम ये लालच रखते हो कि वह तुम्हारा (सा) ईमान लाएँगें हालाँकि उनमें का एक गिरोह (साबिक़ में) ऐसा था कि खुदा का कलाम सुनाता था और अच्छी तरह समझने के बाद उलट फेर कर देता था हालाँकि वह खूब जानते थे और जब उन लोगों से मुलाक़ात करते हैं
83276وإذا لقوا الذين آمنوا قالوا آمنا وإذا خلا بعضهم إلى بعض قالوا أتحدثونهم بما فتح الله عليكم ليحاجوكم به عند ربكم أفلا تعقلون
जो ईमान लाए तो कह देते हैं कि हम तो ईमान ला चुके और जब उनसे बाज़-बाज़ के साथ तख़िलया करते हैं तो कहते हैं कि जो कुछ खुदा ने तुम पर (तौरेत) में ज़ाहिर कर दिया है क्या तुम (मुसलमानों को) बता दोगे ताकि उसके सबब से कल तुम्हारे खुदा के पास तुम पर हुज्जत लाएँ क्या तुम इतना भी नहीं समझते
84277أولا يعلمون أن الله يعلم ما يسرون وما يعلنون
लेकिन क्या वह लोग (इतना भी) नहीं जानते कि वह लोग जो कुछ छिपाते हैं या ज़ाहिर करते हैं खुदा सब कुछ जानता है
85278ومنهم أميون لا يعلمون الكتاب إلا أماني وإن هم إلا يظنون
और कुछ उनमें से ऐसे अनपढ़ हैं कि वह किताबे खुदा को अपने मतलब की बातों के सिवा कुछ नहीं समझते और वह फक़त ख्याली बातें किया करते हैं,
86279فويل للذين يكتبون الكتاب بأيديهم ثم يقولون هذا من عند الله ليشتروا به ثمنا قليلا فويل لهم مما كتبت أيديهم وويل لهم مما يكسبون
पस वाए हो उन लोगों पर जो अपने हाथ से किताब लिखते हैं फिर (लोगों से कहते फिरते) हैं कि ये खुदा के यहाँ से (आई) है ताकि उसके ज़रिये से थोड़ी सी क़ीमत (दुनयावी फ़ायदा) हासिल करें पस अफसोस है उन पर कि उनके हाथों ने लिखा और फिर अफसोस है उनपर कि वह ऐसी कमाई करते हैं
87280وقالوا لن تمسنا النار إلا أياما معدودة قل أتخذتم عند الله عهدا فلن يخلف الله عهده أم تقولون على الله ما لا تعلمون
और कहते हैं कि गिनती के चन्द दिनों के सिवा हमें आग छुएगी भी तो नहीं (ऐ रसूल) इन लोगों से कहो कि क्या तुमने खुदा से कोई इक़रार ले लिया है कि फिर वह किसी तरह अपने इक़रार के ख़िलाफ़ हरगिज़ न करेगा या बे समझे बूझे खुदा पर बोहताव जोड़ते हो
88281بلى من كسب سيئة وأحاطت به خطيئته فأولئك أصحاب النار هم فيها خالدون
हाँ (सच तो यह है) कि जिसने बुराई हासिल की और उसके गुनाहों ने चारों तरफ से उसे घेर लिया है वही लोग तो दोज़ख़ी हैं और वही (तो) उसमें हमेशा रहेंगे
89282والذين آمنوا وعملوا الصالحات أولئك أصحاب الجنة هم فيها خالدون
और जो लोग ईमानदार हैं और उन्होंने अच्छे काम किए हैं वही लोग जन्नती हैं कि हमेशा जन्नत में रहेंगे
90283وإذ أخذنا ميثاق بني إسرائيل لا تعبدون إلا الله وبالوالدين إحسانا وذي القربى واليتامى والمساكين وقولوا للناس حسنا وأقيموا الصلاة وآتوا الزكاة ثم توليتم إلا قليلا منكم وأنتم معرضون
और (वह वक्त याद करो) जब हमने बनी ईसराइल से (जो तुम्हारे बुर्जुग़ थे) अहद व पैमान लिया था कि खुदा के सिवा किसी की इबादत न करना और माँ बाप और क़राबतदारों और यतीमों और मोहताजों के साथ अच्छे सुलूक करना और लोगों के साथ अच्छी तरह (नरमी) से बातें करना और बराबर नमाज़ पढ़ना और ज़कात देना फिर तुममें से थोड़े आदिमियों के सिवा (सब के सब) फिर गए और तुम लोग हो ही इक़रार से मुँह फेरने वाले
91284وإذ أخذنا ميثاقكم لا تسفكون دماءكم ولا تخرجون أنفسكم من دياركم ثم أقررتم وأنتم تشهدون
और (वह वक्त याद करो) जब हमने तुम (तुम्हारे बुर्ज़ुगों) से अहद लिया था कि आपस में खूरेज़ियाँ न करना और न अपने लोगों को शहर बदर करना तो तुम (तुम्हारे बुर्जुग़ों) ने इक़रार किया था और तुम भी उसकी गवाही देते हो


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