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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
82 | 2 | 75 | أفتطمعون أن يؤمنوا لكم وقد كان فريق منهم يسمعون كلام الله ثم يحرفونه من بعد ما عقلوه وهم يعلمون |
| | | तो क्या तुम इस लालच में हो कि वे तुम्हारी बात मान लेंगे, जबकि उनमें से कुछ लोग अल्लाह का कलाम सुनते रहे हैं, फिर उसे भली-भाँति समझ लेने के पश्चात जान-बूझकर उसमें परिवर्तन करते रहे? |
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83 | 2 | 76 | وإذا لقوا الذين آمنوا قالوا آمنا وإذا خلا بعضهم إلى بعض قالوا أتحدثونهم بما فتح الله عليكم ليحاجوكم به عند ربكم أفلا تعقلون |
| | | और जब वे ईमान लानेवाले से मिलते है तो कहते हैं, "हम भी ईमान रखते हैं", और जब आपस में एक-दूसरे से एकान्त में मिलते है तो कहते है, "क्या तुम उन्हें वे बातें, जो अल्लाह ने तुम पर खोली, बता देते हो कि वे उनके द्वारा तुम्हारे रब के यहाँ हुज्जत में तुम्हारा मुक़ाबिला करें? तो क्या तुम समझते नहीं!" |
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84 | 2 | 77 | أولا يعلمون أن الله يعلم ما يسرون وما يعلنون |
| | | क्या वे जानते नहीं कि अल्लाह वह सब कुछ जानता है, जो कुछ वे छिपाते और जो कुछ ज़ाहिर करते हैं? |
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85 | 2 | 78 | ومنهم أميون لا يعلمون الكتاب إلا أماني وإن هم إلا يظنون |
| | | और उनमें सामान्य बेपढ़े भी हैं जिन्हें किताब का ज्ञान नहीं है, बस कुछ कामनाओं एवं आशाओं को धर्म जानते हैं, और वे तो बस अटकल से काम लेते हैं |
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86 | 2 | 79 | فويل للذين يكتبون الكتاب بأيديهم ثم يقولون هذا من عند الله ليشتروا به ثمنا قليلا فويل لهم مما كتبت أيديهم وويل لهم مما يكسبون |
| | | तो विनाश और तबाही है उन लोगों के लिए जो अपने हाथों से किताब लिखते हैं फिर कहते हैं, "यह अल्लाह की ओर से है", ताकि उसके द्वारा थोड़ा मूल्य प्राप्त कर लें। तो तबाही है उनके हाथों ने लिखा और तबाही है उनके लिए उसके कारण जो वे कमा रहे हैं |
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87 | 2 | 80 | وقالوا لن تمسنا النار إلا أياما معدودة قل أتخذتم عند الله عهدا فلن يخلف الله عهده أم تقولون على الله ما لا تعلمون |
| | | वे कहते है, "जहन्नम की आग हमें नहीं छू सकती, हाँ, कुछ गिने-चुने दिनों की बात और है।" कहो, "क्या तुमने अल्लाह से कोई वचन ले रखा है? फिर तो अल्लाह कदापि अपने वचन के विरुद्ध नहीं जा सकता? या तुम अल्लाह के ज़िम्मे डालकर ऐसी बात कहते हो जिसका तुम्हें ज्ञान नहीं? |
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88 | 2 | 81 | بلى من كسب سيئة وأحاطت به خطيئته فأولئك أصحاب النار هم فيها خالدون |
| | | क्यों नहीं; जिसने भी कोई बदी कमाई और उसकी खताकारी ने उसे अपने घरे में ले लिया, तो ऐसे ही लोग आग (जहन्नम) में पड़नेवाले है; वे उसी में सदैव रहेंगे |
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89 | 2 | 82 | والذين آمنوا وعملوا الصالحات أولئك أصحاب الجنة هم فيها خالدون |
| | | रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, वही जन्नतवाले हैं, वे सदैव उसी में रहेंगे।" |
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90 | 2 | 83 | وإذ أخذنا ميثاق بني إسرائيل لا تعبدون إلا الله وبالوالدين إحسانا وذي القربى واليتامى والمساكين وقولوا للناس حسنا وأقيموا الصلاة وآتوا الزكاة ثم توليتم إلا قليلا منكم وأنتم معرضون |
| | | और याद करो जब इसराईल की सन्तान से हमने वचन लिया, "अल्लाह के अतिरिक्त किसी की बन्दगी न करोगे; और माँ-बाप के साथ और नातेदारों के साथ और अनाथों और मुहताजों के साथ अच्छा व्यवहार करोगे; और यह कि लोगों से भली बात कहो और नमाज़ क़ायम करो और ज़कात दो।" तो तुम फिर गए, बस तुममें से बचे थोड़े ही, और तुम उपेक्षा की नीति ही अपनाए रहे |
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91 | 2 | 84 | وإذ أخذنا ميثاقكم لا تسفكون دماءكم ولا تخرجون أنفسكم من دياركم ثم أقررتم وأنتم تشهدون |
| | | और याद करो जब तुमसे वचन लिया, "अपने ख़ून न बहाओगे और न अपने लोगों को अपनी बस्तियों से निकालोगे।" फिर तुमने इक़रार किया और तुम स्वयं इसके गवाह हो |
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