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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
809 | 6 | 20 | الذين آتيناهم الكتاب يعرفونه كما يعرفون أبناءهم الذين خسروا أنفسهم فهم لا يؤمنون |
| | | जिन लोगों को हमने किताब दी है, वे उसे इस प्रकार पहचानते है, जिस प्रकार अपने बेटों को पहचानते है। जिन लोगों ने अपने आपको घाटे में डाला है, वही ईमान नहीं लाते |
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810 | 6 | 21 | ومن أظلم ممن افترى على الله كذبا أو كذب بآياته إنه لا يفلح الظالمون |
| | | और उससे बढ़कर अत्याचारी कौन होगा, जो अल्लाह पर झूठ गढ़े या उसकी आयतों को झुठलाए। निस्सन्देह अत्याचारी कभी सफल नहीं हो सकते |
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811 | 6 | 22 | ويوم نحشرهم جميعا ثم نقول للذين أشركوا أين شركاؤكم الذين كنتم تزعمون |
| | | और उस दिन को याद करो जब हम सबको इकट्ठा करेंगे; फिर बहुदेववादियों से पूछेंगे, "कहाँ है तुम्हारे ठहराए हुए साझीदार, जिनका तुम दावा किया करते थे?" |
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812 | 6 | 23 | ثم لم تكن فتنتهم إلا أن قالوا والله ربنا ما كنا مشركين |
| | | फिर उनका कोई फ़िला (उपद्रव) शेष न रहेगा। सिवाय इसके कि वे कहेंगे, "अपने रब अल्लाह की सौगन्ध! हम बहुदेववादी न थे।" |
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813 | 6 | 24 | انظر كيف كذبوا على أنفسهم وضل عنهم ما كانوا يفترون |
| | | देखो, कैसा वे अपने विषय में झूठ बोले। और वह गुम होकर रह गया जो वे घड़ा करते थे |
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814 | 6 | 25 | ومنهم من يستمع إليك وجعلنا على قلوبهم أكنة أن يفقهوه وفي آذانهم وقرا وإن يروا كل آية لا يؤمنوا بها حتى إذا جاءوك يجادلونك يقول الذين كفروا إن هذا إلا أساطير الأولين |
| | | और उनमें कुछ लोग ऐसे है जो तुम्हारी ओर कान लगाते है, हालाँकि हमने तो उनके दिलों पर परदे डाल रखे है कि वे उसे समझ न सकें और उनके कानों में बोझ डाल दिया है। और वे चाहे प्रत्येक निशानी देख लें तब भी उसे मानेंगे नहीं; यहाँ तक कि जब वे तुम्हारे पास आकर तुमसे झगड़ते है, तो अविश्वास की नीति अपनानेवाले कहते है, "यह तो बस पहले को लोगों की गाथाएँ है।" |
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815 | 6 | 26 | وهم ينهون عنه وينأون عنه وإن يهلكون إلا أنفسهم وما يشعرون |
| | | और वे उससे दूसरों को रोकते है और स्वयं भी उससे दूर रहते है। वे तो बस अपने आपको ही विनष्ट कर रहे है, किन्तु उन्हें इसका एहसास नहीं |
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816 | 6 | 27 | ولو ترى إذ وقفوا على النار فقالوا يا ليتنا نرد ولا نكذب بآيات ربنا ونكون من المؤمنين |
| | | और यदि तुम उस समय देख सकते, जब वे आग के निकट खड़े किए जाएँगे और कहेंगे, "काश! क्या ही अच्छा होता कि हम फिर लौटा दिए जाएँ (कि माने) और अपने रब की आयतों को न झुठलाएँ और माननेवालों में हो जाएँ।" |
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817 | 6 | 28 | بل بدا لهم ما كانوا يخفون من قبل ولو ردوا لعادوا لما نهوا عنه وإنهم لكاذبون |
| | | कुछ नहीं, बल्कि जो कुछ वे पहले छिपाया करते थे, वह उनके सामने आ गया। और यदि वे लौटा भी दिए जाएँ, तो फिर वही कुछ करने लगेंगे जिससे उन्हें रोका गया था। निश्चय ही वे झूठे है |
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818 | 6 | 29 | وقالوا إن هي إلا حياتنا الدنيا وما نحن بمبعوثين |
| | | और वे कहते है, "जो कुछ है बस यही हमारा सांसारिक जीवन है; हम कोई फिर उठाए जानेवाले नहीं हैं।" |
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