بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
79364وما تأتيهم من آية من آيات ربهم إلا كانوا عنها معرضين
हाल यह है कि उनके रब की निशानियों में से कोई निशानी भी उनके पास ऐसी नहीं आई, जिससे उन्होंने मुँह न मोड़ लिया हो
79465فقد كذبوا بالحق لما جاءهم فسوف يأتيهم أنباء ما كانوا به يستهزئون
उन्होंने सत्य को झुठला दिया, जबकि वह उनके पास आया। अतः जिस चीज़ को वे हँसी उड़ाते रहे हैं, जल्द ही उसके सम्बन्ध में उन्हें ख़बरे मिल जाएगी
79566ألم يروا كم أهلكنا من قبلهم من قرن مكناهم في الأرض ما لم نمكن لكم وأرسلنا السماء عليهم مدرارا وجعلنا الأنهار تجري من تحتهم فأهلكناهم بذنوبهم وأنشأنا من بعدهم قرنا آخرين
क्या उन्होंने नहीं देखा कि उनसे पहले कितने ही गिरोहों को हम विनष्ट कर चुके है। उन्हें हमने धरती में ऐसा जमाव प्रदान किया था, जो तुम्हें नहीं प्रदान किया। और उनपर हमने आकाश को ख़ूब बरसता छोड़ दिया और उनके नीचे नहरें बहाई। फिर हमने आकाश को ख़ूब बरसता छोड़ दिया और उनके नीचे नहरें बहाई। फिर हमने उन्हें उनके गुनाहों के कारण विनष्ट़ कर दिया और उनके पश्चात दूसरे गिरोहों को उठाया
79667ولو نزلنا عليك كتابا في قرطاس فلمسوه بأيديهم لقال الذين كفروا إن هذا إلا سحر مبين
और यदि हम तुम्हारे ऊपर काग़ज़ में लिखी-लिखाई किताब भी उतार देते और उसे लोग अपने हाथों से छू भी लेते तब भी, जिन्होंने इनकार किया है, वे यही कहते, "यह तो बस एक खुला जादू हैं।"
79768وقالوا لولا أنزل عليه ملك ولو أنزلنا ملكا لقضي الأمر ثم لا ينظرون
उनका तो कहना है, "इस (नबी) पर कोई फ़रिश्ता (खुले रूप में) क्यों नहीं उतारा गया?" हालाँकि यदि हम फ़रिश्ता उतारते तो फ़ैसला हो चुका होता। फिर उन्हें कोई मुहल्लत न मिलती
79869ولو جعلناه ملكا لجعلناه رجلا وللبسنا عليهم ما يلبسون
यह बात भी है कि यदि हम उसे (नबी को) फ़रिश्ता बना देते तो उसे आदमी ही (के रूप का) बनाते। इस प्रकार उन्हें उसी सन्देह में डाल देते, जिस सन्देह में वे इस समय पड़े हुए है
799610ولقد استهزئ برسل من قبلك فحاق بالذين سخروا منهم ما كانوا به يستهزئون
तुमसे पहले कितने ही रसूलों की हँसी उड़ाई जा चुकी है। अन्ततः जिन लोगों ने उनकी हँसी उड़ाई थी, उन्हें उसी न आ घेरा जिस बात पर वे हँसी उड़ाते थे
800611قل سيروا في الأرض ثم انظروا كيف كان عاقبة المكذبين
कहो, "धरती में चल-फिरकर देखो कि झुठलानेवालों का क्या परिणाम हुआ!"
801612قل لمن ما في السماوات والأرض قل لله كتب على نفسه الرحمة ليجمعنكم إلى يوم القيامة لا ريب فيه الذين خسروا أنفسهم فهم لا يؤمنون
कहो, "आकाशों और धरती में जो कुछ है किसका है?" कह दो, "अल्लाह ही का है।" उसने दयालुता को अपने ऊपर अनिवार्य कर दिया है। निश्चय ही वह तुम्हें क़ियामत के दिन इकट्ठा करेगा, इसमें कोई सन्देह नहीं है। जिन लोगों ने अपने-आपको घाटे में डाला है, वही है जो ईमान नहीं लाते
802613وله ما سكن في الليل والنهار وهو السميع العليم
हाँ, उसी का है जो भी रात में ठहरता है और दिन में (गतिशील होता है), और वह सब कुछ सुनता, जानता है


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