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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
791 | 6 | 2 | هو الذي خلقكم من طين ثم قضى أجلا وأجل مسمى عنده ثم أنتم تمترون |
| | | वही है जिसने तुम्हें मिट्टी से पैदा किया, फिर (जीवन की) एक अवधि निश्चित कर दी और उसके यहाँ (क़ियामत की) एक अवधि और निश्चित है; फिर भी तुम संदेह करते हो! |
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792 | 6 | 3 | وهو الله في السماوات وفي الأرض يعلم سركم وجهركم ويعلم ما تكسبون |
| | | वही अल्लाह है, आकाशों में भी और धरती में भी। वह तुम्हारी छिपी और तुम्हारी खुली बातों को जानता है, और जो कुछ तुम कमाते हो, वह उससे भी अवगत है |
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793 | 6 | 4 | وما تأتيهم من آية من آيات ربهم إلا كانوا عنها معرضين |
| | | हाल यह है कि उनके रब की निशानियों में से कोई निशानी भी उनके पास ऐसी नहीं आई, जिससे उन्होंने मुँह न मोड़ लिया हो |
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794 | 6 | 5 | فقد كذبوا بالحق لما جاءهم فسوف يأتيهم أنباء ما كانوا به يستهزئون |
| | | उन्होंने सत्य को झुठला दिया, जबकि वह उनके पास आया। अतः जिस चीज़ को वे हँसी उड़ाते रहे हैं, जल्द ही उसके सम्बन्ध में उन्हें ख़बरे मिल जाएगी |
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795 | 6 | 6 | ألم يروا كم أهلكنا من قبلهم من قرن مكناهم في الأرض ما لم نمكن لكم وأرسلنا السماء عليهم مدرارا وجعلنا الأنهار تجري من تحتهم فأهلكناهم بذنوبهم وأنشأنا من بعدهم قرنا آخرين |
| | | क्या उन्होंने नहीं देखा कि उनसे पहले कितने ही गिरोहों को हम विनष्ट कर चुके है। उन्हें हमने धरती में ऐसा जमाव प्रदान किया था, जो तुम्हें नहीं प्रदान किया। और उनपर हमने आकाश को ख़ूब बरसता छोड़ दिया और उनके नीचे नहरें बहाई। फिर हमने आकाश को ख़ूब बरसता छोड़ दिया और उनके नीचे नहरें बहाई। फिर हमने उन्हें उनके गुनाहों के कारण विनष्ट़ कर दिया और उनके पश्चात दूसरे गिरोहों को उठाया |
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796 | 6 | 7 | ولو نزلنا عليك كتابا في قرطاس فلمسوه بأيديهم لقال الذين كفروا إن هذا إلا سحر مبين |
| | | और यदि हम तुम्हारे ऊपर काग़ज़ में लिखी-लिखाई किताब भी उतार देते और उसे लोग अपने हाथों से छू भी लेते तब भी, जिन्होंने इनकार किया है, वे यही कहते, "यह तो बस एक खुला जादू हैं।" |
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797 | 6 | 8 | وقالوا لولا أنزل عليه ملك ولو أنزلنا ملكا لقضي الأمر ثم لا ينظرون |
| | | उनका तो कहना है, "इस (नबी) पर कोई फ़रिश्ता (खुले रूप में) क्यों नहीं उतारा गया?" हालाँकि यदि हम फ़रिश्ता उतारते तो फ़ैसला हो चुका होता। फिर उन्हें कोई मुहल्लत न मिलती |
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798 | 6 | 9 | ولو جعلناه ملكا لجعلناه رجلا وللبسنا عليهم ما يلبسون |
| | | यह बात भी है कि यदि हम उसे (नबी को) फ़रिश्ता बना देते तो उसे आदमी ही (के रूप का) बनाते। इस प्रकार उन्हें उसी सन्देह में डाल देते, जिस सन्देह में वे इस समय पड़े हुए है |
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799 | 6 | 10 | ولقد استهزئ برسل من قبلك فحاق بالذين سخروا منهم ما كانوا به يستهزئون |
| | | तुमसे पहले कितने ही रसूलों की हँसी उड़ाई जा चुकी है। अन्ततः जिन लोगों ने उनकी हँसी उड़ाई थी, उन्हें उसी न आ घेरा जिस बात पर वे हँसी उड़ाते थे |
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800 | 6 | 11 | قل سيروا في الأرض ثم انظروا كيف كان عاقبة المكذبين |
| | | कहो, "धरती में चल-फिरकर देखो कि झुठलानेवालों का क्या परिणाम हुआ!" |
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