بسم الله الرحمن الرحيم

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765596أحل لكم صيد البحر وطعامه متاعا لكم وللسيارة وحرم عليكم صيد البر ما دمتم حرما واتقوا الله الذي إليه تحشرون
तुम्हारे और काफ़िले के वास्ते दरियाई शिकार और उसका खाना तो (हर हालत में) तुम्हारे वास्ते जायज़ कर दिया है मगर खुश्की का शिकार जब तक तुम हालते एहराम में रहो तुम पर हराम है और उस ख़ुदा से डरते रहो जिसकी तरफ (मरने के बाद) उठाए जाओगे
766597جعل الله الكعبة البيت الحرام قياما للناس والشهر الحرام والهدي والقلائد ذلك لتعلموا أن الله يعلم ما في السماوات وما في الأرض وأن الله بكل شيء عليم
ख़ुदा ने काबा को जो (उसका) मोहतरम घर है और हुरमत दार महीनों को और कुरबानी को और उस जानवर को जिसके गले में (क़ुरबानी के वास्ते) पट्टे डाल दिए गए हों लोगों के अमन क़ायम रखने का सबब क़रार दिया यह इसलिए कि तुम जान लो कि ख़ुदा जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है यक़ीनन (सब) जानता है और ये भी (समझ लो) कि बेशक ख़ुदा हर चीज़ से वाक़िफ है
767598اعلموا أن الله شديد العقاب وأن الله غفور رحيم
जान लो कि यक़ीनन ख़ुदा बड़ा अज़ाब वाला है और ये (भी) कि बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
768599ما على الرسول إلا البلاغ والله يعلم ما تبدون وما تكتمون
(हमारे) रसूल पर पैग़ाम पहुँचा देने के सिवा (और) कुछ (फर्ज़) नहीं और जो कुछ तुम ज़ाहिर बा ज़ाहिर करते हो और जो कुछ तुम छुपा कर करते हो ख़ुदा सब जानता है
7695100قل لا يستوي الخبيث والطيب ولو أعجبك كثرة الخبيث فاتقوا الله يا أولي الألباب لعلكم تفلحون
(ऐ रसूल) कह दो कि नापाक (हराम) और पाक (हलाल) बराबर नहीं हो सकता अगरचे नापाक की कसरत तुम्हें भला क्यों न मालूम हो तो ऐसे अक्लमन्दों अल्लाह से डरते रहो ताकि तुम कामयाब रहो
7705101يا أيها الذين آمنوا لا تسألوا عن أشياء إن تبد لكم تسؤكم وإن تسألوا عنها حين ينزل القرآن تبد لكم عفا الله عنها والله غفور حليم
ऐ ईमान वालों ऐसी चीज़ों के बारे में (रसूल से) न पूछा करो कि अगर तुमको मालूम हो जाए तो तुम्हें बुरी मालूम हो और अगर उनके बारे में कुरान नाज़िल होने के वक्त पूछ बैठोगे तो तुम पर ज़ाहिर कर दी जाएगी (मगर तुमको बुरा लगेगा जो सवालात तुम कर चुके) ख़ुदा ने उनसे दरगुज़र की और ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला बुर्दबार है
7715102قد سألها قوم من قبلكم ثم أصبحوا بها كافرين
तुमसे पहले भी लोगों ने इस किस्म की बातें (अपने वक्त क़े पैग़म्बरों से) पूछी थीं
7725103ما جعل الله من بحيرة ولا سائبة ولا وصيلة ولا حام ولكن الذين كفروا يفترون على الله الكذب وأكثرهم لا يعقلون
फिर (जब बरदाश्त न हो सका तो) उसके मुन्किर हो गए ख़ुदा ने न तो कोई बहीरा (कान फटी ऊँटनी) मुक़र्रर किया है न सायवा (साँढ़) न वसीला (जुडवा बच्चे) न हाम (बुढ़ा साँढ़) मुक़र्रर किया है मगर कुफ्फ़ार ख़ुदा पर ख्वाह मा ख्वाह झूठ (मूठ) बोहतान बाँधते हैं और उनमें के अक्सर नहीं समझते
7735104وإذا قيل لهم تعالوا إلى ما أنزل الله وإلى الرسول قالوا حسبنا ما وجدنا عليه آباءنا أولو كان آباؤهم لا يعلمون شيئا ولا يهتدون
और जब उनसे कहा जाता है कि जो (क़ुरान) ख़ुदा ने नाज़िल फरमाया है उसकी तरफ और रसूल की आओ (और जो कुछ कहे उसे मानों तो कहते हैं कि हमने जिस (रंग) में अपने बाप दादा को पाया वही हमारे लिए काफी है क्या (ये लोग लकीर के फकीर ही रहेंगे) अगरचे उनके बाप दादा न कुछ जानते ही हों न हिदायत ही पायी हो
7745105يا أيها الذين آمنوا عليكم أنفسكم لا يضركم من ضل إذا اهتديتم إلى الله مرجعكم جميعا فينبئكم بما كنتم تعملون
ऐ ईमान वालों तुम अपनी ख़बर लो जब तुम राहे रास्त पर हो तो कोई गुमराह हुआ करे तुम्हें नुक़सान नहीं पहुँचा सकता तुम सबके सबको ख़ुदा ही की तरफ लौट कर जाना है तब (उस वक्त नेक व बद) जो कुछ (दुनिया में) करते थे तुम्हें बता देगा


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