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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
765 | 5 | 96 | أحل لكم صيد البحر وطعامه متاعا لكم وللسيارة وحرم عليكم صيد البر ما دمتم حرما واتقوا الله الذي إليه تحشرون |
| | | तुम्हारे और काफ़िले के वास्ते दरियाई शिकार और उसका खाना तो (हर हालत में) तुम्हारे वास्ते जायज़ कर दिया है मगर खुश्की का शिकार जब तक तुम हालते एहराम में रहो तुम पर हराम है और उस ख़ुदा से डरते रहो जिसकी तरफ (मरने के बाद) उठाए जाओगे |
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766 | 5 | 97 | جعل الله الكعبة البيت الحرام قياما للناس والشهر الحرام والهدي والقلائد ذلك لتعلموا أن الله يعلم ما في السماوات وما في الأرض وأن الله بكل شيء عليم |
| | | ख़ुदा ने काबा को जो (उसका) मोहतरम घर है और हुरमत दार महीनों को और कुरबानी को और उस जानवर को जिसके गले में (क़ुरबानी के वास्ते) पट्टे डाल दिए गए हों लोगों के अमन क़ायम रखने का सबब क़रार दिया यह इसलिए कि तुम जान लो कि ख़ुदा जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है यक़ीनन (सब) जानता है और ये भी (समझ लो) कि बेशक ख़ुदा हर चीज़ से वाक़िफ है |
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767 | 5 | 98 | اعلموا أن الله شديد العقاب وأن الله غفور رحيم |
| | | जान लो कि यक़ीनन ख़ुदा बड़ा अज़ाब वाला है और ये (भी) कि बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
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768 | 5 | 99 | ما على الرسول إلا البلاغ والله يعلم ما تبدون وما تكتمون |
| | | (हमारे) रसूल पर पैग़ाम पहुँचा देने के सिवा (और) कुछ (फर्ज़) नहीं और जो कुछ तुम ज़ाहिर बा ज़ाहिर करते हो और जो कुछ तुम छुपा कर करते हो ख़ुदा सब जानता है |
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769 | 5 | 100 | قل لا يستوي الخبيث والطيب ولو أعجبك كثرة الخبيث فاتقوا الله يا أولي الألباب لعلكم تفلحون |
| | | (ऐ रसूल) कह दो कि नापाक (हराम) और पाक (हलाल) बराबर नहीं हो सकता अगरचे नापाक की कसरत तुम्हें भला क्यों न मालूम हो तो ऐसे अक्लमन्दों अल्लाह से डरते रहो ताकि तुम कामयाब रहो |
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770 | 5 | 101 | يا أيها الذين آمنوا لا تسألوا عن أشياء إن تبد لكم تسؤكم وإن تسألوا عنها حين ينزل القرآن تبد لكم عفا الله عنها والله غفور حليم |
| | | ऐ ईमान वालों ऐसी चीज़ों के बारे में (रसूल से) न पूछा करो कि अगर तुमको मालूम हो जाए तो तुम्हें बुरी मालूम हो और अगर उनके बारे में कुरान नाज़िल होने के वक्त पूछ बैठोगे तो तुम पर ज़ाहिर कर दी जाएगी (मगर तुमको बुरा लगेगा जो सवालात तुम कर चुके) ख़ुदा ने उनसे दरगुज़र की और ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला बुर्दबार है |
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771 | 5 | 102 | قد سألها قوم من قبلكم ثم أصبحوا بها كافرين |
| | | तुमसे पहले भी लोगों ने इस किस्म की बातें (अपने वक्त क़े पैग़म्बरों से) पूछी थीं |
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772 | 5 | 103 | ما جعل الله من بحيرة ولا سائبة ولا وصيلة ولا حام ولكن الذين كفروا يفترون على الله الكذب وأكثرهم لا يعقلون |
| | | फिर (जब बरदाश्त न हो सका तो) उसके मुन्किर हो गए ख़ुदा ने न तो कोई बहीरा (कान फटी ऊँटनी) मुक़र्रर किया है न सायवा (साँढ़) न वसीला (जुडवा बच्चे) न हाम (बुढ़ा साँढ़) मुक़र्रर किया है मगर कुफ्फ़ार ख़ुदा पर ख्वाह मा ख्वाह झूठ (मूठ) बोहतान बाँधते हैं और उनमें के अक्सर नहीं समझते |
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773 | 5 | 104 | وإذا قيل لهم تعالوا إلى ما أنزل الله وإلى الرسول قالوا حسبنا ما وجدنا عليه آباءنا أولو كان آباؤهم لا يعلمون شيئا ولا يهتدون |
| | | और जब उनसे कहा जाता है कि जो (क़ुरान) ख़ुदा ने नाज़िल फरमाया है उसकी तरफ और रसूल की आओ (और जो कुछ कहे उसे मानों तो कहते हैं कि हमने जिस (रंग) में अपने बाप दादा को पाया वही हमारे लिए काफी है क्या (ये लोग लकीर के फकीर ही रहेंगे) अगरचे उनके बाप दादा न कुछ जानते ही हों न हिदायत ही पायी हो |
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774 | 5 | 105 | يا أيها الذين آمنوا عليكم أنفسكم لا يضركم من ضل إذا اهتديتم إلى الله مرجعكم جميعا فينبئكم بما كنتم تعملون |
| | | ऐ ईमान वालों तुम अपनी ख़बर लो जब तुम राहे रास्त पर हो तो कोई गुमराह हुआ करे तुम्हें नुक़सान नहीं पहुँचा सकता तुम सबके सबको ख़ुदा ही की तरफ लौट कर जाना है तब (उस वक्त नेक व बद) जो कुछ (दुनिया में) करते थे तुम्हें बता देगा |
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