بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
758589لا يؤاخذكم الله باللغو في أيمانكم ولكن يؤاخذكم بما عقدتم الأيمان فكفارته إطعام عشرة مساكين من أوسط ما تطعمون أهليكم أو كسوتهم أو تحرير رقبة فمن لم يجد فصيام ثلاثة أيام ذلك كفارة أيمانكم إذا حلفتم واحفظوا أيمانكم كذلك يبين الله لكم آياته لعلكم تشكرون
तुम्हारी उन क़समों पर अल्लाह तुम्हें नहीं पकड़ता जो यूँ ही असावधानी से ज़बान से निकल जाती है। परन्तु जो तुमने पक्की क़समें खाई हों, उनपर वह तुम्हें पकड़ेगा। तो इसका प्रायश्चित दस मुहताजों को औसत दर्जें का खाना खिला देना है, जो तुम अपने बाल-बच्चों को खिलाते हो या फिर उन्हें कपड़े पहनाना या एक ग़ुलाम आज़ाद करना होगा। और जिसे इसकी सामर्थ्य न हो, तो उसे तीन दिन के रोज़े रखने होंगे। यह तुम्हारी क़समों का प्रायश्चित है, जबकि तुम क़सम खा बैठो। तुम अपनी क़समों की हिफ़ाजत किया करो। इस प्रकार अल्लाह अपनी आयतें तुम्हारे सामने खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम कृतज्ञता दिखलाओ
759590يا أيها الذين آمنوا إنما الخمر والميسر والأنصاب والأزلام رجس من عمل الشيطان فاجتنبوه لعلكم تفلحون
ऐ ईमान लानेवालो! ये शराब और जुआ और देवस्थान और पाँसे तो गन्दे शैतानी काम है। अतः तुम इनसे अलग रहो, ताकि तुम सफल हो
760591إنما يريد الشيطان أن يوقع بينكم العداوة والبغضاء في الخمر والميسر ويصدكم عن ذكر الله وعن الصلاة فهل أنتم منتهون
शैतान तो बस यही चाहता है कि शराब और जुए के द्वारा तुम्हारे बीच शत्रुता और द्वेष पैदा कर दे और तुम्हें अल्लाह की याद से और नमाज़ से रोक दे, तो क्या तुम बाज़ न आओगे?
761592وأطيعوا الله وأطيعوا الرسول واحذروا فإن توليتم فاعلموا أنما على رسولنا البلاغ المبين
अल्लाह की आज्ञा का पालन करो और रसूल की आज्ञा का पालन करो और बचते रहो, किन्तु यदि तुमने मुँह मोड़ा तो जान लो कि हमारे रसूल पर केवल स्पष्ट रूप से (संदेश) पहुँचा देने की ज़िम्मेदारी है
762593ليس على الذين آمنوا وعملوا الصالحات جناح فيما طعموا إذا ما اتقوا وآمنوا وعملوا الصالحات ثم اتقوا وآمنوا ثم اتقوا وأحسنوا والله يحب المحسنين
जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, वे पहले जो कुछ खा-पी चुके उसके लिए उनपर कोई गुनाह नहीं; जबकि वे डर रखें और ईमान पर क़ायम रहें और अच्छे कर्म करें। फिर डर रखें और ईमान लाए, फिर डर रखे और अच्छे से अच्छा कर्म करें। अल्लाह सत्कर्मियों से प्रेम करता है
763594يا أيها الذين آمنوا ليبلونكم الله بشيء من الصيد تناله أيديكم ورماحكم ليعلم الله من يخافه بالغيب فمن اعتدى بعد ذلك فله عذاب أليم
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह उस शिकार के द्वारा तुम्हारी अवश्य परीक्षा लेगा जिस तक तुम्हारे हाथ और नेज़े पहुँच सकें, ताकि अल्लाह यह जान ले कि उससे बिन देखे कौन डरता है। फिर इसके पश्चात जिसने ज़्यादती की, उसके लिए दुखद यातना है
764595يا أيها الذين آمنوا لا تقتلوا الصيد وأنتم حرم ومن قتله منكم متعمدا فجزاء مثل ما قتل من النعم يحكم به ذوا عدل منكم هديا بالغ الكعبة أو كفارة طعام مساكين أو عدل ذلك صياما ليذوق وبال أمره عفا الله عما سلف ومن عاد فينتقم الله منه والله عزيز ذو انتقام
ऐ ईमान लानेवालो! इहराम की हालत में तुम शिकार न मारो। तुम में जो कोई जान-बूझकर उसे मारे, तो उसने जो जानवर मारा हो, चौपायों में से उसी जैसा एक जानवर - जिसका फ़ैसला तुम्हारे दो न्यायप्रिय व्यक्ति कर दें - काबा पहुँचाकर क़ुरबान किया जाए, या प्रायश्चित के रूप में मुहताजों को भोजन कराना होगा या उसके बराबर रोज़े रखने होंगे, ताकि वह अपने किए का मज़ा चख ले। जो पहले हो चुका उसे अल्लाह ने क्षमा कर दिया; परन्तु जिस किसी ने फिर ऐसा किया तो अल्लाह उससे बदला लेगा। अल्लाह प्रभुत्वशाली, बदला लेनेवाला है
765596أحل لكم صيد البحر وطعامه متاعا لكم وللسيارة وحرم عليكم صيد البر ما دمتم حرما واتقوا الله الذي إليه تحشرون
तुम्हारे लिए जल की शिकार और उसका खाना हलाल है कि तुम उससे फ़ायदा उठाओ और मुसाफ़िर भी। किन्तु थलीय शिकार जब तक तुम इहराम में हो, तुमपर हराम है। और अल्लाह से डरते रहो, जिसकी ओर तुम इकट्ठा होगे
766597جعل الله الكعبة البيت الحرام قياما للناس والشهر الحرام والهدي والقلائد ذلك لتعلموا أن الله يعلم ما في السماوات وما في الأرض وأن الله بكل شيء عليم
अल्लाह ने आदरणीय घर काबा को लोगों के लिए क़ायम रहने का साधन बनाया और आदरणीय महीनों और क़ुरबानी के जानबरों और उन जानवरों को भी जिनके गले में पट्टे बँधे हो, यह इसलिए कि तुम जान लो कि अल्लाह जानता है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। और यह कि अल्लाह हर चीज़ से अवगत है
767598اعلموا أن الله شديد العقاب وأن الله غفور رحيم
जान लो अल्लाह कठोर दड देनेवाला है और यह कि अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है


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