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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
751 | 5 | 82 | لتجدن أشد الناس عداوة للذين آمنوا اليهود والذين أشركوا ولتجدن أقربهم مودة للذين آمنوا الذين قالوا إنا نصارى ذلك بأن منهم قسيسين ورهبانا وأنهم لا يستكبرون |
| | | (ऐ रसूल) ईमान लाने वालों का दुशमन सबसे बढ़के यहूदियों और मुशरिकों को पाओगे और ईमानदारों का दोस्ती में सबसे बढ़के क़रीब उन लोगों को पाओगे जो अपने को नसारा कहते हैं क्योंकि इन (नसारा) में से यक़ीनी बहुत से आमिल और आबिद हैं और इस सबब से (भी) कि ये लोग हरगिज़ शेख़ी नहीं करते |
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752 | 5 | 83 | وإذا سمعوا ما أنزل إلى الرسول ترى أعينهم تفيض من الدمع مما عرفوا من الحق يقولون ربنا آمنا فاكتبنا مع الشاهدين |
| | | और तू देखता है कि जब यह लोग (इस कुरान) को सुनते हैं जो हमारे रसूल पर नाज़िल किया गया है तो उनकी ऑंखों से बेसाख्ता (छलक कर) ऑंसू जारी हो जातें है क्योंकि उन्होंने (अम्र) हक़ को पहचान लिया है (और) अर्ज़ करते हैं कि ऐ मेरे पालने वाले हम तो ईमान ला चुके तो (रसूल की) तसदीक़ करने वालों के साथ हमें भी लिख रख |
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753 | 5 | 84 | وما لنا لا نؤمن بالله وما جاءنا من الحق ونطمع أن يدخلنا ربنا مع القوم الصالحين |
| | | और हमको क्या हो गया है कि हम ख़ुदा और जो हक़ बात हमारे पास आ चुकी है उस पर तो ईमान न लाएँ और (फिर) ख़ुदा से उम्मीद रखें कि वह अपने नेक बन्दों के साथ हमें (बेहिश्त में) पहुँचा ही देगा |
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754 | 5 | 85 | فأثابهم الله بما قالوا جنات تجري من تحتها الأنهار خالدين فيها وذلك جزاء المحسنين |
| | | तो ख़ुदा ने उन्हें उनके (सदक़ दिल से) अर्ज़ करने के सिले में उन्हें वह (हरे भरे) बाग़ात अता फरमाए जिनके (दरख्तों के) नीचे नहरें जारी हैं (और) वह उसमें हमेशा रहेंगे और (सदक़ दिल से) नेकी करने वालों का यही ऐवज़ है |
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755 | 5 | 86 | والذين كفروا وكذبوا بآياتنا أولئك أصحاب الجحيم |
| | | और जिन लोगों ने कुफ्र एख्तेयार किया और हमारी आयतों को झुठलाया यही लोग जहन्नुमी हैं |
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756 | 5 | 87 | يا أيها الذين آمنوا لا تحرموا طيبات ما أحل الله لكم ولا تعتدوا إن الله لا يحب المعتدين |
| | | ऐ ईमानदार जो पाक चीज़े ख़ुदा ने तुम्हारे वास्ते हलाल कर दी हैं उनको अपने ऊपर हराम न करो और हद से न बढ़ो क्यों कि ख़ुदा हद से बढ़ जाने वालों को हरगिज़ दोस्त नहीं रखता |
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757 | 5 | 88 | وكلوا مما رزقكم الله حلالا طيبا واتقوا الله الذي أنتم به مؤمنون |
| | | और जो हलाल साफ सुथरी चीज़ें ख़ुदा ने तुम्हें दी हैं उनको (शौक़ से) खाओ और जिस ख़ुदा पर तुम ईमान लाए हो उससे डरते रहो |
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758 | 5 | 89 | لا يؤاخذكم الله باللغو في أيمانكم ولكن يؤاخذكم بما عقدتم الأيمان فكفارته إطعام عشرة مساكين من أوسط ما تطعمون أهليكم أو كسوتهم أو تحرير رقبة فمن لم يجد فصيام ثلاثة أيام ذلك كفارة أيمانكم إذا حلفتم واحفظوا أيمانكم كذلك يبين الله لكم آياته لعلكم تشكرون |
| | | ख़ुदा तुम्हारे बेकार (बेकार) क़समों (के खाने) पर तो ख़ैर गिरफ्तार न करेगा मगर बाक़सद (सच्ची) पक्की क़सम खाने और उसके ख़िलाफ करने पर तो ज़रुर तुम्हारी ले दे करेगा (लो सुनो) उसका जुर्माना जैसा तुम ख़ुद अपने एहलोअयाल को खिलाते हो उसी क़िस्म का औसत दर्जे का दस मोहताजों को खाना खिलाना या उनको कपड़े पहनाना या एक गुलाम आज़ाद करना है फिर जिससे यह सब न हो सके तो मैं तीन दिन के रोज़े (रखना) ये (तो) तुम्हारी क़समों का जुर्माना है जब तुम क़सम खाओ (और पूरी न करो) और अपनी क़समों (के पूरा न करने) का ख्याल रखो ख़ुदा अपने एहकाम को तुम्हारे वास्ते यूँ साफ़ साफ़ बयान करता है ताकि तुम शुक्र करो |
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759 | 5 | 90 | يا أيها الذين آمنوا إنما الخمر والميسر والأنصاب والأزلام رجس من عمل الشيطان فاجتنبوه لعلكم تفلحون |
| | | ऐ ईमानदारों शराब, जुआ और बुत और पाँसे तो बस नापाक (बुरे) शैतानी काम हैं तो तुम लोग इससे बचे रहो ताकि तुम फलाह पाओ |
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760 | 5 | 91 | إنما يريد الشيطان أن يوقع بينكم العداوة والبغضاء في الخمر والميسر ويصدكم عن ذكر الله وعن الصلاة فهل أنتم منتهون |
| | | शैतान की तो बस यही तमन्ना है कि शराब और जुए की बदौलत तुममें बाहम अदावत व दुशमनी डलवा दे और ख़ुदा की याद और नमाज़ से बाज़ रखे तो क्या तुम उससे बाज़ आने वाले हो |
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