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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
716 | 5 | 47 | وليحكم أهل الإنجيل بما أنزل الله فيه ومن لم يحكم بما أنزل الله فأولئك هم الفاسقون |
| | | और इन्जील वालों (नसारा) को जो कुछ ख़ुदा ने (उसमें) नाज़िल किया है उसके मुताबिक़ हुक्म करना चाहिए और जो शख्स ख़ुदा की नाज़िल की हुई (किताब के मुआफ़िक) हुक्म न दे तो ऐसे ही लोग बदकार हैं |
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717 | 5 | 48 | وأنزلنا إليك الكتاب بالحق مصدقا لما بين يديه من الكتاب ومهيمنا عليه فاحكم بينهم بما أنزل الله ولا تتبع أهواءهم عما جاءك من الحق لكل جعلنا منكم شرعة ومنهاجا ولو شاء الله لجعلكم أمة واحدة ولكن ليبلوكم في ما آتاكم فاستبقوا الخيرات إلى الله مرجعكم جميعا فينبئكم بما كنتم فيه تختلفون |
| | | और (ऐ रसूल) हमने तुम पर भी बरहक़ किताब नाज़िल की जो किताब (उसके पहले से) उसके वक्त में मौजूद है उसकी तसदीक़ करती है और उसकी निगेहबान (भी) है जो कुछ तुम पर ख़ुदा ने नाज़िल किया है उसी के मुताबिक़ तुम भी हुक्म दो और जो हक़ बात ख़ुदा की तरफ़ से आ चुकी है उससे कतरा के उन लोगों की ख्वाहिशे नफ़सियानी की पैरवी न करो और हमने तुम में हर एक के वास्ते (हस्बे मसलेहते वक्त) एक एक शरीयत और ख़ास तरीक़े पर मुक़र्रर कर दिया और अगर ख़ुदा चाहता तो तुम सब के सब को एक ही (शरीयत की) उम्मत बना देता मगर (मुख़तलिफ़ शरीयतों से) ख़ुदा का मतलब यह था कि जो कुछ तुम्हें दिया है उसमें तुम्हारा इमतेहान करे बस तुम नेकी में लपक कर आगे बढ़ जाओ और (यक़ीन जानो कि) तुम सब को ख़ुदा ही की तरफ़ लौट कर जाना है |
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718 | 5 | 49 | وأن احكم بينهم بما أنزل الله ولا تتبع أهواءهم واحذرهم أن يفتنوك عن بعض ما أنزل الله إليك فإن تولوا فاعلم أنما يريد الله أن يصيبهم ببعض ذنوبهم وإن كثيرا من الناس لفاسقون |
| | | तब (उस वक्त) ज़िन बातों में तुम इख्तेलाफ़ करते वह तुम्हें बता देगा और (ऐ रसूल) हम फिर कहते हैं कि जो एहकाम ख़ुदा नाज़िल किए हैं तुम उसके मुताबिक़ फैसला करो और उनकी (बेजा) ख्वाहिशे नफ़सियानी की पैरवी न करो (बल्कि) तुम उनसे बचे रहो (ऐसा न हो) कि किसी हुक्म से जो ख़ुदा ने तुम पर नाज़िल किया है तुमको ये लोग भटका दें फिर अगर ये लोग तुम्हारे हुक्म से मुंह मोड़ें तो समझ लो कि (गोया) ख़ुदा ही की मरज़ी है कि उनके बाज़ गुनाहों की वजह से उन्हें मुसीबत में फॅसा दे और इसमें तो शक ही नहीं कि बहुतेरे लोग बदचलन हैं |
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719 | 5 | 50 | أفحكم الجاهلية يبغون ومن أحسن من الله حكما لقوم يوقنون |
| | | क्या ये लोग (ज़मानाए) जाहिलीयत के हुक्म की (तुमसे भी) तमन्ना रखते हैं हालॉकि यक़ीन करने वाले लोगों के वास्ते हुक्मे ख़ुदा से बेहतर कौन होगा |
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720 | 5 | 51 | يا أيها الذين آمنوا لا تتخذوا اليهود والنصارى أولياء بعضهم أولياء بعض ومن يتولهم منكم فإنه منهم إن الله لا يهدي القوم الظالمين |
| | | ऐ ईमानदारों यहूदियों और नसरानियों को अपना सरपरस्त न बनाओ (क्योंकि) ये लोग (तुम्हारे मुख़ालिफ़ हैं मगर) बाहम एक दूसरे के दोस्त हैं और (याद रहे कि) तुममें से जिसने उनको अपना सरपरस्त बनाया पस फिर वह भी उन्हीं लोगों में से हो गया बेशक ख़ुदा ज़ालिम लोगों को राहे रास्त पर नहीं लाता |
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721 | 5 | 52 | فترى الذين في قلوبهم مرض يسارعون فيهم يقولون نخشى أن تصيبنا دائرة فعسى الله أن يأتي بالفتح أو أمر من عنده فيصبحوا على ما أسروا في أنفسهم نادمين |
| | | तो (ऐ रसूल) जिन लोगों के दिलों में (नेफ़ाक़ की) बीमारी है तुम उन्हें देखोगे कि उनमें दौड़ दौड़ के मिले जाते हैं और तुमसे उसकी वजह यह बयान करते हैं कि हम तो इससे डरते हैं कि कहीं ऐसा न हो उनके न (मिलने से) ज़माने की गर्दिश में न मुब्तिला हो जाएं तो अनक़रीब ही ख़ुदा (मुसलमानों की) फ़तेह या कोई और बात अपनी तरफ़ से ज़ाहिर कर देगा तब यह लोग इस बदगुमानी पर जो अपने जी में छिपाते थे शर्माएंगे ( |
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722 | 5 | 53 | ويقول الذين آمنوا أهؤلاء الذين أقسموا بالله جهد أيمانهم إنهم لمعكم حبطت أعمالهم فأصبحوا خاسرين |
| | | और मोमिनीन (जब उन पर नेफ़ाक़ ज़ाहिर हो जाएगा तो) कहेंगे क्या ये वही लोग हैं जो सख्त से सख्त क़समें खाकर (हमसे) कहते थे कि हम ज़रूर तुम्हारे साथ हैं उनका सारा किया धरा अकारत हुआ और सख्त घाटे में आ गए |
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723 | 5 | 54 | يا أيها الذين آمنوا من يرتد منكم عن دينه فسوف يأتي الله بقوم يحبهم ويحبونه أذلة على المؤمنين أعزة على الكافرين يجاهدون في سبيل الله ولا يخافون لومة لائم ذلك فضل الله يؤتيه من يشاء والله واسع عليم |
| | | ऐ ईमानदारों तुममें से जो कोई अपने दीन से फिर जाएगा तो (कुछ परवाह नहीं फिर जाए) अनक़रीब ही ख़ुदा ऐसे लोगों को ज़ाहिर कर देगा जिन्हें ख़ुदा दोस्त रखता होगा और वह उसको दोस्त रखते होंगे ईमानदारों के साथ नर्म और मुन्किर (और) काफ़िरों के साथ सख्त ख़ुदा की राह में जेहाद करेंगे और किसी मलामत करने वाले की मलामत की कुछ परवाह न करेंगे ये ख़ुदा का फ़ज़ल (व करम) है वह जिसे चाहता हे देता है और ख़ुदा तो बड़ी गुन्जाइश वाला वाक़िफ़कार है |
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724 | 5 | 55 | إنما وليكم الله ورسوله والذين آمنوا الذين يقيمون الصلاة ويؤتون الزكاة وهم راكعون |
| | | (ऐ ईमानदारों) तुम्हारे मालिक सरपरस्त तो बस यही हैं ख़ुदा और उसका रसूल और वह मोमिनीन जो पाबन्दी से नमाज़ अदा करते हैं और हालत रूकूउ में ज़कात देते हैं |
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725 | 5 | 56 | ومن يتول الله ورسوله والذين آمنوا فإن حزب الله هم الغالبون |
| | | और जिस शख्स ने ख़ुदा और रसूल और (उन्हीं) ईमानदारों को अपना सरपरस्त बनाया तो (ख़ुदा के लशकर में आ गया और) इसमें तो शक नहीं कि ख़ुदा ही का लशकर वर (ग़ालिब) रहता है |
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