بسم الله الرحمن الرحيم

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6684175فأما الذين آمنوا بالله واعتصموا به فسيدخلهم في رحمة منه وفضل ويهديهم إليه صراطا مستقيما
तो रहे वे लोग जो अल्लाह पर ईमान लाए और उसे मज़बूती के साथ पकड़े रहे, उन्हें तो शीघ्र ही अपनी दयालुता और अपने उदार अनुग्रह के क्षेत्र में दाख़िल करेगा और उन्हें अपनी ओर का सीधा मार्ग दिया देगा
6694176يستفتونك قل الله يفتيكم في الكلالة إن امرؤ هلك ليس له ولد وله أخت فلها نصف ما ترك وهو يرثها إن لم يكن لها ولد فإن كانتا اثنتين فلهما الثلثان مما ترك وإن كانوا إخوة رجالا ونساء فللذكر مثل حظ الأنثيين يبين الله لكم أن تضلوا والله بكل شيء عليم
वे तुमसे आदेश मालूम करना चाहते है। कह दो, "अल्लाह तुम्हें ऐसे व्यक्ति के विषय में, जिसका कोई वारिस न हो, आदेश देता है - यदि किसी पुरुष की मृत्यु हो जाए जिसकी कोई सन्तान न हो, परन्तु उसकी एक बहन हो, तो जो कुछ उसने छोड़ा है उसका आधा हिस्सा उस बहन का होगा। और भाई बहन का वारिस होगा, यदि उस (बहन) की कोई सन्तान न हो। और यदि (वारिस) दो बहनें हो, तो जो कुछ उसने छोड़ा है, उसमें से उनके लिए दो-तिहाई होगा। और यदि कई भाई-बहन (वारिस) हो तो एक पुरुष को हिस्सा दो स्त्रियों के बराबर होगा।" अल्लाह तुम्हारे लिए आदेशों को स्पष्ट करता है, ताकि तुम न भटको। और अल्लाह को हर चीज का पूरा ज्ञान है
67051بسم الله الرحمن الرحيم يا أيها الذين آمنوا أوفوا بالعقود أحلت لكم بهيمة الأنعام إلا ما يتلى عليكم غير محلي الصيد وأنتم حرم إن الله يحكم ما يريد
ऐ ईमान लानेवालो! प्रतिबन्धों (प्रतिज्ञाओं, समझौतों आदि) का पूर्ण रूप से पालन करो। तुम्हारे लिए चौपायों की जाति के जानवर हलाल हैं सिवाय उनके जो तुम्हें बताए जा रहें हैं; लेकिन जब तुम इहराम की दशा में हो तो शिकार को हलाल न समझना। निस्संदेह अल्लाह जो चाहते है, आदेश देता है
67152يا أيها الذين آمنوا لا تحلوا شعائر الله ولا الشهر الحرام ولا الهدي ولا القلائد ولا آمين البيت الحرام يبتغون فضلا من ربهم ورضوانا وإذا حللتم فاصطادوا ولا يجرمنكم شنآن قوم أن صدوكم عن المسجد الحرام أن تعتدوا وتعاونوا على البر والتقوى ولا تعاونوا على الإثم والعدوان واتقوا الله إن الله شديد العقاب
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह की निशानियों का अनादर न करो; न आदर के महीनों का, न क़ुरबानी के जानवरों का और न जानवरों का जिनका गरदनों में पट्टे पड़े हो और न उन लोगों का जो अपने रब के अनुग्रह और उसकी प्रसन्नता की चाह में प्रतिष्ठित गृह (काबा) को जाते हो। और जब इहराम की दशा से बाहर हो जाओ तो शिकार करो। और ऐसा न हो कि एक गिरोह की शत्रुता, जिसने तुम्हारे लिए प्रतिष्ठित घर का रास्ता बन्द कर दिया था, तुम्हें इस बात पर उभार दे कि तुम ज़्यादती करने लगो। हक़ अदा करने और ईश-भय के काम में तुम एक-दूसरे का सहयोग करो और हक़ मारने और ज़्यादती के काम में एक-दूसरे का सहयोग न करो। अल्लाह का डर रखो; निश्चय ही अल्लाह बड़ा कठोर दंड देनेवाला है
67253حرمت عليكم الميتة والدم ولحم الخنزير وما أهل لغير الله به والمنخنقة والموقوذة والمتردية والنطيحة وما أكل السبع إلا ما ذكيتم وما ذبح على النصب وأن تستقسموا بالأزلام ذلكم فسق اليوم يئس الذين كفروا من دينكم فلا تخشوهم واخشون اليوم أكملت لكم دينكم وأتممت عليكم نعمتي ورضيت لكم الإسلام دينا فمن اضطر في مخمصة غير متجانف لإثم فإن الله غفور رحيم
तुम्हारे लिए हराम हुआ मुर्दार रक्त, सूअर का मांस और वह जानवर जिसपर अल्लाह के अतिरिक्त किसी और का नाम लिया गया हो और वह जो घुटकर या चोट खाकर या ऊँचाई से गिरकर या सींग लगने से मरा हो या जिसे किसी हिंसक पशु ने फाड़ खाया हो - सिवाय उसके जिसे तुमने ज़बह कर लिया हो - और वह किसी थान पर ज़बह कियी गया हो। और यह भी (तुम्हारे लिए हराम हैं) कि तीरो के द्वारा किस्मत मालूम करो। यह आज्ञा का उल्लंघन है - आज इनकार करनेवाले तुम्हारे धर्म की ओर से निराश हो चुके हैं तो तुम उनसे न डरो, बल्कि मुझसे डरो। आज मैंने तुम्हारे धर्म को पूर्ण कर दिया और तुमपर अपनी नेमत पूरी कर दी और मैंने तुम्हारे धर्म के रूप में इस्लाम को पसन्द किया - तो जो कोई भूख से विवश हो जाए, परन्तु गुनाह की ओर उसका झुकाव न हो, तो निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है
67354يسألونك ماذا أحل لهم قل أحل لكم الطيبات وما علمتم من الجوارح مكلبين تعلمونهن مما علمكم الله فكلوا مما أمسكن عليكم واذكروا اسم الله عليه واتقوا الله إن الله سريع الحساب
वे तुमसे पूछते है कि "उनके लिए क्या हलाल है?" कह दो, "तुम्हारे लिए सारी अच्छी स्वच्छ चीज़ें हलाल है और जिन शिकारी जानवरों को तुमने सधे हुए शिकारी जानवर के रूप में सधा रखा हो - जिनको जैस अल्लाह ने तुम्हें सिखाया हैं, सिखाते हो - वे जिस शिकार को तुम्हारे लिए पकड़े रखे, उसको खाओ और उसपर अल्लाह का नाम लो। और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह जल्द हिसाब लेनेवाला है।"
67455اليوم أحل لكم الطيبات وطعام الذين أوتوا الكتاب حل لكم وطعامكم حل لهم والمحصنات من المؤمنات والمحصنات من الذين أوتوا الكتاب من قبلكم إذا آتيتموهن أجورهن محصنين غير مسافحين ولا متخذي أخدان ومن يكفر بالإيمان فقد حبط عمله وهو في الآخرة من الخاسرين
आज तुम्हारे लिए अच्छी स्वच्छ चीज़ें हलाल कर दी गई और जिन्हें किताब दी गई उनका भोजन भी तुम्हारे लिए हलाल है और तुम्हारा भोजन उनके लिए हलाल है और शरीफ़ और स्वतंत्र ईमानवाली स्त्रियाँ भी जो तुमसे पहले के किताबवालों में से हो, जबकि तुम उनका हक़ (मेहर) देकर उन्हें निकाह में लाओ। न तो यह काम स्वछन्द कामतृप्ति के लिए हो और न चोरी-छिपे याराना करने को। और जिस किसी ने ईमान से इनकार किया, उसका सारा किया-धरा अकारथ गया और वह आख़िरत में भी घाटे में रहेगा
67556يا أيها الذين آمنوا إذا قمتم إلى الصلاة فاغسلوا وجوهكم وأيديكم إلى المرافق وامسحوا برءوسكم وأرجلكم إلى الكعبين وإن كنتم جنبا فاطهروا وإن كنتم مرضى أو على سفر أو جاء أحد منكم من الغائط أو لامستم النساء فلم تجدوا ماء فتيمموا صعيدا طيبا فامسحوا بوجوهكم وأيديكم منه ما يريد الله ليجعل عليكم من حرج ولكن يريد ليطهركم وليتم نعمته عليكم لعلكم تشكرون
ऐ ईमान लेनेवालो! जब तुम नमाज़ के लिए उठो तो अपने चहरों को और हाथों को कुहनियों तक धो लिया करो और अपने सिरों पर हाथ फेर लो और अपने पैरों को भी टखनों तक धो लो। और यदि नापाक हो तो अच्छी तरह पाक हो जाओ। परन्तु यदि बीमार हो या सफ़र में हो या तुममें से कोई शौच करके आया हो या तुमने स्त्रियों को हाथ लगया हो, फिर पानी न मिले तो पाक मिट्टी से काम लो। उसपर हाथ मारकर अपने मुँह और हाथों पर फेर लो। अल्लाह तुम्हें किसी तंगी में नहीं डालना चाहता। अपितु वह चाहता हैं कि तुम्हें पवित्र करे और अपनी नेमत तुमपर पूरी कर दे, ताकि तुम कृतज्ञ बनो
67657واذكروا نعمة الله عليكم وميثاقه الذي واثقكم به إذ قلتم سمعنا وأطعنا واتقوا الله إن الله عليم بذات الصدور
और अल्लाह के उस अनुग्रह को याद करो जो उसने तुमपर किया हैं और उस प्रतिज्ञा को भी जो उसने तुमसे की है, जबकि तुमने कहा था - "हमने सुना और माना।" अल्लाह जो कुछ सीनों (दिलों) में है, उसे भी जानता हैं
67758يا أيها الذين آمنوا كونوا قوامين لله شهداء بالقسط ولا يجرمنكم شنآن قوم على ألا تعدلوا اعدلوا هو أقرب للتقوى واتقوا الله إن الله خبير بما تعملون
ऐ ईमान लेनेवालो! अल्लाह के लिए खूब उठनेवाले, इनसाफ़ की निगरानी करनेवाले बनो और ऐसा न हो कि किसी गिरोह की शत्रुता तुम्हें इस बात पर उभार दे कि तुम इनसाफ़ करना छोड़ दो। इनसाफ़ करो, यही धर्मपरायणता से अधिक निकट है। अल्लाह का डर रखो, निश्चय ही जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह को उसकी ख़बर हैं


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