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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
615 | 4 | 122 | والذين آمنوا وعملوا الصالحات سندخلهم جنات تجري من تحتها الأنهار خالدين فيها أبدا وعد الله حقا ومن أصدق من الله قيلا |
| | | और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उन्हें हम अनक़रीब ही (बेहिश्त के) उन (हरे भरे) बाग़ों में जा पहुंचाएगें जिनके (दरख्तों के) नीचे नहरें जारी होंगी और ये लोग उसमें हमेशा आबादुल आबाद तक रहेंगे (ये उनसे) ख़ुदा का पक्का वायदा है और ख़ुदा से ज्यादा (अपनी) बात में सच्चा कौन होगा |
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616 | 4 | 123 | ليس بأمانيكم ولا أماني أهل الكتاب من يعمل سوءا يجز به ولا يجد له من دون الله وليا ولا نصيرا |
| | | न तुम लोगों की आरज़ू से (कुछ काम चल सकता है) न अहले किताब की तमन्ना से कुछ हासिल हो सकता है बल्कि (जैसा काम वैसा दाम) जो बुरा काम करेगा उसे उसका बदला दिया जाएगा और फिर ख़ुदा के सिवा किसी को न तो अपना सरपरस्त पाएगा और न मददगार |
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617 | 4 | 124 | ومن يعمل من الصالحات من ذكر أو أنثى وهو مؤمن فأولئك يدخلون الجنة ولا يظلمون نقيرا |
| | | और जो शख्स अच्छे अच्छे काम करेगा (ख्वाह) मर्द हो या औरत और ईमानदार (भी) हो तो ऐसे लोग बेहिश्त में (बेखटके) जा पहुंचेंगे और उनपर तिल भी ज़ुल्म न किया जाएगा |
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618 | 4 | 125 | ومن أحسن دينا ممن أسلم وجهه لله وهو محسن واتبع ملة إبراهيم حنيفا واتخذ الله إبراهيم خليلا |
| | | और उस शख्स से दीन में बेहतर कौन होगा जिसने ख़ुदा के सामने अपना सरे तसलीम झुका दिया और नेको कार भी है और इबराहीम के तरीके पर चलता है जो बातिल से कतरा कर चलते थे और ख़ुदा ने इब्राहिम को तो अपना ख़लिस दोस्त बना लिया |
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619 | 4 | 126 | ولله ما في السماوات وما في الأرض وكان الله بكل شيء محيطا |
| | | और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) ख़ुदा ही का है और ख़ुदा ही सब चीज़ को (अपनी) कुदरत से घेरे हुए है |
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620 | 4 | 127 | ويستفتونك في النساء قل الله يفتيكم فيهن وما يتلى عليكم في الكتاب في يتامى النساء اللاتي لا تؤتونهن ما كتب لهن وترغبون أن تنكحوهن والمستضعفين من الولدان وأن تقوموا لليتامى بالقسط وما تفعلوا من خير فإن الله كان به عليما |
| | | (ऐ रसूल) ये लोग तुमसे (यतीम लड़कियों) से निकाह के बारे में फ़तवा तलब करते हैं तुम उनसे कह दो कि ख़ुदा तुम्हें उनसे (निकाह करने) की इजाज़त देता है और जो हुक्म मनाही का कुरान में तुम्हें (पहले) सुनाया जा चुका है वह हक़ीक़तन उन यतीम लड़कियों के वास्ते था जिन्हें तुम उनका मुअय्यन किया हुआ हक़ नहीं देते और चाहते हो (कि यूं ही) उनसे निकाह कर लो और उन कमज़ोर नातवॉ (कमजोर) बच्चों के बारे में हुक्म फ़रमाता है और (वो) ये है कि तुम यतीमों के हुक़ूक़ के बारे में इन्साफ पर क़ायम रहो और (यक़ीन रखो कि) जो कुछ तुम नेकी करोगे तो ख़ुदा ज़रूर वाक़िफ़कार है |
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621 | 4 | 128 | وإن امرأة خافت من بعلها نشوزا أو إعراضا فلا جناح عليهما أن يصلحا بينهما صلحا والصلح خير وأحضرت الأنفس الشح وإن تحسنوا وتتقوا فإن الله كان بما تعملون خبيرا |
| | | और अगर कोई औरत अपने शौहर की ज्यादती व बेतवज्जोही से (तलाक़ का) ख़ौफ़ रखती हो तो मियॉ बीवी के बाहम किसी तरह मिलाप कर लेने में दोनों (में से किसी पर) कुछ गुनाह नहीं है और सुलह तो (बहरहाल) बेहतर है और बुख्ल से तो क़रीब क़रीब हर तबियत के हम पहलू है और अगर तुम नेकी करो और परहेजदारी करो तो ख़ुदा तुम्हारे हर काम से ख़बरदार है (वही तुमको अज्र देगा) |
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622 | 4 | 129 | ولن تستطيعوا أن تعدلوا بين النساء ولو حرصتم فلا تميلوا كل الميل فتذروها كالمعلقة وإن تصلحوا وتتقوا فإن الله كان غفورا رحيما |
| | | और अगरचे तुम बहुतेरा चाहो (लेकिन) तुममें इतनी सकत तो हरगिज़ नहीं है कि अपनी कई बीवियों में (पूरा पूरा) इन्साफ़ कर सको (मगर) ऐसा भी तो न करो कि (एक ही की तरफ़) हमातन माएल हो जाओ कि (दूसरी को अधड़ में) लटकी हुई छोड़ दो और अगर बाहम मेल कर लो और (ज्यादती से) बचे रहो तो ख़ुदा यक़ीनन बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
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623 | 4 | 130 | وإن يتفرقا يغن الله كلا من سعته وكان الله واسعا حكيما |
| | | और अगर दोनों मियॉ बीवी एक दूसरे से बाज़रिए तलाक़ जुदा हो जाएं तो ख़ुदा अपने वसी ख़ज़ाने से (फ़रागुल बाली अता फ़रमाकर) दोनों को (एक दूसरे से) बेनियाज़ कर देगा और ख़ुदा तो बड़ी गुन्जाइश और तदबीर वाला है और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज सब कुछ) ख़ुदा ही का है |
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624 | 4 | 131 | ولله ما في السماوات وما في الأرض ولقد وصينا الذين أوتوا الكتاب من قبلكم وإياكم أن اتقوا الله وإن تكفروا فإن لله ما في السماوات وما في الأرض وكان الله غنيا حميدا |
| | | और जिन लोगों को तुमसे पहले किताबे ख़ुदा अता की गयी है उनको और तुमको भी उसकी हमने वसीयत की थी कि (ख़ुदा) (की नाफ़रमानी) से डरते रहो और अगर (कहीं) तुमने कुफ़्र इख्तेयार किया तो (याद रहे कि) जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज सब कुछ) ख़ुदा ही का है (जो चाहे कर सकता है) और ख़ुदा तो सबसे बेपरवा और (हमा सिफ़त) मौसूफ़ हर हम्द वाला है |
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