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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
6124 | 96 | 18 | سندع الزبانية |
| | | (ऐ रसूल) देखो हरगिज़ उनका कहना न मानना |
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6125 | 96 | 19 | كلا لا تطعه واسجد واقترب |
| | | और सजदे करते रहो और कुर्ब हासिल करो (19) (सजदा) |
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6126 | 97 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم إنا أنزلناه في ليلة القدر |
| | | हमने (इस कुरान) को शबे क़द्र में नाज़िल (करना शुरू) किया |
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6127 | 97 | 2 | وما أدراك ما ليلة القدر |
| | | और तुमको क्या मालूम शबे क़द्र क्या है |
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6128 | 97 | 3 | ليلة القدر خير من ألف شهر |
| | | शबे क़द्र (मरतबा और अमल में) हज़ार महीनो से बेहतर है |
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6129 | 97 | 4 | تنزل الملائكة والروح فيها بإذن ربهم من كل أمر |
| | | इस (रात) में फ़रिश्ते और जिबरील (साल भर की) हर बात का हुक्म लेकर अपने परवरदिगार के हुक्म से नाज़िल होते हैं |
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6130 | 97 | 5 | سلام هي حتى مطلع الفجر |
| | | ये रात सुबह के तुलूअ होने तक (अज़सरतापा) सलामती है |
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6131 | 98 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم لم يكن الذين كفروا من أهل الكتاب والمشركين منفكين حتى تأتيهم البينة |
| | | अहले किताब और मुशरिकों से जो लोग काफिर थे जब तक कि उनके पास खुली हुई दलीलें न पहुँचे वह (अपने कुफ्र से) बाज़ आने वाले न थे |
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6132 | 98 | 2 | رسول من الله يتلو صحفا مطهرة |
| | | (यानि) ख़ुदा के रसूल जो पाक औराक़ पढ़ते हैं (आए और) |
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6133 | 98 | 3 | فيها كتب قيمة |
| | | उनमें (जो) पुरज़ोर और दरूस्त बातें लिखी हुई हैं (सुनाये) |
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